आईसीसी महिला विश्वकप चैंपियन की प्रधानमंत्री से भावनात्मक मुलाकात
विश्वकप में महिला क्रिकेटरों की कड़ी मेहनत रंग लाई, बधाई व शुभकामनाएं!स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 6 November 2025 04:36:05 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केसाथ आईसीसी महिला विश्वकप-2025 चैंपियन टीम की बड़ी ही भावनात्मक मुलाकात हुई। बीते दिनों महिला क्रिकेट में भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका की टीम से एक रोमांचक मुकाबले में जीत हासिल की है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम के कोच अमोल मजूमदार ने प्रधानमंत्री से प्रेरक संवाद करते हुए कहाकि उनसे मिलना उनके लिए सम्मान और सौभाग्य की बात है। अमोल मजूमदार ने इन महिला क्रिकेट खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत को देश की बेटियों के चलाए जा रहे एक अभियान के रूपमें रेखांकित किया और पिछले दो वर्ष में उनके असाधारण समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहाकि लड़कियों ने हर अभ्यास सत्र में उल्लेखनीय तीव्रता और ऊर्जा केसाथ खेला और उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई है। कैप्टन हरमनप्रीत कौर ने 2017 में प्रधानमंत्री से बिना ट्रॉफी के हुई मुलाकात को याद करते हुए कहाकि अब वह ट्रॉफी उन्हें सौंपकर उन्हें बहुत गर्व महसूस हो रहा है, जिसके लिए उन्होंने वर्षों तक कड़ी मेहनत की। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री ने उनकी खुशी दोगुनी कर दी है और यह उनके लिए बहुत गर्व की बात है, उनका लक्ष्य भविष्य में भी उनसे मिलते रहना और उनके साथ टीम की तस्वीरें खिंचवाना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला क्रिकेट खिलाड़ियों की उपलब्धि की सराहना करते हुए कहाकि उन्होंने सचमुच कुछ महान हासिल किया है। उन्होंने कहाकि भारत में क्रिकेट सिर्फ़ एक खेल नहीं, बल्कि लोगों के जीवन का एक हिस्सा है। उन्होंने कहाकि जब क्रिकेट अच्छा चलता है तो देश उत्साहित महसूस करता है और थोड़ी सीभी असफलता पूरे देश को झकझोर देती है। उन्होंने जिक्र कियाकि कैसे लगातार तीन मैच हारने केबाद टीम को ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। हरमनप्रीत कौर ने दोहरायाकि 2017 में फाइनल हारने केबाद वे प्रधानमंत्री से मिली थीं, लेकिन उन्होंने उन्हें अगला मौका मिलने पर अपना सर्वश्रेष्ठ देने केलिए प्रेरित किया था। उन्होंने ट्रॉफी जीतने और उनसे दोबारा बात करने का मौका मिलने पर खुशी जताई। प्रधानमंत्री ने स्मृति मंधाना को अपने विचार साझा करने केलिए आमंत्रित किया। स्मृति मंधाना ने याद कियाकि 2017 में टीम कोई ट्रॉफी नहीं जीत पाई थी, लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री से उम्मीदों से निपटने के बारेमें सवाल पूछना याद है। उन्होंने कहाकि उनका जवाब उनके साथ रहा और अगले छह-सात वर्ष में टीम की काफी मदद की, भलेही कईबार विश्व कप में हार का सामना करना पड़ा हो। उन्होंने कहाकि ऐसा लग रहा था जैसे भारत अपने पहले महिला विश्व कप की मेजबानी कर रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहाकि वे उनकी प्रेरणा हैं, खासकर जिस तरह से महिलाएं अब हर क्षेत्रमें दिखाई दे रही हैं, इसरो प्रक्षेपणों से राष्ट्रीय उपलब्धियों तक, जिसे उन्होंने महिलाओं केलिए बेहतर प्रदर्शन करने और अन्य लड़कियों को प्रेरित करने केलिए बेहद प्रेरक और