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दलहन-तिलहन की नई नीति आएगी-कृषिमंत्री

नरेंद्र सिंह तोमर ने किया बीजों की कई नई किस्मों का विमोचन

मोदी सरकार के 7 वर्ष सफलता से पूरे होने पर किया विमोचन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 31 May 2021 05:47:02 PM

narendra singh tomar released new varieties of seeds

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार के 7 वर्ष सफलता से पूरे होने के साथ-साथ दृढ़ संकल्प के परिणामस्वरूप भारत मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जनसामान्य की भागीदारी देश के विकास में बढ़ रही है और हर व्यक्ति के मन में अपनी योग्यता, दक्षता, ऊर्जा से देश केलिए कोई ना कोई काम करना चाहिए। कृषिमंत्री ने कहा कि देश में खाद्यान्न की प्रचुरता है, यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसंधान, किसानों के परिश्रम व सरकार की कृषि हितैषी नीतियों का सुपरिणाम है, हमें दलहन, तिलहन व बागवानी फसलों के क्षेत्र में और काम करने की जरूरत है, दलहन व तिलहन में आत्मनिर्भरता के लिए नई नीति आएंगी। उन्होंने कहा कि आयात पर हमारी निर्भरता कम हो तथा हम कृषि उत्पादों का निर्यात ज्यादा से ज्यादा बढ़ाएं, बीजों की नई किस्मों का इसमें विशेष योगदान होगा।
केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ये बातें आईसीएआर की उपलब्धियों, प्रकाशनों, नई कृषि प्रौद्योगिकियों एवं कृषि फसलों की नई किस्मों की लॉंचिंग तथा कृतज्ञ हैकाथॉन के प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरण के कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने कहा कि कृतज्ञ में प्रतियोगियों ने कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए एक से बढ़कर एक उपयोगी संरचनाएं सृजित करके अपनी योग्यता एवं क्षमता को साबित किया है। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आईसीएआर के वैज्ञानिक समग्रता से विचार कर रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों, वर्षा आधारित खेती वाले क्षेत्रों व अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों से हमारे बीज सामना कर सकें तथा किसानों की आय बढ़े एवं उत्पादन व उत्पादकता को भी बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि फसल डायवर्सिफिकेशन का भी विषय विद्यमान है, सरकार इस दिशा में बहुत तेजी के साथ काम कर रही है। कृषिमंत्री ने कहा कि कृषि व सम्बद्ध अधिकांश क्षेत्रों में दुनिया में भारत पहले या दूसरे नंबर पर है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र अग्रणी भूमिका निभा सके, इसमें आईसीएआर से संबंधित वैज्ञानिक, अनुसंधान केंद्र, विश्वविद्यालय, छात्र, नई तकनीक, नए बीजों की किस्में ईजाद करने का निश्चित रूपसे बहुत बड़ा महत्व है, इस दिशा में आईसीएआर जिम्मेदारी के साथ काम कर रहा है और यह प्रसन्नता व संतोष का विषय है। उन्होंने इसके लिए देशभर के संस्थानों की टीमों व केवीके की टीमों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। कृषिमंत्री ने कहा कि मुंहपका-खुरपका रोग से देश के पशुओं को मुक्‍त कराने के लिए आईसीएआरसीरो-मॉनीटरिंग से महत्‍वपूर्ण सेवा कर रहा है। उन्होंने कहा कि केवीके ने 5 करोड़ से ज्यादा किसानों तक अपनी पहुंच बनाई है, इसे भी बढ़ाने की जरूरत है। कृषि शिक्षा महत्वपूर्ण पहलू है, जिसके माध्यम से हमें कृषि क्षेत्र का समग्र विकास करना है। कृषिमंत्री ने आईसीएआर को अंतर्राष्‍ट्रीय राजा भूमिबोल विश्‍व मृदा दिवस पुरस्‍कार-2020, विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा संगठन जेनेवा व संयुक्‍त राष्‍ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन से सम्‍मान व डिजीटल इंडिया पुरस्‍कार-2020 प्राप्‍त होने पर बधाई दी है।
