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देखो अपना देश श्रृंखला में 'आध्यात्मिक त्रिकोण'

मध्य प्रदेश में महेश्वर, मांडु और ओंकारेश्वर की समृद्धि का प्रदर्शन

केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय का एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत वेबिनार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 20 July 2020 06:06:18 PM

spiritual triangle-maheshwar, mandu and omkareshwar webinar

इंदौर (मध्य प्रदेश)। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने देखो अपना देश श्रृंखला के तहत 'आध्यात्मिक त्रिकोण-महेश्वर, मांडु और ओंकारेश्वर' नाम से वेबिनार आयोजित किया, जिसकी प्रस्तुति इंदौर की आयकर आयुक्त आशिमा गुप्ता और सिंगापुर की मार्केटिंग पेशेवर सरिता अलुरकर ने दी। वेबिनार में मध्य प्रदेश में महेश्वर, मांडु और ओंकारेश्वर के आध्यात्मिक त्रिकोण के तहत आनेवाले गंतव्यों की मनोहारी प्राकृतिक छटाओं की समृद्धि का प्रदर्शन किया गया। आध्यात्मिक त्रिकोण का पहला पड़ाव महेश्वर या महिष्मती है, जो ऐतिहासिक महत्व के साथ मध्य प्रदेश के शांत और मनोरम स्थलों में से एक है और यह इंदौर शहर से 90 किलोमीटर दूर है। शहर का नाम भगवान शिव/ महेश्वर के नाम पर है, जिसका उल्लेख महाकाव्य रामायण और महाभारत में भी मिलता है।
वेबिनार प्रस्तुतकर्ताओं ने रानी राजमाता अहिल्या देवी होल्कर के जीवन और उनके समय के बारे में भी विस्तार से बताया। प्रस्तुतकर्ताओं ने बताया कि इंदौर शहर नर्मदा नदी के उत्तरी किनारे पर है। मराठा होलकर शासनकाल के दौरान 6 जनवरी 1818 तक यह मालवा की राजधानी थी, इसके बाद मल्हार राव होल्कर तृतीय ने राजधानी को इंदौर स्थानांतरित कर दिया था। उन्होंने बताया कि अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में महान मराठा रानी राजमाता अहिल्या देवी होल्कर ने महेश्वर को अपनी राजधानी बनाया। उन्होंने कई इमारतों और सार्वजनिक स्थलों का निर्माण कराकर शहर को सजाया और यहां उनके महल के साथ ही कई मंदिर, एक किले और नदी के कई घाट हैं। प्रस्तुतकर्ताओं ने बताया कि रानी राजमाता अहिल्या देवी होल्कर अपनी सादगी के लिए भी जानी जाती थीं, यह वहां के रजवाड़ा या रॉयल निवास को देखने से साफ हो जाता है, जहां रानी अपने लोगों से मिलने के लिए दो मंजिला इमारत में जाती थीं, पर्यटक आज भी वहां के तत्कालीन शाही व्यवस्था को रानी से संबंधित चीजों के रूपमें देख सकते हैं और अनुभव कर सकते हैं।
अहिल्येश्वर मंदिर जहां अहिल्या देवी पूजा-पाठ करती थीं, उसके पास विठ्ठल मंदिर ऐसी जगह है, जहां पर्यटक पूजा-पाठ और उनकी वास्तुकला की प्रशंसा करने के लिए जरूर ठहर जाएंगे। राजमाता के निर्मित यहां लगभग 91 मंदिर हैं। महेश्वर में घाट सूर्योदय और सूर्यास्त की सुंदरता को देखने के लिए सबसे अच्छे स्थान हैं और किले का परिसर भी अहिल्या घाट से देखा जा सकता है। पर्यटक यहां नौकायान का भी मज़ा ले सकते हैं। शाम को सूर्यास्त के बाद नाविक नर्मदा नदी की स्तुति में छोटे-छोटे दीए जलाते हैं। भगवान शिव को समर्पित बाणेश्वर मंदिर महेश्वर के खास मंदिरों में से एक है, जिसका शाम को सूर्यास्त के बाद दर्शन किया जा सकता है। नर्मदा घाट पर सूर्यास्त के बाद नर्मदा की आरती की जाती है। कपड़ा यहां का एक और महत्वपूर्ण पहलू है, जो अहिल्या देवी ने विकसित किया था। उन्होंने सूरत और दक्षिण भारत के बेहतरीन बुनकरों को साड़ी बुनाई के लिए आमंत्रित किया था, जो आज के दौर में मौजूद साड़ियों में अद्वितीय हैं। इनपर इस्तेमाल किए गए डिजाइन किले की वास्तुकला और नर्मदा नदी से प्रेरित हैं। इन साड़ियों को शाही मेहमानों को उपहार में दिया जाता था।
