स्वतंत्र आवाज़
word map

पश्चिम बंगाल 'एक भारत' के लिए प्रेरणा-मोदी

'छात्र देश के सबसे गरीब व्‍यक्ति की समस्‍याओं का समाधान करें'

विश्‍व भारती के दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री का प्रेरक संबोधन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 19 February 2021 04:33:02 PM

prime minister's motivational address at vishwa bharati's convocation

नई दिल्ली/ कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विश्‍व भारती विश्‍वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को ऑनलाइन संबोधित किया और वीर शिवाजी के बारे में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की उस कविता का उद्धरण दिया, जिसने उन्‍हें न सिर्फ प्रेरणा दी, बल्कि भारत की एकता का भी आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने इस प्रेरक संबोधन में इस बात पर बल दिया कि छात्र और संकाय सदस्‍य किसी विश्‍वविद्यालय के सिर्फ अंग ही नहीं होते, बल्कि वे अपनी परम्‍पराओं के वाहक भी होते हैं। उन्‍होंने कहा कि गुरुदेव ने इस विश्‍वविद्यालय का नाम विश्‍व भारती रखा, जिसका अर्थ है-वैश्विक विश्‍वविद्यालय। उन्होंने कहा कि गुरुदेव ये उम्‍मीद करते थे कि विश्‍व भारती में ज्ञान प्राप्‍त करने के लिए जो भी व्‍यक्ति आएगा, वह पूरे विश्‍व को भारत और भारतीयता के दृष्टिकोण से देखेगा, इसलिए उन्‍होंने विश्‍व भारती को ज्ञान प्राप्ति का ऐसा स्‍थान बनाया, जिसे भारत की समृद्ध शिक्षा विरासत के तौर पर देखा जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय विरासत को आत्‍मसात करने और उसके विषय में अनुसंधान करने तथा देश के सबसे गरीब व्‍यक्ति की समस्‍याओं के समाधान के लिए काम करने का आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि श्रीगुरुदेव के लिए विश्‍व भारती सिर्फ एक ज्ञान का प्रसार करने वाला संस्‍थान ही नहीं था, बल्कि वह भारतीय संस्‍कृति के सर्वोच्‍च लक्ष्‍य प्राप्‍त करने का जरिया था, जिसे किसी भी व्‍यक्ति को प्राप्‍त करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरुदेव का विश्‍वास था कि हमें विभिन्‍न विचारधाराओं और मतभेदों के बीच खुद की तलाश करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि टैगोर बंगाल पर गर्व करते थे, लेकिन इसके साथ ही वह भारत की विविधता पर भी गर्व करते थे और यही वजह है कि गुरुदेव की परिकल्‍पना के अनुरूप शांति निकेतन में मानवता उन्‍मुक्‍त होकर विकसित होती है। उन्‍होंने विश्‍व भारती को ज्ञान का अनंत सागर बताकर उसकी प्रशंसा की और कहा कि इसकी आधारशिला अनुभव आधारित शिक्षा के उद्देश्‍य से रखी गई। उन्‍होंने कहा कि रचनात्‍मकता और ज्ञान की कोई सीमा नहीं है, यही वह विचार है, जिसपर चलकर गुरुदेव ने इस महान विश्‍वविद्यालय की नींव रखी।
प्रधानमंत्री ने छात्रों से अपील की कि वे हमेशा यह याद रखें कि ज्ञान, विचार और कुशलता स्थिर भाव नहीं, बल्कि गतिशील और लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। उन्‍होंने कहा कि ज्ञान और शक्ति के साथ जिम्‍मेदारी भी आती है, सत्‍ता में रहते हुए व्‍यक्ति को संयमी और संवेदनशील होना होता है, उसी तरह हर विद्वान को उन लोगों के लिए जिम्‍मेदार होने की जरूरत है, जिनके पास ज्ञान का अभाव है। प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि आपका ज्ञान सिर्फ आपका नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए है और यह देश की विरासत है, आपका ज्ञान और कुशलता देश के लिए गर्व का विषय भी हो सकता है और समाज को अपयश तथा विनाश की ओर भी ले जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि बहुत से लोग जो विश्‍वभर में आतंक और हिंसा फैला रहे हैं, वह उच्‍च शिक्षा और कुशलता प्राप्‍त लोग हैं, दूसरी ओर ऐसे भी लोग हैं, जो कोविड जैसी महामारी के दौरान अपने जीवन को खतरे में डाल रहे हैं तथा अस्‍पतालों और प्रयोगशालाओं में काम कर लोगों की जान बचा रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि यह