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देश-दुनिया में बुद्ध पूर्णिमा पर शुभकामनाएं!

राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री की पूर्व संध्या पर बधाईयां

'भगवान बुद्ध शांति प्रेम करुणा एवं आध्यात्मिक शक्तिपुंज'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 17 May 2019 03:57:14 PM

buddha purnima

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत राज्यों के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, राजनेताओं और बौद्धधर्मावलंबियों ने बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर देशवासियों को बधाई दी है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने अपने-अपने संदेशों में कहा है कि भगवान बुद्ध इस धरती पर अवतरित होने वाले सबसे महान पथप्रदर्शक, शांति, प्रेम, करुणा और आध्यात्मिक शक्तिपुंज थे, उनका अहिंसा और करुणा का शाश्वत संदेश युग युगांतर तक दुनियाभर में मानवता को प्रेरित करता रहेगा।
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने कहा कि वे बुद्ध पूर्णिमा पर देशवासियों और देश-दुनिया में जहां-तहां मौजूद भगवान बुद्ध के अनुयाईयों को बधाई और शुभकानाएं देते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध इस धरती पर अवतरित सबसे महान आध्‍यात्मिक प्रणेताओं में से थे, उन्‍होंने शाश्वत सत्‍य का उपदेश दिया था, अहिंसा और करुणा का उनका शाश्‍वत संदेश दुनियाभर में मानवता को मिलजुलकर एक बेहतर जीवन जीने तथा एक शांतिपूर्ण, समावेशी और स्थिर विश्‍व के निमार्ण के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने आह्वान किया कि आइए इस अवसर पर हमसब मिलकर भगवानबुद्ध के दिखाए गए धर्म करुणा और वैश्विक सौहार्द के मार्ग का अनुसरण करने की अपनी प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त करें।
गौरतलब है कि दुनिया के 200 से अधिक देशों में बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैंड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, लाओस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 13 देशों में बौद्ध धर्म वहां का प्रमुख धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोड़ों बौद्ध अनुयायी हैं। यह एक महान पर्वहै, जो त्यौहार की तरह विश्व के कई देशों में मनाया जाता है। भारत में बिहार प्रांत में बोधगया में हिंदू और बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान हैं। गृहत्याग के पश्चात भगवान बुद्ध अर्थात सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए सात वर्ष तक वन में भटकते रहे। यहीं पर उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई।
भगवान बुद्ध की इसी दिन से बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है। बुद्ध पूर्णिमा पर बुद्ध की महापरिनिर्वाणस्थली कुशीनगर में महापरिनिर्वाण विहार में एक माह का मेला लगता है। श्रीलंका और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में यह दिन वेसाक उत्सव के रूपमें मनाया जाता है, जो 'वैशाख' शब्द का अपभ्रंश है। इस दिन बौद्ध अनुयाई घरों में दीपक जलाते हैं और फूलों से घर को सजाते हैं। विश्वभर से बौद्धधर्म के अनुयाई बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएं करते हैं। इस दिन बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ भी किया जाता है। बौद्ध विहारों और घरों में भगवान बुद्ध की मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाए जाते हैं और दीपक जलाकर उनकी पूजा की जाती है, बोधिवृक्ष की शाखाओं को हार और रंगीन पताकाओं से सजाया जाता है, वृक्ष के आसपास दीपक जलाकर उसकी जड़ों में दूध एवं सुगंधित जल डाला जाता है। दिल्ली में बुद्ध संग्रहालय में इस दिन बुद्ध की अस्थियों को बाहर प्रदर्शित किया जाता है, जिससे कि बौद्ध धर्मावलंबी वहां आकर प्रार्थना कर सकें और आध्यात्मिक संतुष्टि प्राप्त कर सकें।

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