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'भारत को रक्षा उत्‍पादन क्षेत्र में आत्‍मनिर्भर बनाएं'

रक्षामंत्री ने की ओएफबी व रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों की समीक्षा

स्‍वदेशीकरण और निर्यात के अवसरों को तलाशने का अनुरोध किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 25 February 2020 04:10:47 PM

defense minister rajnath singh

नई दिल्‍ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम यानी हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड, भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स लिमिटेड, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड और भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड के कार्य प्रदर्शन की समीक्षा की। ओएफबी, एचएएल, बीईएल, बीईएमएल और बीडीएल के अधिकारियों ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्‍पादन विभाग के वरिष्‍ठ अधिकारियों के समक्ष अपनी वर्तमान एवं भावी परियोजनाओं के बारे में प्रस्‍तुतियां दीं। राजनाथ सिंह ने ओएफबी और इन डीपीएसयू की समग्र उपलब्धियों पर संतोष व्‍यक्‍त करते हुए उनसे वैश्विक बाज़ार में अपनी प्रतिस्‍पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयास करने का अनुरोध किया। उन्होंने स्‍वदेशीकरण के प्रयासों की सराहना करते हुए संबंधित अधिकारियों से मेक इन इंडिया से जुड़े और अधिक अवसरों की तलाश करने तथा भारत को रक्षा उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भर बनाने में मदद करने का आह्वान किया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अधिकारियों से कारोबारी मॉडल के ऐसे नए स्‍वरूपों की तलाश करने का भी अनुरोध किया, जिनमें रक्षा निर्यात बढ़ाने पर फोकस किया जाता हो। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि डीपीएसयू भारत को एक वैश्विक विनिर्माण हब के साथ-साथ विशुद्ध रूपसे एक निर्यातक बनाने में भी मुख्‍य भूमिका निभाएंगे। गौरतलब है कि ओएफबी का मुख्‍यालय कोलकाता में है और यह रक्षाबलों के लिए युद्ध क्षेत्र से जुड़े अत्‍याधुनिक उपकरणों, गोला-बारूद एवं अन्य सैन्य हार्डवेयर का निर्माण करता है, इसके साथ ही यह संबंधित कर्मियों को प्रशिक्षण देने और उत्‍पादन यूनिटों के आधुनिकीकरण में भी लगा हुआ है। ओएफबी ने स्‍वदेशीकरण पर फोकस करते हुए बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित 246 आवेदन किए हैं। आईडेक्‍स प्‍लेटफॉर्म के जरिए भारत के निजी उद्योगों के साथ मिलकर भावी प्रौद्योगिकियों का विकास करने पर भी ओएफबी फोकस कर रहा है। हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड ने पिछले पांच वर्ष में परिचालन एवं वित्त सहित कई मोर्चों पर निरंतर उल्‍लेखनीय प्रदर्शन किया है।
हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड ने सात प्‍लेटफॉर्मों पर परिचालन संबंधी स्‍वीकृति प्राप्‍त की है, जिनमें हल्का लड़ाकू विमान, हल्का लड़ाकू हेलि‍कॉप्टर, लाइट यूटिलिटी हेलि‍कॉप्टर, उन्नत हल्का हेलि‍कॉप्टर-हथियार प्रणाली एकीकृत ‘रुद्र’, 19 सीटों वाला डीओ-228 असैन्‍य विमान, जगुआर डैरिन III और मिराज का उन्‍नत संस्‍करण शामिल हैं। भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स लिमिटेड ने भी रणनीतिक महत्‍व वाली कई परियोजनाओं को सफलतापूर्वक कार्यांवित किया है, जिनमें भारतीय सेना के लिए हथियार का पता लगाने वाला रडार, आकाश मिसाइल प्रणाली, तटरक्षक बल के लिए तटीय निगरानी प्रणाली इत्‍यादि शामिल हैं। कंपनी ने वर्ष 2018-19 में 21.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात कारोबार किया। इसने जिन प्रमुख देशों को निर्यात किया है, उनमें स्विट्जरलैंड, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इजरायल, स्वीडन, फिनलैंड, सेशेल्स, मॉरीशस और वियतनाम शामिल हैं। भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड ने अब स्‍वयं को विभिन्‍न उत्‍पादों, विभिन्‍न उपभोक्‍ताओं और विभिन्‍न स्‍थानों वाले एक ऐसे उद्यम के रूपमें विकसित कर लिया है, जो अंतर्राष्‍ट्रीय गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरने वाले रक्षा उपकरणों का उत्‍पादन करती है। यह आकाश हथियार प्रणाली की एक प्रमुख समाकलक (इंटीग्रेटर) है। इसने भारतीय नौसेना को वरुणअस्‍त्र अथवा भारी वजन वाले टारपीडो की आपूर्ति के लिए 1,188 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्‍ताक्षर किए हैं।
डीआरडीओ ने वरुणअस्‍त्र की डिजाइनिंग कर इसे विकसित किया है और भारत डायनामिक्‍स लिमिटेड इसका निर्माण करती है। भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड ने मेक इन इंडिया पहल के जरिए पहलीबार 180 टन की क्षमता वाले सबसे बड़े पर्यावरण अनुकूल विद्युतीय उत्‍खनक (इलेक्‍ट्रि‍कल एक्‍सकवैटर), 150 टन एवं 190 टन की क्षमता वाले सबसे बड़े इलेक्‍ट्रि‍क ड्राइव डंप ट्रकों की डिजाइनिंग की है और इसे विकसित किया है, जो आयात का विकल्‍प हैं एवं जो हरित खनन को बढ़ावा देने में मददगार हैं, इसके साथ ही विदेशी मुद्रा की व्‍यापक बचत भी करते हैं। इसने आत्‍मनिर्भरता पर विशेष बल दिया है और प्रमुख खनन एवं निर्माण उत्‍पादों तथा रेल के डिब्‍बों एवं ईएमयू में 90 प्रतिशत से भी अधिक, हाई मोबिलिटी व्‍हीकल में 80 प्रतिशत से भी ज्‍यादा और मेट्रो कारों में 65 प्रतिशत से भी अधिक स्‍वदेशीकरण स्‍तर हासिल कर लिया है। यह कंपनी स्‍वदेशीकरण के और भी अधिक उच्‍चस्‍तर को हासिल करने के लिए सरकार की शून्‍य आयात नीति की दिशा में काम कर रही है।

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