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समय की कसौटी पर खरे उतरे भारत-बांग्लादेश

आर्थिक केंद्रों से सटे राज्यों की कनेक्टिविटी में होगा सुधार

भारत-बांग्लादेश में प्रोटोकॉल रूटों का हुआ नवीकरण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 21 May 2020 01:25:07 PM

india-bangladesh flag

नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश के बीच अंतरदेशीय जलमार्गों के जरिए पारगमन एवं व्यापार पर दीर्घकालिक प्रोटोकॉल समय की कसौटी पर खरा उतरा है। यह 1972 में बांग्लादेश की आजादी के बाद दोनों देशों के बीच साझा इतिहास और मित्रता का प्रतिबिंब सिद्ध हुआ। अंतिम बार इसका 2015 में पांच वर्ष के लिए नवीकरण किया गया था, जिसमें विभिन्न हितधारकों को दीर्घकालिक आश्वासन देते हुए पांच वर्ष की अवधि के लिए इसके आटोमैटिक नवीकरण का प्रावधान किया गया था। गौरतलब है कि प्रोटोकॉल पर स्थायी समिति एवं जहाजरानी सचिव स्तर बातचीत दोनों मित्र पड़ोसियों के बीच चर्चा करने एवं प्रोटोकॉल को और प्रभावी बनाने के लिए संस्थागत व्यवस्था है।
अक्तूबर 2018 में नई दिल्ली में एवं दिसंबर 2019 में ढाका में हुई बैठकों में भारत-बांग्लादेश के बीच प्रोटोकॉल रूटों के विस्तार, नए रूटों के समावेश एवं दोनों देशों के बीच व्यापार को सुगम बनाने के लिए नए पोर्टस ऑफ कॉल की घोषणा को लेकर प्रमुख निर्णय लिए गए थे। इन निर्णयों को प्रोटोकॉल के द्वितीय परिशिष्ट पर हस्ताक्षर करने के साथ और प्रभावी बना दिया गया है। भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूटों की संख्या 8 से बढ़ाकर 10 कर दी गई है और वर्तमान रूटों पर नए लोकेशन भी जोड़े जा रहे हैं। प्रोटोकॉल में आईबीपी रूट संख्या 9 और 10 के रूपमें गुम्ती नदी के सोनामुरा-दौदखंडी विस्तार का समावेशन त्रिपुरा और भारत-बांग्लादेश के आर्थिक केंद्रों से सटे राज्यों की कनेक्टिविटी में सुधार लाएगा और दोनों देशों के परिक्षेत्र की सहायता करेगा। यह रूट 1 से लेकर 8 तक सभी वर्तमान आईबीपी रूटों को कनेक्ट करेगा।
राजशाही-धुलियन-राजशाही रूटों का प्रचालन और अरिचा तक उनका विस्तार बांग्लादेश में अवसंरचना के संवर्द्धन में सहायता करेगा, क्योंकि यह इस रूट के जरिये बांग्लादेश के उत्तरी हिस्से तक स्टोन चिप्स/ एग्रगेट की परिवहन लागत में कमी लाएगा। यह दोनों तरफ लैंड कस्टम स्टेशनों पर भीड़भाड़ भी कम करेगा। रूट संख्या कोलकाता-शिलघाट-कोलकाता तथा कोलकाता-करीमगंज-कोलकाता को भारत में कोलाघाट को जोड़ा गया है। रूट संख्या कोलकाता-करीमगंज-कोलकाता तथा करीमगंज-शिलघाट-करीमगंज को भारत में बदरपुर तक विस्तारित कर दिया गया है। इन रूटों में बांग्लादेश में घोरासाल को भी जोड़ा गया है। भारत और बांग्लादेश में वर्तमान में प्रोटोकॉल के तहत छह-छह पोर्टस ऑफ काल हैं। पांच और पोर्टस ऑफ काल तथा दो और विस्तारित पोर्टस ऑफ काल जोड़े गए हैं, जिससे प्रत्येक देश में संख्या बढ़कर 11 पोर्टस ऑफ काल तथा दो विस्तारित पोर्टस ऑफ काल हो गई है।
भारत-बांग्लादेश में नए पोर्टस ऑफ काल के रूपमें भारत में जोगीगोफा और बांग्लादेश में बहादुराबाद का समावेशन मेघालय, असम एवं भूटान को कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। जोगीगोफा भी महत्वपूर्ण बन जाएगा, क्योंकि वहां एक मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क बनाए जाने का प्रस्ताव है। नए पोर्टस ऑफ काल भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट पर ट्रांसपोर्ट किए जाने वाले कार्गो की लोडिंग एवं अनलोडिंग में सक्षम बनाएंगे और यह नए लोकेशन तथा उनके परिक्षेत्र के आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन प्रदान करेगा। पथप्रदर्शक विकास के रूपमें दोनों देशों ने शैलो ड्राफ्ट मेकैनाइज्ड पोत के उपयोग के जरिये चिलमारी बांग्लादेश एवं धुबरी भारत के बीच व्यापार आरंभ करने पर सहमति जताई है, बशर्ते कि प्रोटोकॉल के अनुच्छेद 1.3 के प्रावधानों के अनुरूप बांग्लादेश के जलमार्ग, जहाजरानी अध्यादेश 1976 एवं भारत के जलमार्ग पोत अधिनियम के तहत पंजीकृत हों और सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करते हों।
यह पहल स्टोन चिप्स एवं अन्य भूटानी तथा बांग्लादेश को पूर्वोत्तर कार्गो के निर्यात की अनुमति देगी और व्यापारियों के लिए बांग्लादेश के परिक्षेत्र तक पहुंच को सुगम बनाएगी, जिससे बांग्लादेश एवं भारत के निचले असमी क्षेत्र में स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। प्रोटोकॉल के तहत दोनों देशों के अंतरदेशीय पोत नामित प्रोटोकॉल रूट पर चल सकते हैं और कार्गो की लोडिंग/ अनलोडिंग के लिए अधिसूचित प्रत्येक देश के पोर्टस ऑफ काल में गोदी में खड़े हो सकते हैं। प्रोटोकॉल रूट पर संगठित तरीके से कार्गो पोतों की आवाजाही में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जो भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को पारगमन कार्गो एवं बांग्लादेश को निर्यात कार्गो दोनों की ढुलाई करते हैं। भारतीय पारगमन कार्गो मुख्य रूपसे पूर्वोत्तर क्षेत्र में बिजली परियोजनाओं के लिए कोयला, फ्लाई ऐश, पीओएल एवं ओडीसी होता है।
आवाजाही के लिए संभावित कार्गो उर्वरक, सीमेंट, खाद्यान्न, कृषि उत्पाद, कंटेनरीकृत कार्गो आदि होते हैं। भारत से बांग्लादेश को निर्यात कार्गो मुख्य रूपसे फ्लाई ऐश होता है, जो 30 लाख एमटी सालाना तक होता है। सालाना लगभग 638 अंतरदेशीय पोतों ने लगभग 4000 लोडेड यात्राएं कीं। ऐसी उम्मीद की जाती है कि प्रोटोकॉल में संशोधन बेहतर विश्वसनीयता एवं लागत प्रभावी तरीके से दोनों देशों के बीच व्यापार को और सुगम बनाएंगे। अंतरदेशीय जल पारगमन एवं व्यापार पर प्रोटोकॉल के द्वितीय परिशिष्ट 2020 पर भारत की तरफ से बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त एवं बांग्लादेश की तरफ से सचिव जहाजरानी ने 20 मई 2020 को हस्ताक्षर किए।

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