सशक्त बनाने वाला बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवाब दियाकि पूरा देश देख रहा है और गर्व महसूस कर रहा है, वह वास्तव में उनके अनुभव सुनना चाहते थे। स्मृति मंधाना ने कहाकि इस जीत की सबसे अच्छी बात यह हैकि हर खिलाड़ी घर जाकर अपनी कहानी साझा करेगा, क्योंकि किसी का योगदान कम नहीं था। उन्होंने दोहरायाकि अपेक्षाओं से निपटने के बारेमें प्रधानमंत्री की पूर्व में दीगई सलाह हमेशा उनके मन में रही है तथा उनका शांत एवं संयमित व्यवहार स्वयं में प्रेरणास्रोत है। जेमिमा रोड्रिग्स ने टीम के अबतक के सफ़र पर कहाकि जब टीम तीन मैच हार गई तो यह साफ़ हो गयाकि एक टीम की पहचान उसकी जीत से नहीं, बल्कि गिरने के बाद उसके उठने से होती है। उन्होंने कहाकि इस टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया, यही वजह हैकि यह एक चैंपियन टीम है। उन्होंने टीम के भीतर की एकजुटता पर ज़ोर दिया और कहाकि यह अबतक की सबसे बेहतरीन टीम है। उन्होंने बतायाकि जबभी कोई खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करता था तो सभी ऐसे जश्न मनाते थे जैसे उन्होंने ही रन बनाए हों या विकेट लिए हों, इसी तरह जबभी कोई निराश होता था तो हमेशा कोई न कोई साथी उनके कंधे पर हाथ रखकर कहता था ‘चिंता मत करो, अगले मैच में तुम कमाल कर दोगे।’ उन्होंने कहाकि समर्थन और एकजुटता की यही भावना टीम की असली पहचान है।
स्नेह राणा ने जेमिमा रोड्रिग्स की बात से सहमति जताते हुए कहाकि सफलता के क्षणों में तो सभी साथ खड़े होते हैं, लेकिन मुश्किल समय में एकदूसरे का साथ देना और भी ज़रूरी है। उन्होंने कहाकि एक टीम और एक इकाई के रूपमें उन्होंने तय किया थाकि चाहे कुछभी हो जाए, वे एकदूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे और हमेशा एकदूसरे का हौसला बढ़ाएंगे, यही उनकी टीम की सबसे बड़ी खूबी है। क्रांति गौड़ ने कहाकि हरमनप्रीत कौर हमेशा सभीको मुस्कुराते रहने केलिए प्रोत्साहित करती थीं। उन्होंने बतायाकि अगर कोई थोड़ा भी घबराया हुआ दिखाई देता था तो टीम का यही तरीका थाकि वह मुस्कुराता रहे, ताकि एकदूसरे को मुस्कुराते देखकर सभी खुश और आत्मविश्वासी बने रहें। प्रधानमंत्री ने पूछाकि क्या टीम में कोई ऐसा है, जो सभी को हंसाता रहता है तो क्रांति ने जवाब दियाकि जेमिमा रोड्रिग्स ने यह भूमिका निभाई। जेमिमा रोड्रिग्स ने कहाकि हरलीन कौर देओल ने भी टीम को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई हैं। हरलीन कौर देओल ने बतायाकि उनका मानना हैकि हर टीम में कोई न कोई ऐसा होना चाहिए जो माहौल को हल्का-फुल्का बनाए रखे। उन्होंने बतायाकि जबभी उन्हें कोई अकेला बैठा दिखाई देता है या उन्हें लगता हैकि उनके पास थोड़ा खाली समय है तो वह छोटे-छोटे तरीकों से दूसरों से जुड़ने की कोशिश करती हैं। उन्होंने कहाकि जब उनके आस-पास के लोग खुश होते हैं तो उन्हें बहुत खुशी होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूछाकि टीम ने पहुंचने केबाद क्या कुछ किया? हरलीन कौर देओल ने मज़ाकिया लहजे में कहाकि बाकी लोगों ने उन्हें ज़्यादा शोर मचाने केलिए टोका था और चुप रहने को कहा था। फिर उन्होंने प्रधानमंत्री से उनकी त्वचा की देखभाल के बारेमें पूछा और कहाकि उनकी त्वचा कमाल की चमक देती है। प्रधानमंत्री ने विनम्रता से जवाब दियाकि उन्होंने इस विषय पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। एक खिलाड़ी ने कहाकि करोड़ों