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सीएसआईआर की पुलवामा में लैवेंडर की खेती

लैवेंडर की खेती अपनाने से आय व रोज़गार में पर्याप्त बढ़ोतरी हुई

लैवेंडर की खेती से जुड़े महिला समूहों और उद्यमियों से बातचीत

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 13 July 2021 05:13:14 PM

csir cultivation of lavender in pulwama

श्रीनगर। महानिदेशक सीएसआईआर और सचिव डीएसआईआर डॉ शेखर सी मांडे ने श्रीनगर में सीएसआईआर यानी भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान की ब्रांच लैब और पुलवामा में संस्थान के फील्ड स्टेशन पर चल रही गतिविधियों का जायजा लिया एवं लैवेंडर की खेती से जुड़े महिला स्वयं सहायता समूहों और उद्यमियों से बातचीत की। डॉ शेखर मांडे ने इस बात पर संतोष जताया कि लैवेंडर की खेती अपनाने से उनकी आय और रोज़गार में पर्याप्त बढ़ोतरी हुई है। किसानों और उद्यमियों को उन्होंने भरोसा दिलाया कि आत्मनिर्भरता हासिल करने केलिए फसल को बढ़ाने, इसके प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन और मार्केटिंग में वैज्ञानिक और तकनीकी सलाह व सहायता दी जाएगी। उन्होंने कृषि उत्पादकता और उससे होनेवाले लाभ को अधिकतम स्तर तक ले जाने केलिए सुगंधित फसल उत्पादन के साथ मधुमक्खी पालन को जोड़ने की जरूरत पर भी जोर दिया।
सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्मू के निदेशक डॉ डी श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में किसानों की आय और महिला सशक्तिकरण केलिए यह स्टेशन औद्योगिक खेती विशेष रूपसे लैवेंडर केलिए मुख्य केंद्र के रूपमें काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि सीएसआईआर-आईआईआईएम मूल्यवर्धित उत्पादों और अन्य कच्चेमाल के उत्पादन केलिए विभिन्न उद्योग उन्मुख फसलों की खेती बड़े पैमाने पर बढ़ाना चाहता है। पुलवामा में बोनेरा फॉर्म के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ शाहिद रसूल ने बताया कि विभिन्न परियोजनाओं, मिशन कार्यक्रमों, विभिन्न फसलों के उत्पादन और प्रसंस्करण केलिए व्यावहारिक प्रशिक्षण और कौशल से एक टिकाऊ दृष्टिकोण दिया गया है। किसानों को विभिन्न फसलों के व्यावसायिक उत्पादन केलिए निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण पौधे की आपूर्ति, तैयार फसलों के डिस्टिलेशन की सुविधाएं, बाजार से संपर्क और तकनीकी सलाह के माध्यम से सहायता दी जाती है।
डीजी सीएसआईआर ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की और उन्हें जम्मू-कश्मीर में सीएसआईआर की ओर से लैवेंडर और उच्च मूल्य वाली नकदी फसलों की खेती की शुरुआत के बारे में जानकारी दी। उपराज्यपाल को डीजी सीएसआईआर ने जम्मू-कश्मीर में सीएसआईआर की विज्ञान और प्रौद्योगिकी संबंधी दूसरी पहलों के बारे में भी बताया और जम्मू-कश्मीर केलिए उपयोगी सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों विशेष रूपसे सामाजिक विकास और ग्रामीण सशक्तिकरण केलिए लागू करने का प्रस्ताव रखा। उपराज्यपाल ने सीएसआईआर के प्रयासों की सराहना की और जम्मू-कश्मीर के प्रतिभाशाली युवाओं के वैज्ञानिक व औद्योगिक प्रशिक्षण पर जोर दिया। उपराज्यपाल ने इच्छा जताई कि सीएसआईआर की सहजता से उपलब्ध सभी प्रौद्योगिकियों से जुड़ी जानकारियों को जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ साझा किया जाए, जिससे कि उसके कार्यांवयन की संभावनाओं का पता लगाने केलिए और अधिक मंथन किया जा सके। सीएसआईआर-आईआईआईएम उच्च उत्पादकता और गुणवत्ता सूची प्राप्त करने के लिए लैवेंडर की खेती और प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों पर पिछले 35 वर्ष से शोध एवं विकास कार्य कर रहा है।
सीएसआईआर-आईआईआईएम की ओर से अधिक तेल उत्पादन करने वाली एक किस्म, जिसे आरआरएल-12 के रूपमें जाना जाता है विकसित की गई थी। फसल की बड़े पैमाने पर खेती केलिए संस्थान बहुत सी राज्य और केंद्र प्रायोजित मिशन आधारित परियोजनाएं जैसे सीएसआईआर-अरोमा मिशन को संचालित कर रहा है। लैवेंडर की खेती करने वाले किसान पारंपरिक फसलों की तुलना में 5-6 गुना ज्यादा आय (4.00-5.00 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर) प्राप्त करते हैं। पिछले 10 वर्ष में सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्मू के विभिन्न पहलों और उनके कार्यांवयन के कारण यहां लैवेंडर की खेती के रकबे में उछाल देखा गया है। जम्मू-कश्मीर में 3000 किलोग्राम लैवेंडर ऑयल के वार्षिक उत्पादन के साथ 900 एकड़ के अनुमानित रकबे में लैवेंडर उगाया जा रहा है, संस्थान फसल के रकबे को बढ़ा रहा है। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लैवेंडर ऑयल की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने केलिए लैवेंडर की खेती के रकबे को अगले 2-3 वर्ष में 1500 हेक्टेयर तक बढ़ाना चाहता है, ताकि उत्पादन की एक स्थायी व्यवस्था स्थापित की जा सके।

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