राजमाता अहिल्या देवी होल्कर कला की एक उदार संरक्षक थीं। उन्हें साड़ियां बेहद पसंद थीं और 1760 में उन्होंने सूरत के प्रसिद्ध बुनकरों को अपने राज्य को शाही परिवार के योग्य बढ़िया कपड़ों से समृद्ध करने के लिए बुलाया था। देशी रियासतों के तहत बुनकर कलाएं आज के महेश्वरी कपड़ों में पनपी और विकसित हुई हैं। वर्ष 1950 में जब कपास की बुनाई के साथ रेशम का इस्तेमाल किया जाने लगा तो फिर यह धीर-धीर प्रचलन में आ गया। वर्ष 1979 में रहवा सोसायटी की स्थापना की गई, जो एक गैर लाभकारी संगठन है और यह महेश्वर के बुनकरों के कल्याण के लिए काम करती है। ओंकारेश्वर में 33 देवता हैं, दिव्य रूपमें 108 प्रभावशाली शिवलिंग हैं और यह नर्मदा के उत्तरी तट पर एकमात्र ज्योतिर्लिंग है। ओंकारेश्वर इंदौर से 78 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश का एक आध्यात्मिक शहर है। ममलेश्वर मंदिर के दर्शन के बिना ओंकारेश्वर मंदिर की यात्रा अधूरी है, यह भी माना जाता है कि भगवान शिव प्रतिदिन विश्राम करने के लिए यहां आते हैं और हर रोज शाम को साढ़े आठ बजे शयन आरती नामक एक विशेष आरती की जाती है और भगवान शिव तथा देवी पार्वती के लिए पासा के खेल की व्यवस्था भी की जाती है। यहां सिद्धनाथ मंदिर सबसे सुंदर मंदिर है। इस दिव्य मंदिर का दर्शन करने के लिए निश्चित रूपसे मौका निकालना चाहिए।
मध्य प्रदेश राज्य के धार जिले में मांडू को मांडवगढ़, शादियाबाद यानी आनंद का शहर नाम से भी जाना जाता है। यह इंदौर से लगभग 98 किलोमीटर दूर और 633 मीटर की ऊंचाई पर है। मांडू के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन रतलाम से 124 किलोमीटर पर है। मांडू का किला 47 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है और चारों तरफ से किले की दीवार की लंबाई 64 किलोमीटर है। मांडू मुख्य रूपसे सुल्तान बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी के लिए जाना जाता है। एक बार जंगल में शिकार करने के बाद लौटने के दौरान सुल्तान बाज बहादुर ने अपने दोस्तों के साथ एक चरवाहे की लड़की रूपमती को गाते देखा, उसकी मोहक सुंदरता और सुरीली आवाज से वे काफी प्रभावित हुए और तब उन्होंने रूपमती को अपनी राजधानी में उनके साथ चलने के लिए आग्रह किया। रूपमती इस शर्त पर मांडू जाने के लिए तैयार हुई कि उसे महल में ऐसी जगह रहने को दी जाए, जहां से वो हर रोज अपनी प्रिय और मन्नतें पूरी करने वाली नदी नर्मदा के दर्शन कर सके, इसलिए मांडू में रीवाकुंड बनाया गया।
रानी रूपमती की सुंदरता और मधुर आवाज़ के बारे में जानने के बाद मुगलों ने मांडु पर आक्रमण करके बाज़ बहादुर और रूपमती दोनों पर कब्जा करने का फैसला किया। मुगलों के सामने मांडु आसानी से हार गया और जब विजयी मुगल सेना ने किले की ओर कूच किया तो उनकी गिरफ्त में आने से बचने के लिए रूपमती ने ज़हर खाकर अपनी जा दे दी थी। सोलहवीं सदी में बना बाज बहादुर का महल बड़े आंगन और ऊंचे चबूतरों के साथ बड़े प्रांगन के लिए प्रसिद्ध है। यह रूपमती के मंडप के नीचे है और इसे मंडप से देखा जा सकता है। रानी रूपमती के मंडप में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बाज बहादुर ने एक जलाशय बनवाया था। जलाशय मंडप के नीचे है, इसलिए इसे एक वास्तुशिल्प चमत्कार माना जाता है। दो कृत्रिम झीलों के बीच इस दो मंजिला भवन को वास्तुशिल्प चमत्कार का नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि यह पानी में तैरते हुए एक जहाज के रूपमें दिखाई देता है। सुल्तान गियास-उद-दीन-खल्जी की निर्मित यह दो मंजिला इमारत सुल्तान के लिए हरम के रूपमें कार्य करता था। इस सर्किट में यात्रा करते समय कोई भी पर्यटक पोहा, कचौरी, बाफला आदि जैसे स्थानीय भोजन का स्वाद लिए बिना नहीं कर सकता है।
वेबिनार का समापन करते हुए पर्यटन मंत्रालय में अपर महानिदेशक रूपिंदर बराड़ ने यात्रा के महत्व के बारे में बताया और इस दौरान मिलने वाले अनमोल आनंद अनुभव को भी साझा किया। वेबिनार के सभी सत्र भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के सभी सोशल मीडिया हैंडल पर भी उपलब्ध हैं। गौरतलब है कि देखो अपना देश वेबिनार श्रृंखला एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत भारत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है और यह वर्चुअल मंच के माध्यम से लगातार एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रसार कर रहा है। वेबिनार श्रृंखला के सत्र https://www.youtube.com/channel/UCbzIbBmMvtvH7d6Zo_ZEHDA/featured, http://tourism.gov.in/dekho-apna-desh-webinar-ministry-tourism और https://www.incredibleindia.org/content/incredible-india-v2/en/events/dekho-apna-desh.html लिंक पर उपलब्ध हैं।

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