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मेधावी लड़कियों के लिए अवसरों का विस्तार

छात्रों शिक्षकों तक इंटरैक्टिव लर्निंग प्लेटफॉर्म से विज्ञान प्रसार

डीएसटी की आईबीएम इंडिया के साथ साझेदारी की घोषणा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 10 October 2020 01:11:09 PM

vigyan prasar with interactive learning platform

नई दिल्ली। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में रुचि बढ़ाने के लिए मेधावी लड़कियों के लिए मौजूदा अवसरों का विस्तार किया जाएगा और आईबीएम के साथ साझेदारी में देश के युवाओं में सीखने और वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए एक शिक्षण मंच तैयार किया जाएगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और आईबीएम इंडिया ने डीएसटी की दो पहलों-विज्ञान ज्योति एवं एंगेज विद साइंस को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग की घोषणा की है। विज्ञान ज्योति छात्राओं के बीच एसटीईएम सीखने को प्रोत्‍साहन देने, एसटीईएम करियर के प्रति उन्हें प्रेरित करने और 9 से 12वीं कक्षा तक की मेधावी छात्राओं को एक समान अवसर प्रदान करने का कार्यक्रम है, जो विशेष रूपसे क्षेत्रों के शीर्ष महाविद्यालयों से एसटीईएम को आगे बढ़ाने के लिए है, जहां लड़कियों की संख्‍या काफी कम है।
विज्ञान प्रसार का ‘एंगेज विद साइंस’ छात्रों, शिक्षकों, उच्च विद्यालय के छात्रों को उच्च शिक्षा संस्थानों से जोड़ने में रुचि रखने वाले वैज्ञानिकों के साथ एक समुदाय बनाने की पहल है। डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने सहयोग की घोषणा करते हुए कहा है कि आईबीएम के साथ साझेदारी डीएसटी और विज्ञान प्रसार के इन कार्यक्रमों को बड़े पैमाने पर इंटरैक्टिव तरीकों से छात्रों और शिक्षकों तक पहुंचाएगी। उन्होंने कहा कि इंटरैक्टिव लर्निंग प्लेटफॉर्म 'एंगेज विद साइंस’ को आगे बढ़ाते हुए देश के युवाओं में सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा और यह स्कूली छात्रों की समस्‍याओं का समाधान करेगा, जिन्हें कक्षा के बाहर अधिक ज्ञान की आवश्यकता होती है और यह सीखने के एक इंटरैक्टिव तरीके से अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि विज्ञान मंच के साथ जुड़ाव छात्रों को डिजिटल टूल के उपयोग के माध्यम से क्लाउड, बिग डेटा सहित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सामग्री के नमूने और सक्रिय भागीदारी के साथ बातचीत, भाग लेने और सक्रिय करने में मदद करेगा।
प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि डीएसटी की विज्ञान ज्योति पहल इन विषयों के प्रति आत्मविश्वास और उत्साह का निर्माण करके उच्च शिक्षा में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विषयों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के साथ जुड़ी बहुआयामी समस्याओं को हल करने पर केंद्रित है। प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने बताया कि अगले 5 साल में हम इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विषयों में नामांकित छात्राओं के अनुपात को बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि छात्राओं को एसटीईएम क्षेत्रों में उच्च शिक्षा और करियर बनाने के लिए प्रेरित करने के लिए डीएसटी ने 2019 में विज्ञान ज्योति कार्यक्रम शुरू किया था, जिसके माध्‍यम से आसपास के वैज्ञानिक संस्थानों का दौरा, विज्ञान शिविर, प्रख्यात महिला वैज्ञानिकों के व्याख्यान और कैरियर परामर्श के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। इस कार्यक्रम को फिलहाल जवाहर नवोदय विद्यालय ने 58 जिलों में लागू किया है, जिसमें लगभग 2900 छात्र-छात्राओं की भागीदारी है। आईबीएम इंडिया के साथ भविष्य में और अधिक स्कूलों को शामिल किया जाएगा।
आईबीएम इंडिया में काम करने वाली महिला तकनीकी विशेषज्ञ छात्राओं को कार्यक्रम के तहत एसटीईएम में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेंगी। यह प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए डीएसटी की पहल को मजबूत करेगा। आईबीएम के एमडी संदीप पटेल ने कहा कि एसटीईएम शिक्षा में छात्राओं की संख्‍या को बढ़ाना और विविध प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए नए रास्ते बनाना समय की मांग है। डीएसटी के साथ सहयोग से 10+2 पाठ्यक्रम में शामिल छात्राओं को हमारे एसटीईएम कार्यक्रम से प्रोत्‍साहन मिलेगा। डीएसटी और आईबीएम इंडिया का उद्देश्य एक मजबूत एसटीईएम इकोसिस्टम बनाना है, जो इंस्पायर अवार्ड्स-मानक (मिलियन माइंड्स ऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशंस एंड नॉलेज) के माध्यम से महत्वपूर्ण विचारकों, समस्या-समाधानकर्ताओं के सहयोग से अगली पीढ़ी के इनोवेटरों यानी स्कूल के छात्रों में विज्ञान की सोच को बढ़ावा देता है।
डीएसटी और आईबीएम इंडिया भारत में शिक्षकों और छात्रों के लिए अल्पावधि पाठ्यक्रमों, कार्यशालाओं, सलाह और ऑनलाइन विज्ञान सामग्री संचार के साथ शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने और विकसित करने के लिए एकसाथ काम करेंगे। एंगेज विद साइंस कार्यक्रम स्कूलों के साथ सक्रिय रूपसे जुड़ेगा, स्कूल परिसर में इंटरैक्टिव कार्यक्रमों का आयोजन करेगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विषयों के शिक्षकों का चयन करने के लिए मान्यता देने का रास्‍ता खोलेगा। यह कार्यक्रम इंडिया साइंस चैनल पर प्रसारित किया जाएगा तो इसमें रूचि रखने वाले शिक्षकों एवं स्कूलों का एक समुदाय तैयार होगा।

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