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मोदी को सेरावीक ग्लोबल लीडरशिप सम्मान

'भारत ने पर्यावरण संरक्षण के मामले में दुनिया का नेतृत्व किया'

ऑनलाइन सेरावीक कॉंफ्रेंस-2021 में बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 6 March 2021 04:26:29 PM

narendra modi delivering the keynote address at the ceraweek 2021

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सेरावीक ग्लोबल एनर्जी और एंवायरमेंट लीडरशिप पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने सेरावीक कॉंफ्रेंस-2021 में ऑनलाइन रूपसे सेरावीक ग्लोबल एनर्जी और एंवायरमेंट सम्मान को स्वीकार किया और इसको देशवासियों को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और देखभाल के मामले में भारत के लोगों ने सदियों से पूरी दुनिया का नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में प्रकृति और पूजा-पाठ का आपस में गहरा संबंध है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी पर्यावरण की चिंता करने वाले दुनिया के सबसे महान व्यक्ति रहे हैं, अगर हम उनके दिखाए रास्ते पर चलते तो आज जिन चुनौतियों और परेशानियों का सामना हमें करना पड़ रहा है, उनका सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने लोगों से महात्मा गांधी के गृहनगर पोरबंदर की यात्रा करने का आग्रह किया। पोरबंदर वही जगह है, जहां वर्षा के जल का संचयन करने के लिए सालों पहले ही ज़मीन के अंदर पानी के टैंकों को निर्माण कर दिया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और आपदाओं से निपटने के केवल दो ही रास्ते हैं। एक नीतियों, कानूनों, नियमों और आदेशों के माध्यम से। प्रधानमंत्री ने इस संबंध में उदाहरण भी दिया। उन्होंने बताया भारत की वर्तमान बिजली क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों का हिस्सा 38 प्रतिशत तक बढ़ गया है, भारत ने अप्रैल 2020 से भारत-6 उत्सर्जन मानदंड को अपनाया है, जो यूरो-6 ईंधन के बराबर हैं, भारत वर्ष 2030 तक प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने की दिशा में काम कर रहा है, एलएनजी को भी ईंधन के रूपमें बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन और पीएम कुसुम योजना का भी उल्लेख किया, जो सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक न्यायसंगत और विकेंद्रीकृत मॉडल को बढ़ावा देता है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये नियम और योजनाओं के अलावा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जो सबसे मज़बूर रास्ता है, वो है लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना। उन्होंने अपने व्यवहार में बदलाव लाने का आह्वान किया, ताकि ये दुनिया हमारे जीवन जीने के लिए एक बेहतर स्थान बन सके। उन्होंने कहा कि लोगों के व्यवहार में परिवर्तन की यह भावना पारंपरिक स्तर पर हमारी आदतों का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो हमें दान और करुणा की भावना के साथ प्रकृति का उपयोग करना सिखाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय किसानों पर गर्व महसूस करते हुए कहा कि हमारे किसान लगातार सिंचाई की आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, मृदा स्वास्थ्य में सुधार और कीटनाशकों के उपयोग को कम करने के बारे में किसानों के बीच जागरुकता बढ़ रही है। प्रधानमंत्री ने विशेषरूप से कहा कि आज दुनिया फिटनेस और वेलनेस पर ध्यान दे रही है, आज स्वस्थ और जैविक खाद्य पदार्थों की मांग लगातार बढ़ रही है, भारत अपने मसालों और आयुर्वेदिक उत्पादों के जरिए दुनियाभर में हो रहे इन बदलावों का नेतृत्व कर इसका फायदा उठा सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार देश में ईको-फ्रेंडली परिवहन व्यवस्था उपलब्ध कराने की दिशा में 27 नगर और शहरों में मेट्रो नेटवर्क पहुंचाने पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें बड़े पैमाने पर लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए ऐसे समाधानों पर काम करने की ज़रूरत है, जो अभिनव और सस्ते होने के साथ-साथ लोगों की भागीदारी से संचालित होते हैं। उन्होंने एलईडी बल्ब को बड़े पैमाने पर लोगों द्वारा अपनाया जाना, गिव इट अप मूवमेंट, एलपीजी के कवरेज में विस्तार, सस्ती परिवहन व्यवस्था उपलब्ध कराने की दिशा में उठाए गए कदम जैसे उदाहरणों की चर्चा की। उन्होंने पूरे भारत में इथेनॉल की बढ़ती स्वीकार्यता पर खुशी व्यक्त की।
प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि पिछले 7 वर्ष में भारत के वन क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई है, यहां शेरों, बाघों, तेंदुओं और पानी में रहने वाले पक्षियों की आबादी भी बढ़ी है, उन्होंने इसे व्यवहार परिवर्तन की दिशा में सकारात्मक संकेत का एक उदाहरण बताया। नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत के बारे में भी बात की, ट्रस्टीशिप के मूल में सामूहिकता, करुणा और ज़िम्मेदारी का भाव निहित है, ट्रस्टीशिप का मतलब उपलब्ध संसाधनों का ज़िम्मेदारी के साथ उपयोग करना भी है। उन्होंने अपनी बात को समाप्त करते हुए कहा कि तार्किक शक्ति और पारिस्थितिकी को ध्यान में रखकर सोचने का समय आ गया है, यह मेरे या आपके लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण पृथ्वी के बेहतर भविष्य के लिए ज़रूरी है।

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