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दादरा व दमन दीव का यूटी बिल पारित हुआ

विलय से क्षेत्रों का होगा त्वरित विकास-गृह राज्‍यमंत्री

प्रशासन सेवा शर्तों और आरक्षण में कोई बदलाव नहीं

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 4 December 2019 02:16:51 PM

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नई दिल्ली। दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव केंद्रशासित प्रदेशों का विलय विधेयक-2019 संसद में पारित हो गया है। केंद्रीय गृह राज्‍यमंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्‍यसभा में कहा कि अधिकारियों एवं कर्मचारियों के सार्थक उपयोग, प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने, प्रशासनिक व्‍यय को कम करने, बेहतर सेवाएं मुहैया कराने और सरकारी योजनाओं की और भी बेहतर निगरानी सुनिश्चित करने की आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखते हुए केंद्रशासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव के विलय के लिए यह विधेयक लाया गया है। उन्‍होंने कहा कि इससे कर्मचारियों का बेहतर कैडर प्रबंधन भी सुनिश्चित होगा। गृह राज्‍यमंत्री ने कहा कि प्रशासन एवं सेवा शर्तों और आरक्षण में कोई बदलाव नहीं होगा, इसी तरह समूह तीन और चार के कर्मचारियों की स्थिति में भी कोई बदलाव नहीं होगा।
केंद्रीय गृह राज्‍यमंत्री ने कहा कि विलय से प्रशासन में सहूलियत होगी, त्‍वरित विकास होगा और केंद्र एवं राज्‍य सरकार की योजनाओं का प्रभावकारी कार्यांवयन हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इस नए केंद्रशासित प्रदेश का नाम ‘दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव’ होगा और यह बॉम्‍बे हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार में शासित होगा। संशोधन करने के औचित्‍य के बारे में गृह राज्‍यमंत्री ने कहा कि फिलहाल दो सचिवालय एवं समानांतर विभाग हैं, जो प्रत्‍येक केंद्रशासित प्रदेश की बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, कर्मचारियों एवं अधिकारियों का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशास‍क, सचिवालय और कुछ विशेष विभागों के प्रमुख वैकल्पिक दिवसों पर दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में काम करते हैं, जिससे लोगों तक उनकी उपलब्‍धता और अधीनस्‍थ कर्मचारियों के कामकाज की निगरानी प्रभावित होती है।
गृह राज्‍यमंत्री ने कहा कि दोनों केंद्रशासित प्रदेशों के अधीनस्‍थ कर्मचारी अलग-अलग हैं, भारत सरकार के विभिन्‍न विभागों को दोनों केंद्रशासित प्रदेशों के साथ अलग-अलग सामंजस्‍य स्‍थापित करना पड़ता है, जिससे कामकाज में दोहराव की स्थिति पैदा होती है। गृह राज्‍यमंत्री ने कहा कि दो भिन्‍न संवैधानिक एवं प्रशासनिक निकाय रहने से कामकाज में दोहराव एवं अक्षमता की स्थिति पैदा होती है, अपव्‍यय होता है, सरकार पर अनावश्‍यक वित्तीय बोझ पड़ता है, यही नहीं कर्मचारियों के कैडर प्रबंधन और करियर में प्रगति के मार्ग में भी विभिन्‍न चुनौतियां आती हैं। उन्‍होंने कहा कि अब अपेक्षाकृत अधिक अधिकारियों की उपलब्‍धता के साथ-साथ ज्‍यादा बुनियादी ढांचागत सुविधाएं मिलने से सरकार की प्रमुख योजनाओं का बेहतर ढंग से कार्यांवयन करने में मदद मिलेगी। 

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