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मिलिट्री इंजीनियरिंग कॉलेज में पीएएनईएक्स-21

रक्षामंत्री का बिम्सटेक देशों के बीच बेहतर समन्वय का आह्वान

राहत प्रयासों केलिए भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताएं सराहीं

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 22 December 2021 02:48:45 PM

multi agency practice at college of military engineering pune

पुणे। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग पुणे में बिम्सटेक सदस्य देशों केलिए मानवीय सहायता और आपदा राहत मल्टी एजेंसी अभ्यास पीएएनईएक्स-21 में सैन्य उपकरण प्रदर्शन देखा। रक्षामंत्री ने इस अवसर पर किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा की स्थिति में त्वरित, समन्वित और क्रमिक राहत प्रयासों केलिए भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं को सराहा। राजनाथ सिंह ने बिम्सटेक को सबसे महत्वपूर्ण और घनिष्ठ समूह मेंसे एक करार दिया, जिसमें मौजूदा सभ्यतागत बंधनों को मजबूत करके समान विचारधारा वाले देशों केबीच एक सहजीवी साझेदारी बनाने की क्षमता है। उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं के समय एक-दूसरे केसाथ खड़े रहने केलिए बिम्सटेक सदस्य देशों की सराहना करते हुए कहाकि बिम्सटेक सदस्य देशों केलिए मानवीय सहायता और आपदा राहत मल्टी एजेंसी अभ्यास पीएएनईएक्स-21 अधिक सामंजस्यपूर्ण तंत्र बनाने केलिए नया उत्साह पैदा करता है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त कियाकि अभ्यास के जरिए चक्रवात व भूकंप और कोविड-19 महामारी जैसी चुनौतियों का सामना करने केलिए बेहतर समन्वय की सुविधा विकसित होगी। उन्होंने कहाकि भागीदारों को शामिल करते हुए बहुपक्षीय प्रयास, संसाधनों में साझेदारी और राहत उपायों को व्यवस्थित करने से हमारी ताकत गई गुना बढ़ जाएगी और यह उन लोगों को राहत देने की प्रक्रिया को गति देगी, जो पहले से ही प्राकृतिक आपदा से परेशान हैं। राजनाथ सिंह ने हिंद महासागर क्षेत्र केलिए भारत के दृष्टिकोण को दोहराया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्त सागर यानी क्षेत्र में सभी केलिए सुरक्षा और विकास की अवधारणा पर आधारित है। उन्होंने तटीय इलाकों में आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने, भूमि और समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा केलिए क्षमता बढ़ाने, सतत क्षेत्रीय विकास की दिशा में काम करने, नीली अर्थव्यवस्था, प्राकृतिक आपदाओं, समुद्री डकैती और आतंकवाद जैसे गैर पारंपरिक खतरों से निपटने केलिए सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
बिम्सटेक देशों के मल्टी एजेंसी अभ्यास में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के बचाव और राहत प्रयासों का समन्वित प्रदर्शन देखने को मिला, अभ्यास में कृत्रिम आपदा स्थितियों में सशस्त्र बलों और देश की प्रमुख आपदा राहत एजेंसियों के संसाधनों के आपसी तालमेल के परिणामस्वरूप फंसे हुए लोगों को बचाया गया, साथही आवश्यक सेवाओं की शीघ्र बहाली और संचार की सभी लाइनें खुल गईं। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सहयोग से आयोजित इस सैन्य उपकरण प्रदर्शन का उद्देश्य आपदा राहत कार्यों में भारतीय उद्योग की विशिष्ट औद्योगिक क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। राजनाथ सिंह ने उत्पादों का एक संग्रह भी जारी किया। रक्षामंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में पहले जवाब देने वाला होने केलिए भारतीय सशस्त्र बल और भारतीय तटरक्षक बल की प्रशंसा की। उन्होंने कोविड-19 से जंग में भी सुरक्षा बलों और भारतीय तटरक्षक बल की महत्वपूर्ण भूमिका का विशेष उल्लेख किया।
रक्षामंत्री ने कहाकि यह प्रतिबद्धता बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में प्रत्येक भागीदार देश के सशस्त्र बलों के प्रदर्शन में समान रूपसे देखने को मिलती है। कोविड-19 महामारी के मोर्चे पर राजनाथ सिंह ने कहाकि ऐसी आपदाओं केलिए बहुत विशिष्ट संसाधनों की आवश्यकता होती है, जिन्हें आपात स्थिति का सामना करनेवाले क्षेत्रों में कम समय में ले जाने की आवश्यकता होती है। उन्होंने देश की विशिष्ट जरूरतों के आधार पर क्षेत्रीय स्तर पर निर्बाध सूचना साझाकरण तंत्र, उत्तरदाताओं और सामग्री को स्थानांतरित करने केलिए प्रोटोकॉल की स्थापना और अपेक्षित क्षमता बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। रक्षामंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में एचएडीआर के कुछ उल्लेखनीय मिशनों का जिक्र किया, इसमें 2015 में यमन में ऑपरेशन राहत, जब भारत ने 6700 से अधिक लोगों को निकाला, 2016 में श्रीलंका में चक्रवात, 2019 में इंडोनेशिया में भूकंप, मोजाम्बिक में इडाई चक्रवात, जनवरी 2020 में मेडागास्कर में बाढ़ और भूस्खलन, अगस्त 2020 में मॉरिशस में तेल रिसाव और सितंबर 2020 में महामारी के दौरान श्रीलंका में तेल टैंकर में आग लगने पर भारत ने उल्लेखनीय मदद की।
राजनाथ सिंह ने आपदा के समय बहादुरी और अथक प्रयास करके लोगों को राहत प्रदान करने केलिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बलों, केंद्र-राज्य और जिलास्तर की एजेंसियों की भी सराहना की। उन्होंने कहाकि एचएडीआर पहल की सफलता सुनिश्चित करने केलिए न केवल सरकारी एजेंसियां, बल्कि निजी क्षेत्र, स्थानीय आबादी और गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। रक्षामंत्री ने आशा जताईकि भविष्य की आपदाओं का जवाब देने केलिए पीएएनईएक्स-21 बिम्सटेक देशों केलिए प्रोटोकॉल को मजबूत करने, सभी साझेदारों को शामिल कर जरूरत के हिसाब से नींव तैयार करेगा। उन्होंने सदस्य देशों की सहायता केलिए एक मानक संचालन प्रक्रिया को मजबूत और प्रकाशित करने, आपदा राहत कार्यों के संचालन में तेजी लाने और कीमती जीवन बचाने का आह्वान किया। इस अवसर पर थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ दक्षिणी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल जेएस नैन और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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