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'भारत के सामने हैं अर्थव्यवस्था के कई अवसर'

आखिर मोदी ने ही किए विदेशी अंतः क्षेत्रों के विनिमय करार

भारत-बांग्लादेश वर्चुअल कॉंफ्रेंस में बोले डॉ जितेंद्र सिंह

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 12 May 2020 05:30:00 PM

dr. jitendra singh spoke at the india-bangladesh virtual conference

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि कोविड के बाद भारत के सामने अर्थव्यवस्था, व्यापार, वैज्ञानिक अनुसंधान एवं कई अन्य क्षेत्रों में नई और महत्वपूर्ण खोजों की संभावना के साथ नए प्रतिमान उभरकर सामने आएंगे। एसोचैम, बांग्लादेश के वाणिज्य मंत्री टीपू मुंशी, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनरेड संगमा और बांग्लादेश में उच्चायुक्त गांगुली दास की उपस्थिति में भारत-बांग्लादेश वर्चुअल कॉंफ्रेंस को संबोधित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले छह वर्ष में पूर्वोत्तर क्षेत्र ने पिछली कई गलतियों की क्षतिपूर्ति की है, क्योंकि पहलीबार इस क्षेत्र को देश के अन्य क्षेत्रों के समान ध्यान प्राप्त हुआ है, इसने न केवल लोगों के बीच विश्वास का संचार किया है, बल्कि भारत के अन्य भागों के साथ विभिन्न स्तरों पर समस्त पूर्वी सीमाओं के देशों के साथ भी सम्बद्ध होने की क्षमता में बढ़ोतरी की है।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि जहां तक बांग्लादेश का सवाल है तो विदेशी अंतः क्षेत्रों के विनिमय के लिए भारत-बांग्लादेश करार, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संपन्न किया गया, ने व्यवसाय करने की सरलता, आवाजाही की सुगमता और अभिगमन की सुगमता का रास्ता प्रशस्त कर दिया था, जो पहले एक मुश्किल कार्य था। उन्होंने कहा कि यह कार्य बांग्लादेश के जन्म के साथ ही साढ़े चार दशक पूर्व हो जाना चाहिए था, लेकिन ये शायद पहले की सरकारों की प्राथमिकता में नहीं था। डॉ जितेंद्र सिंह ने दोनों देशों के बीच पारंपरिक मैत्रीपूर्ण संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि कई अन्य देशों के साथ व्यवसाय करने की तुलना में बांग्लादेश के साथ व्यवसाय करना कहीं अधिक आसान है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त पूर्वोत्तर क्षेत्र को दोनों देशों के बीच व्यापार एवं व्यवसाय को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करना है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि उभरते परिदृश्य में बांस न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे उपमहाद्वीप विशेष रूपसे बांग्लादेश जैसे पूर्वी देशों के लिए व्यापार का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनने जा रहा है। उन्होंने कई मदों का उल्लेख किया, जिन्हें दोनों देशों के बीच लोकप्रिय व्यापार के लिए बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए निर्यात हेतु इनमें कोयला, अदरक, नींबू वर्गीय फल आदि तथा आयात के लिए सीमेंट, प्लास्टिक, पीवीसी पाइप आदि शामिल हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय से सभी संभव सहायता उपलब्ध कराने की पेशकश करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने एसोचैम जैसे व्यापार एवं व्यवसाय संगठनों से सामने आने और परस्पर लाभ के साथ नए उद्योगों एवं व्यवसाय इकाइयों के संवर्धन के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल को सुगम बनाने की अपील की। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि जहां सरकार एक सक्षमकारी भूमिका निभा सकती है, व्यापार एवं उद्योग निकाय संसाधनों एवं पूंजी के अंतराल को भरने के लिए आगे आ सकते हैं। एसोचैम के पदाधिकारी विनीत अग्रवाल एवं दीपक सूद ने भी कॉंफ्रेंस को संबोधित किया।

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