भारतीयों का प्यार ही उनकी त्वचा को दमकाता है। प्रधानमंत्री ने भी इसबात पर सहमति जताते हुए कहाकि समाज का ऐसा स्नेह वाकई एक बड़ी ताकत है। उन्होंने कहाकि उन्होंने सरकार में 25 साल पूरे कर लिए हैं, जिसमें सरकार के मुखिया का पद भी शामिल है और इतने लंबे कार्यकाल केबाद भी इस तरह का आशीर्वाद मिलना एक गहरा प्रभाव डालता है। कोच अमोल मजूमदार ने पूछे जा रहे सवालों की विविधता और टीम के अलग-अलग व्यक्तित्वों पर टिप्पणी की। अमोल मजूमदार ने बतायाकि वह दो साल से उनके मुख्य कोच हैं। उन्होंने जून में इंग्लैंड में बिताए एक किस्से का ज़िक्र किया, जहां उनकी मुलाक़ात किंग चार्ल्स से हुई थी, प्रोटोकॉल के नियमों के कारण केवल 20 लोगों को ही अनुमति थी, इसलिए सहयोगी स्टाफ़ मौजूद नहीं हो सका, सभी खिलाड़ी और तीन कुशल कोच मौजूद थे। उन्होंने सहयोगी स्टाफ़ से कहाकि उन्हें बेहद अफ़सोस है, क्योंकि प्रोटोकॉल के अनुसार केवल 20 लोगों को ही अनुमति थी, जवाब में सहयोगी स्टाफ़ ने कहाकि उन्हें उस तस्वीर की ज़रूरत नहीं थी, वे 4 या 5 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केसाथ एक तस्वीर चाहते थे, आज उनकी यह इच्छा पूरी हो गई।
हरमनप्रीत कौर ने बतायाकि कई बार ऐसा लगाकि ये मुश्किलें सिर्फ़ उनके साथही आ रही हैं, लेकिन ये संघर्ष उन्हें मानसिक और शारीरिक रूपसे मज़बूत बनाने केलिए ही लिखे गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरमनप्रीत से पूछाकि ये साझा करते हुए उन्हें कैसी भावनाएं महसूस हुईं, और कहाकि ये बेहद प्रेरणादायक था। हरमनप्रीत ने जवाब दियाकि उन्हें हमेशा से विश्वास थाकि एक दिन वे ट्रॉफी ज़रूर उठाएंगी और यह ख़ास भावना टीम में पहले दिन से ही मौजूद थी। प्रधानमंत्री ने उनके सामने आनेवाली चुनौतियों को स्वीकार किया और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद दूसरों में आत्मविश्वास जगाने की उनकी हिम्मत और क्षमता की प्रशंसा की। हरमनप्रीत ने टीम के सभी सदस्यों को श्रेय दिया, उनके आत्मविश्वास और हर टूर्नामेंट में लगातार सुधार पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहाकि इन दो वर्ष में उन्होंने मानसिक मज़बूती पर काफ़ी काम किया है और यह स्वीकार किया हैकि अतीत को बदला नहीं जा सकता। प्रधानमंत्री ने कहाकि इस सफ़र ने उन्हें वर्तमान में जीना सिखाया है। उन्होंने सहमति जताई और कहाकि यही वजह थीकि उन्होंने उनसे पूछा थाकि वे अपनी टीम के सदस्यों को प्रेरित करने केलिए क्या अतिरिक्त करते हैं, ताकि वे वर्तमान में बने रहने के अपने विश्वास को मज़बूत कर सकें। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री और उनके कोचों के मार्गदर्शन ने उन्हें सही राह पर ला खड़ा किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीप्ति शर्मा से पुलिस उपाधीक्षक के रूपमें उनकी भूमिका के बारेमें पूछा और मज़ाक में कहाकि शायद वह सबकुछ नियंत्रित कर रही थीं। उन्होंने जवाब दियाकि वे बस उनसे मिलने का इंतज़ार कर रही थीं और उस पल का आनंद लिया। उन्होंने याद कियाकि 2017 में प्रधानमंत्री ने उनसे कहा थाकि एक सच्चा खिलाड़ी वह होता है, जो असफलता से उबरकर आगे बढ़ना सीखता है। दीप्ति शर्मा ने कहाकि उनके शब्दों ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया है और वह नियमित रूपसे उनके भाषण सुनती हैं। उन्होंने कहाकि कई आवाज़ें उठने पर भी परिस्थितियों को शांत और संयमित तरीके से संभालने का उनका