स्वतंत्र आवाज़
word map

महान राष्ट्र अपनी नियति स्वयं बनाते हैं-उपराष्ट्रपति

क्रांतिकारियों के अमर बलिदान पाठ्यपुस्तकों में शामिल किए जाने चाहिएं

'नेताजी-इंडियाज इंडिपेंडेंस एण्ड ब्रिटिश आर्काइव्स' पुस्तक का लोकार्पण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 12 August 2020 04:51:45 PM

m. venkaiah naidu inauguration of 'netaji-india's independence and british archives'

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि इतिहास के सम्पूर्ण प्रामाणिक यथार्थ को समग्रता में प्रकाश में लाने की आवश्यकता है। उपराष्ट्रपति ने आज अपने आवास पर एक समारोह में नेताजी सुभाषचंद्र बोस आईएनए ट्रस्ट के सहायक सदस्य डॉ कल्याण कुमार डे की पुस्तक ‘नेताजी-इंडियाज इंडिपेंडेंस एंड ब्रिटिश आर्काइव्स’ का लोकार्पण किया। आज अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस भी है। उन्होंने देश के युवाओं से अपेक्षा की कि वे नेताजी के जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेकर उनका अनुसरण करेंगे और नया भारत बनाने में अपनी ओर से अहम योगदान देंगे। उन्होंने कहा कि पुस्तक में स्वाधीनता आंदोलन के दौरान नेताजी की महत्वपूर्ण भूमिका से संबंधित प्रामाणिक दस्तावेजों का संकलन है, जिससे युवा पीढ़ी को परिचित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों के क्रांतिकारियों के अमर बलिदानों को स्कूली पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के कई आयाम और पहलू थे, जिनसे युवा पीढ़ी को अवगत कराया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि भारत के विभिन्न हिस्सों के कई लोगों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्‍योछावर कर दिए, उनसे जुड़ी जोशपूर्ण गाथाओं पर भी प्रकाश डाला जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के दौरान नेताजी का साहसी और ओजस्वी नेतृत्व युवाओं के लिए अनुकरणीय प्रेरणा का स्रोत था। उन्होंने कहा कि पुस्तक में शामिल दस्तावेजों से यह प्रमाणित होता है कि नेताजी द्वारा आईएनए के गठन तथा जनता में उसकी बढ़ती लोकप्रियता से अंग्रेज घबरा गए थे और भारत की स्वतंत्रता में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने कहा कि आज़ादी के सात दशक बाद भी देश के सामने अनेक चुनौतियां हैं और युवा अशिक्षा, भ्रष्टाचार, गरीबी, जातिवाद, महिला-पुरुष भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियां समाप्त करके एक नए भारत का निर्माण करने की दिशा में आगे बढ़ें।
वेंकैया नायडू ने कहा कि नेताजी का दृढ़ विश्वास था कि महान राष्ट्र अपनी नियति स्वयं बनाते हैं और यही विश्वास उन्होंने जनता में भी जगाया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि नेताजी को भारत की सभ्यतागत सांस्कृतिक विरासत पर विश्वास था, उनका मानना था कि हम सबसे पहले भारतीय हैं, धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र की पहचान गौण हैं। वेंकैया नायडू ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने देश के लिए एक आत्मनिर्भर सुदृढ़ अर्थव्यवस्था की आवश्यकता को रेखांकित किया है। उन्होंने निजी क्षेत्र, बुद्धिजीवियों सहित सभी का आह्वान किया कि वे आत्मनिर्भरता के लिए अभियान को सफल बनाने में अपनी महती भूमिका निभाएं।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]