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स्वतंत्रता में वैज्ञानिकों का योगदान याद किया!

विज्ञान राज्यमंत्री का विज्ञान संचार विशेषज्ञों व शिक्षकों को संबोधन

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और विज्ञान की भूमिका पर हुआ सम्मेलन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 1 December 2021 01:20:34 PM

conference on indian independence movement and role of science

नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि विज्ञान और भारतीय वैज्ञानिकों ने न केवल भारत को स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद की, बल्कि इसे 75 वर्षों तक बनाए रखने में भी मदद की है। 'भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और विज्ञान की भूमिका' विषय पर विज्ञान संचार विशेषज्ञों और शिक्षकों केलिए एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत ने पिछले सात वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विज्ञान और प्रौद्योगिकी केक्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। उन्होंने दोहराया कि भारत पहले से ही मजबूती से खड़ा है और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अगले 25 वर्ष केलिए रोडमैप के प्रमुख निर्धारक होंगे, जब भारत स्वतंत्रता का 100वां वर्ष मनाएगा।
विज्ञान राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने महात्मा गांधी को सबसे महान वैज्ञानिक रणनीतिकारों मेंसे एकके रूपमें वर्णित किया, जिन्होंने अहिंसा के हथियार के माध्यम से ब्रिटिश अधीनता और आक्रामकता के खिलाफ वैज्ञानिक लड़ाई छेड़ी। उन्होंने बतायाकि बापू और उनके कई समकालीनों ने भी ब्रिटिश विरोधियों को रक्षात्मक होने केलिए मनोवैज्ञानिक तकनीकों को अपनाया था। डॉ जितेंद्र सिंह ने एक प्रख्यात जीवविज्ञानी, भौतिक विज्ञानी, वनस्पतिशास्त्री और विज्ञान कथा के शुरुआती लेखक सर जगदीशचंद्र बोस को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहाकि इम्‍पीरियल भारत में वैज्ञानिकों के देशभक्ति के उत्साह ने राष्ट्रवादी आंदोलन की भावना को जोड़ा। उन्होंने कहाकि हमारे देश के स्वतंत्रता आंदोलन में हम राजनीतिक नेताओं के बलिदान और संघर्ष को याद करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ हमारे वैज्ञानिकों ने भी ब्रिटिश शासन की भेदभावपूर्ण नीति का संघर्ष और विरोध किया।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि आजादी का अमृत महोत्सव देश की आजादी के 75वें वर्ष केसाथ मिलकर हमें अपने विज्ञान नायकों को याद करने का मौका देता है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के भारतीय वैज्ञानिकों, विज्ञान संचारकों और विज्ञान शिक्षकों की अदम्य भावना को सलाम करते हुए उन्‍होंने कहा कि हमें व्यक्तियों, संस्थानों और आंदोलनों के रूपमें उनके बेजोड़ योगदान को याद रखना चाहिए, जिन्होंने हमारे वर्तमान विज्ञान और प्रौद्योगिकी की नींव रखी। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि औपनिवेशिक युग के दौरान आत्मनिर्भरता की दृष्टि ने भारतीय वैज्ञानिकों और देशभक्तों को अपने स्वयं के वैज्ञानिक संस्थान और उद्योग स्थापित करने केलिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बतायाकि डॉ महेंद्रलाल सरकार ने 1876 में इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस की स्थापना की, आचार्य पीसी रे ने 1901 में द बंगाल केमिकल एंड फार्मास्युटिकल वर्क्स की स्थापना की, जो हमारे देश में स्वदेशी उद्योग की आधारशिला थी। उन्होंने कहाकि भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सामाजिक समरसता, समानता, तर्कवाद, धर्मनिरपेक्षता और सार्वभौमिकता पर जोर दिया।

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