तरीका व्यक्तिगत रूपसे उनके खेल में उनकी मदद करता है। नरेंद्र मोदी ने दीप्ति शर्मा से उनके हनुमानजी टैटू के बारेमें पूछाकि यह कैसे उनकी मदद करता है? उन्होंने जवाब दियाकि उन्हें खुदसे ज़्यादा हनुमानजी पर भरोसा है और जबभी उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है तो उनका नाम लेने से उन्हें उनसे उबरने की शक्ति मिलती है। प्रधानमंत्री ने दीप्ति शर्मा से कहाकि वह अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर जय श्रीराम भी लिखती हैं। उन्होंने कहाकि आस्था जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो किसी उच्च शक्ति के आगे समर्पण का सुकून देती है। प्रधानमंत्री ने मैदान पर दीप्ति शर्मा की दृढ़ता के बारेमें पूछा और क्या उनके प्रभुत्व की धारणा में कोई सच्चाई है। उन्होंने जवाब दियाकि ऐसा बिल्कुल नहीं है, लेकिन उन्होंने स्वीकार कियाकि उनके थ्रो केसाथ थोड़ा डर जुड़ा हुआ था और टीम के साथी अक्सर मज़ाक में आराम करने केलिए कहते थे।
दीप्ति शर्मा ने इस बातकी सराहना कीकि प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूपसे उनके टैटू के बारेमें पूछा और वे उनकी इंस्टाग्राम टैगलाइन जानते थे। प्रधानमंत्री ने हरमनप्रीत कौर से उस गेंद के बारेमें पूछा जो उन्होंने जीत केबाद अपनी जेब में रखी थी, क्या यह एक सुनियोजित कदम था या किसी के निर्देश पर। हरमनप्रीत ने जवाब दियाकि यह ईश्वरीय योजना थी, क्योंकि उन्हें उम्मीद नहीं थीकि आखिरी गेंद और कैच उनके पास आएगा, लेकिन जब ऐसा हुआ तो ऐसा लगा जैसे बरसों की मेहनत और इंतज़ार का फल मिला हो और उन्होंने उसे अपने पास रखने का फैसला किया। उन्होंने बतायाकि गेंद अभीभी उनके बैग में है। प्रधानमंत्री ने शेफाली वर्मा की ओर रुख किया और बतायाकि वह रोहतक से हैं, जो पहलवानों केलिए जाना जाता है। उन्होंने पूछाकि वह क्रिकेट में कैसे आईं, शेफाली ने जवाब दियाकि रोहतक में कुश्ती और कबड्डी काफ़ी लोकप्रिय है, लेकिन उनके क्रिकेट के सफ़र में उनके पिता की अहम भूमिका रही है। शेफाली ने बतायाकि उनके पिता क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन वे इस सपने को पूरा नहीं कर पाए, इसलिए उन्होंने अपना जुनून अपने बच्चों में भी डाला। शेफाली और उनके भाई साथ में मैच देखा करते थे, जिससे क्रिकेट में उनकी गहरी रुचि जागृत हुई और वह क्रिकेटर बन गईं। प्रधानमंत्री ने कैच लेने से पहले उनकी मुस्कान को याद किया और इसका कारण पूछा। उन्होंने बतायाकि वह मन ही मन गेंद को अपनी ओर आने केलिए बुला रही थीं और जब गेंद उनके पास आई तो वह मुस्कुराए बिना नहीं रह सकीं। प्रधानमंत्री ने कहाकि ऐसा लग रहा थाकि उन्हें पूरा विश्वास थाकि गेंद कहीं और नहीं जाएगी। उन्होंने जवाब दियाकि अगर गेंद कहीं और जाती तो वह उसे पकड़ने केलिए डाइव लगा देतीं।
जेमिमा रोड्रिग्स ने बतायाकि वह सेमीफाइनल के दौरान की बात थी और टीम अक्सर ऑस्ट्रेलिया से मामूली अंतर से हार जाती थी। उनका एकमात्र ध्यान मैच जीतने और अंत तक खेलने पर था। उन्होंने कहाकि टीम लगातार कह रही थीकि खेल को पलटने केलिए उन्हें एक लंबी साझेदारी की ज़रूरत है और इसी विश्वास ने सामूहिक टीम प्रयास को जन्म दिया। हालांकि उन्होंने शतक बनाया, लेकिन उन्होंने जीत का श्रेय हरमनप्रीत कौर, दीप्ति, ऋचा और अमनजोत के योगदान को दिया, जिनकी प्रभावशाली पारियों ने जीत को संभव बनाया। उन्होंने कहाकि सभीको विश्वास थाकि टीम ऐसा कर सकती है और