किसी विचारधारा का नहीं, बल्कि मानसिकता का सवाल है, वह सकारात्‍मक है या नकारात्‍मक, यह दोनों ही रास्‍ते खुले हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि छात्र यह तय करें कि वे समस्‍या का हिस्‍सा होना चाहते हैं या समाधान का। उन्‍होंने कहा कि यदि वे राष्‍ट्र प्रथम का भाव रखते हैं तो उनका हर फैसला किसी न किसी समाधान की ओर जाएगा। उन्‍होंने छात्रों को सलाह दी कि वे फैसला लेने से घबराए नहीं। उन्‍होंने कहा कि जब तक देश के युवा नवाचार पहलें करने, जोखिम उठाने और आगे बढ़ने की इच्‍छा है, तबतक देश के भविष्‍य को लेकर कोई चिंता ही नहीं होगी। उन्‍होंने आश्‍वासन दिया कि युवाओं को इस कार्य के लिए सरकार का पूरा समर्थन हासिल होगा। भारत की पारम्‍परिक शिक्षा पद्धति की ऐतिहासिक दृढ़ता को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने गांधीवादी धर्मपाल की किताब ‘द ब्‍यूटीफुल ट्री-इंडिजिनस इंडियन एजुकेशन इन द 18 सेंचुरी’ का उल्‍लेख किया। उन्‍होंने कहा कि 1820 में हुए एक सर्वेक्षण में कहा गया था कि हर गांव में एक से ज्‍यादा गुरुकुल होता था, जोकि स्‍थानीय मंदिर से संबद्ध होता था और शिक्षा दर अनुमानत: बहुत उच्‍च होती थी, ब्रिटिश विद्वानों ने भी इस तथ्‍य को स्‍वीकृत किया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ ने विश्‍व भारती में ऐसी पद्धति का विकास किया, जो भारतीय शिक्षा को आधुनिक बनाने और दासता की जंजीरों से मुक्‍त करने का जरिया बनी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इसी तरह नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति पुरानी पाब‍ंदियों को समाप्‍त करती है और विद्यार्थियों को अपनी पूरी क्षमता के उपयोग की अनुमति देती है। उन्होंने कहा कि यह नीति विषयों के चयन और अध्‍यापन माध्‍यम में लचीली है, यह नीति उद्यमिता तथा स्‍वरोज़गार, अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शिक्षा नीति आत्‍मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्‍वपूर्ण मील का पत्‍थर है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा स्‍कॉलरों को लाखों पत्र-पत्रि‍काओं तक नि:शुल्‍क पहुंच प्रदान की गई है, इस वर्ष के बजट में राष्‍ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के माध्‍यम से अनुसंधान के लिए पांच वर्ष में 50,000 करोड़ रुपये का प्रस्‍ताव किया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति ने जेंडर इनक्लूजन फंड का प्रावधान है, जिससे लड़कियों को नया विश्‍वास प्राप्‍त होगा, लड़कियों की बीच में पढ़ाई छोड़ने की अधिकता पर अध्‍ययन किया गया और प्रवेश-निकास विकल्‍प तथा डिग्री पाठ्यक्रमों में वार्षिक क्रेडिट के लिए प्रबंधन किए गए।
एकभारत श्रेष्‍ठभारत के लिए बंगाल की प्रेरणा का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्‍व भारती 21वीं सदी की ज्ञान अर्थव्‍यवस्‍था में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा और भारतीय ज्ञान तथा पहचान को विश्‍व के कोने-कोने तक ले जाएगा। प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से कहा कि वे 2047 में विश्‍व भारती के 25 बड़े लक्ष्‍यों के बारे में अगले 25 वर्ष के लिए विजन दस्‍तावेज तैयार करें। प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से भारत के बारे में जानकारी का प्रचार-प्रसार करने को कहा। उन्‍होंने कहा कि विश्‍व भारती को भारत का संदेश विश्‍व में ले जाने और भारत की छवि बढ़ाने में सभी शिक्षण संस्‍थानों का नेतृत्‍व करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से आस-पड़ोस के गांव को आत्‍मनिर्भर बनाने और वैश्विक स्‍तरपर उनके उत्‍पाद ले जाने के रास्‍ते तैयार करने को कहा। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्‍यपाल और विश्‍व भारती के रेक्‍टर जगदीप धनखड, केंद्रीय शिक्षामंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और शिक्षा राज्‍यमंत्री संजय धोत्रे भी मौजूद थे।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]