ऋतुराज आ गए हैं। वे हर बरस आते हैं। दिग्दिगिंत महकाते हुए। उनका सुस्वागतम् है। प्रकृति यौवन उमंग में है, ऋतुराज की अगवानी में। प्रकृति सदाबहार अल्हड़ नायिका है। नदियां हंसती नृत्य करती बहती हैं, मनुष्य आनंदित होता है, सो नदियों के तट पर उत्सव नृत्य और संकीर्तन। प्रकृति जहां-जहां, जब-जब आनंदित करती है तब-तब, वहां-वहां उत्सव,...
प्रतीक्षा, मिलन और विरह की अविरल सहेली, निर्मल और लज्जा से सजी-धजी नवयौवना की आसमान छूती खुशी, आदिकाल से कवियों की रचनाओं का श्रृंगार कर, उन्हें जीवंत करने वाली ‘कजरी’ सावन की हरियाली बहारों के साथ तेरा स्वागत है। मौसम और यौवन की महिमा का बखान करने के लिए परंपरागत लोकगीतों का भारतीय संस्कृति में कितना महत्व है-कजरी इसका...
जलवायु परिवर्तन को आज मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा है। माह दिसम्बर 2009 में ही डेनमार्क, कोपेहेगन में होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन समझौते को इसे रोकने की दिशा में मील के पत्थर के रूप में देखा जा रहा है। धरती की सतह पर बढ़ते तापमान को दो डिग्री सेंटीग्रेड से कम रखने के लिए पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय शासकीय, आर्थिक और शैक्षिक स्तरों पर इसे लेकर विचार-विमर्श...