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रेड स्क्वायर पर दिखी भारत-रूस दोस्ती

विजय परेड में भारतीय सैन्य टुकड़ी ने भी किया मार्चपास्ट

रूस की 75 वीं विजय दिवस परेड में शामिल हुए रक्षामंत्री

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 24 June 2020 05:45:19 PM

indian tri-service contingent taking part in the victory day parade

मॉस्को। रूस के विजय दिवस समारोह में भारत भी शामिल हुआ। इस अवसर पर रूस की सैन्य परेड में भारतीय सैन्य टुकड़ी ने भी शानदार मार्चपास्ट किया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इस समय रूस की यात्रा पर हैं और उन्होंने रूस की विजय दिवस परेड में हिस्सा लिया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की इस रूस यात्रा का संबंध रक्षा डील के तहत अत्याधुनिक मिसाइल और दूसरे अन्य मारक हथियारों को जल्द से जल्द भारत को सौंपने से भी है। रक्षामंत्री ने मीडिया को एक वक्तव्य भी दिया, जिसमें उन्होंने यह कहा कि वे रूस के रक्षा मंत्रालय के निमंत्रण पर रूस की विजय दिवस परेड की 75वीं वर्षगांठ में शामिल होने आए हैं, जोकि रूस और पूरी दुनिया के लिए शुभ अवसर है। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी से जीत हासिल करने के लिए रूसी लोगों के असीम बलिदान को याद करते हुए उन्‍हें श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लाखों भारतीय सैनिकों ने भी इस युद्ध में भाग लिया था और उन्‍हें भी अपार जनहानि का सामना करना पड़ा था, उनमें से कई युद्ध के दौरान सोवियत सेना को सहायता प्रदान करने के प्रयासों से जुड़े थे, इसलिए यह एक सम्मान की बात है कि मॉस्को के रेड स्क्वायर पर भारतीय सैन्य टुकड़ी ने भी मार्चपास्ट किया है, जोकि भारत-रूस के सशस्त्रबलों के बीच चिरस्थायी मित्रता का प्रतीक है। गौरतलब है कि रूस की राजधानी मॉस्को में रेड स्क्वायर पर राष्ट्रीय अवसरों पर रूसी सैनिक अपनी शौर्यगाथा का प्रदर्शन किया करते हैं। कोविड वैश्विक महामारी के बाद भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और उनके आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल की मॉस्‍को की यह पहली विदेश यात्रा है।
भारत के रक्षामंत्री ने कहा कि यह परेड भारत-रूस की विशेष मित्रता की निशानी है और कोरोना महामारी की तमाम कठिनाइयों के बावजूद हमारे द्विपक्षीय संबंध विभिन्न स्तरों पर अच्छे संपर्क बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि हम इस वर्ष के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। रक्षामंत्री ने कहा कि भारत-रूस संबंध एक विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी हैं, हमारा रक्षा संबंध इसका एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। उन्होंने कहा कि मुझे रूस के उप प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव के साथ अपने रक्षा संबंधों की समीक्षा करने का अवसर मिला और हमारी चर्चा काफी सकारात्मक रही। राजनाथ सिंह ने कहा कि मुझे आश्‍वस्‍त किया गया है कि मौजूदा अनुबंधों को बरकरार रखा जाएगा और न केवल बरकरार रखा जाएगा, बल्कि कई मामलों में इन्‍हें कम समय में आगे बढ़ाया जाएगा।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे सभी प्रस्तावों पर रूसी पक्ष की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है और मैं अपनी चर्चाओं से पूरी तरह संतुष्ट हूं। राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भारत और रूस के बीच पारंपरिक मित्रता मजबूत है और रहेगी, हमारे पारस्‍परिक हित ठोस हैं और हम हमारी विशेष मित्रता की भावना के साथ भविष्य में ऐसा ही सहयोग जारी रहने की अपेक्षा करते हैं। उन्होंने रूस के नागरिकों को अपनी शुभकामनाएं दीं और साझा सुरक्षा में उल्‍लेखनीय योगदान के लिए धन्यवाद भी किया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रूसी उप प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव के साथ भारत-रूस रक्षा सहयोग की भी समीक्षा की। उप प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव व्यापार और आर्थिक और वैज्ञानिक सहयोग पर भारत के साथ अंतर-सरकारी आयोग के सह अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर रक्षामंत्री के साथ उच्चस्तरीय समिति की सह अध्यक्षता भी की। रक्षामंत्री ने कहा कि भारत-रूस द्विपक्षीय संबंध विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक भागीदारी का आनंद लेते हैं और दोनों देशों के रक्षा संबंध महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
भारत के रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने अपने समकक्ष उप रक्षामंत्री कर्नल जनरल अलेक्जेंडर फोमिन के साथ चर्चा की। उन्होंने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय विकास के मुद्दों पर चर्चा की। गौरतलब है कि रूस ने विश्व में अपना स्थान एक प्रमुख शक्ति के रूपमें स्‍थापित किया हुआ है। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ विश्व का सबसे बड़ा साम्यवादी देश बना, यहां के इतिहास में साम्यवादी विचारधारा को विश्व भर में फैलाया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ एक प्रमुख रणनीतिक और राजनीतिक शक्ति बनकर सामने आया। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ इसकी वर्षों पुरानी प्रतिस्पर्धा है, जिसमें सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक और तकनीकी क्षेत्रों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ है। रूस 1970 के दशक से आर्थिक रूपसे कमजोर होता चला गया और एक समय बाद इसका विघटन हो गया, जिसके फलस्वरूप रूस, सोवियत संघ का सबसे बड़ा राज्य बना और रूस अपनी पुरानी शक्ति को प्राप्त करने में अत्यंत सफल हुआ है, जिसका श्रेय रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को जाता है।

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