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भारत ने बदली प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति

भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण एवं नियंत्रण सीधे नहीं

भारत के सीमावर्ती देशों के लिए निवेश नीति सख्त हुई

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 19 April 2020 10:38:10 AM

india changed foreign direct investment policy

नई दिल्ली। भारत सरकार ने कोविड-19 महामारी की वजह से भारतीय कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण एवं नियंत्रण में लेने से रोकने के लिए मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति की समीक्षा करते हुए समग्र एफडीआई नीति-2017 में निहित मौजूदा एफडीआई नीति के पैरा 3.1.1 में संशोधन कर दिया है, जिससे अब भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण और नियंत्रण से पूर्व भारत सरकार से अनुमति लेनी होगी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने इस संबंध में प्रेस नोट नंबर 3 (2020 सीरीज) जारी किया है। इन मामलों में वर्तमान स्थिति और संशोधित स्थिति इस प्रकार होगी-पैरा 3.1.1: कोई भी अनिवासी निकाय या कंपनी एफडीआई नीति के अंतर्गत भारत में निवेश कर सकती है।
अनिवासी निकाय द्वारा केवल उन सेक्टारों व गतिविधियों में निवेश करने की मनाही है, जो प्रतिबंधित हैं। हालांकि बांग्लादेश का नागरिक या बांग्लादेश में गठित कोई भी कंपनी केवल सरकारी रूट के तहत ही यहां निवेश कर सकती है। पाकिस्तान का भी कोई नागरिक या पाकिस्तान में गठित कोई भी कंपनी केवल सरकारी रूट के तहत रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और विदेशी निवेश के लिए प्रतिबंधित सेक्ट रों या गतिविधियों के अलावा अन्य सेक्टतरों या गतिविधियों में निवेश कर सकती है।
एफडीआई नीति के पैरा 3.1.1 में संशोधन स्थिति में पहला यह कि कोई भी अनिवासी निकाय या कंपनी एफडीआई नीति के अंतर्गत भारत में निवेश कर सकती है। अनिवासी निकाय को केवल उन सेक्ट रों में निवेश करने की मनाही है, जो प्रतिबंधित हैं। हालांकि एक ऐसे देश, जिसके साथ भारत की भूमि सीमा जुड़ी या मिली हुई है का कोई भी निकाय अथवा कंपनी या जहां भारत में किसी निवेश का लाभकारी मालिक अवस्थित है या इस तरह के किसी भी देश का नागरिक है, वह केवल सरकारी रूट के तहत ही यहां निवेश कर सकता है।
पाकिस्तान का कोई नागरिक या पाकिस्तान में गठित कोई भी कंपनी केवल सरकारी रूट के तहत रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और विदेशी निवेश के लिए प्रतिबंधित सेक्टकरों के अलावा अन्य गतिविधियों में निवेश कर सकती है। दूसरा कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूपसे भारत में किसी भी निकाय या कंपनी में किसी मौजूदा या भावी एफडीआई के स्वामित्व का हस्तांतरण होने की स्थिति में यदि लाभकारी स्वामित्व पैरा 3.1.1 (ए) की पाबंदी दायरे में आ जाता है तो लाभकारी स्वामित्व में बाद में होने वाले इस तरह के परिवर्तन के लिए भी सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होगी। यह निर्णय फेमा अधिसूचना की तारीख से प्रभावी माना जाएगा।

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