कार्यक्रम में कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्र, विशेष सचिव संजय सिंह, उपमहानिदेशक (शिक्षा) डॉ आरसी अग्रवाल ने भी संबोधित किया। कृतज्ञ कृषि हैकाथॉन विश्वविद्यालयों, तकनीकी व अन्य संस्थानों के छात्रों, संकायों और नवप्रवर्तकों/ उद्यमियों/ स्टार्टअप्स ने टीमों के रूपमें भाग लिया। कृतज्ञ कृषि हैकाथॉन में 5 लाख रुपये का प्रथम पुरस्कार गोवा विश्वविद्यालय टीम को मिला, जिसने नारियल/ तेल ताड़ की कटाई के लिए ड्रोन बनाया। तीन लाख रुपये का द्वितीय पुरस्कार आईसीएआर-सीआईएआई भोपाल को प्राप्त हुआ, जिसने पौधों की बीमारियों का वास्तविक समय में पता लगाने, कीटनाशकों का साइट-विशिष्ट अनुप्रयोग करने के लिए कंपन संकेत के प्रयोग का सुझाव दिया। एक लाख रुपये का तृतीय पुरस्कार दो टीमों को संयुक्त रूपसे दिया गया। इनमें एक बैंगलूरू की टीम है जिसने बैटरीचलित पोर्टेबल कोकून हार्वेस्टर जो एक हाथ से संचालित तंत्र है बनाया है और एक तमिलनाडु जयललिता फिशरीज यूनिवर्सिटी की टीम है जिसको यह पुरस्कार सेमी-ऑटोमैटिक कटर जो सूखी मछली को काटते समय मछुआरे की मुश्किलों को कम करता है बनाने के लिए मिला।
फसल विज्ञान प्रभाग ने वर्ष 2020-21 के एआईसीआरपी/ एआईएनपी के माध्यम से 562 नई उच्च उपज देने वाली कृषि फसलों की किस्में जारी की हैं। इनमें अनाज 223, तिलहन 89, दलहन 101, चारा फसलें 37, रेशेदार फसलें 90, गन्ना 14 और संभावित फसलें 8 हैं। विशेष गुणों वाली 12 किस्में हैं-जौ-1 उच्च माल्ट गुणवत्ता, मक्का-3 उच्च लाइसिन, ट्रिप्टोफोन एवं विटामिन ए, दानों में उच्च मिठास, उच्च फुलाव, सोयाबीन-2 उच्च ओलीक अम्ल, चना-2 सूखा सहनशील, उच्च प्रोटीन, दाल-3 लवणता सहनशील, अरहर-1 बारानी। बागवानी प्रभाग ने देश की विभिन्न कृषि जलवायुवीय दशाओं में अधिक उत्पादकता के माध्यम से किसानों की आय में अभिवृद्धि के लिए बागवानी फसलों की 89 प्रजातियों की पहचान की है। ये मुख्य प्रजातियां तथा तकनीक हैं-संकर बैंगन ‘काशी मनोहर’ मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में उगाने के लिए संस्तुत की हैं। विट्ठल कोको संकर-6 केरल में उगाने के लिए संस्तुत की हैं। शिटाके खुम्ब की शीघ्र उत्पादन तकनीक का विकास किया गया है, जिसके लिए आईसीएआर ने पेटेंट लिया है। इस तकनीकी से 45-50 दिन की अवधि में 110-130% की जैव क्षमता के साथ पैदावार ली जा सकती है, साधारणतः शिटाके खुम्ब की पैदावार की अवधि 90-120 दिन होती है।
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार ने अश्व फ्लू के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी आधारित एलिसा किट विकसित की है। केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र हिसार ने गाय और भैंस के लिए गर्भावस्था निदान किट और डेयरी पशुओं के यूरिन से गर्भ जांच करने के लिए प्रेग-डी नामक किट विकसित की है, जिसमें यूरिन सैंपल से 30 मिनट में मात्रा 10 रुपये में टेस्ट किया जा सकता है। मत्सयकीय प्रभाग ने रेड सीवीड से बाइओडिग्रेड्डबल पैकेजिंग फिल्म बनाने की तकनीक बनाई है, जो बहुत ही कॉस्ट इफेक्टिव है। अभियांत्रिकी प्रभाग ने त्वरित संदर्भ के लिए कृषि उपकरणों पर किसानों के अनुकूल ई-बुक बनाई गई है, जिसमें हाल ही में निर्मित प्रौद्योगिकियों, जिनका व्यावसायीकरण किया जा चुका है और जिन्हें किसान बड़ी आसानी से इस ई-बुक द्वारा सर्च कर सकता है।

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