उन्होंने ऐसा किया भी। जेमिमा रोड्रिग्स से प्रधानमंत्री विश्व कप जीतने के उनके अनुभव, तीन मैच हारने केबाद कैसा महसूस हुआ और उन्होंने किस तरह वापसी की यह जानने केलिए उत्सुक थे। क्रांति गौड़ ने बतायाकि विश्वकप जीतना उनके और उनके गांव के लोगों केलिए व्यक्तिगत रूपसे गर्व की बात है। उन्होंने बतायाकि जबभी वह गेंदबाजी करतीं, हरमनप्रीत कौर उनसे कहतींकि वह पहला विकेट लेंगी, जिससे उन्हें अच्छा प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलती। क्रांति ने अपने बड़े भाई के क्रिकेट प्रेम और प्रधानमंत्री केप्रति आदर के बारेमें भी बताया। उनके पिता की नौकरी छूट जाने के कारण उनके भाई किसी अकादमी में दाखिला नहीं ले सके, लेकिन अनौपचारिक रूपसे खेलते रहे, उनसे प्रेरित होकर उन्होंने लड़कों केसाथ टेनिस बॉल से खेलना शुरू किया। उनके क्रिकेट करियर की औपचारिक शुरुआत एक स्थानीय लेदर बॉल टूर्नामेंट एमएलए ट्रॉफी से हुई, जहां उन्हें एक अस्वस्थ साथी खिलाड़ी की जगह खेलने केलिए कहा गया।
क्रांति गौड़ ने प्रधानमंत्री से साझा कियाकि उन्हें उनके लंबे बालों के बावजूद टीम में शामिल होने का निमंत्रण मिला और अपने पहले ही मैच में उन्होंने दो विकेट लिए और 25 रन बनाए, जिसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ़ द मैच का पुरस्कार मिला, यहीं से उनके क्रिकेट करियर की शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री ने उल्लेख कियाकि शेफाली वर्मा को आखिरी दो मैचों में खेलने का मौका मिला। शेफाली ने इसबात की पुष्टि करते हुए कहाकि टीम में चुने जाने से पहले वह घरेलू क्रिकेट खेल रही थीं। उन्होंने स्वीकार कियाकि प्रतीका रावल केसाथ जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था और कोई भी खिलाड़ी ऐसा नहीं चाहेगा, हालांकि जब उन्हें टीम में चुना गया तो उन्होंने आत्मविश्वास दिखाया और पूरी टीम ने उनपर भरोसा जताया, वह किसीभी तरह से टीम को जीत दिलाने केलिए दृढ़ थीं। प्रतीका रावल ने बतायाकि उनकी चोट केबाद टीम के कई खिलाड़ियों ने उनके लिए विश्व कप जीतने की इच्छा जताई थी। वह आधिकारिक तौरपर टीम में नहीं थीं और 16वीं खिलाड़ी थीं, फिरभी उन्हें व्हीलचेयर पर मंच पर लाया गया और पूरा सम्मान दिया गया। उन्होंने टीम को एक परिवार बताया, जहां हर खिलाड़ी केसाथ समान व्यवहार किया जाता है और जब ऐसी टीम एकजुट होकर खेलती है तो उन्हें हराना बहुत मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहाकि टीम सचमुच फाइनल जीतने की हकदार थी। प्रधानमंत्री ने भी इसबात पर सहमति जताई और ज़ोर दियाकि टीम भावना जरूरी है न सिर्फ़ मैदान पर, बल्कि मैदान के बाहर भी। उन्होंने कहाकि साथ समय बिताने से एक मज़बूत रिश्ता बनता है और एक-दूसरे की कमज़ोरियों और खूबियों को समझने से एकदूसरे का साथ देने और उन्हें समझने में मदद मिलती है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि एक ख़ास कैच बहुत मशहूर हो गया।
अमनजोत कौर ने जवाब दियाकि हालांकि उन्होंने पहले भी कई ब्लाइंड कैच लिए थे, लेकिन किसीको इतनी प्रसिद्धि नहीं मिली थी और लड़खड़ाने केबाद भी उन्हें अच्छा लग रहा था। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह कैच उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया और इसे पकड़ने केबाद उन्हें ट्रॉफी नज़र आने लगी होगी। अमनजोत ने जवाब दियाकि उन्हें उस कैच में वाकई ट्रॉफी दिख रही थी और वह उन लोगों की संख्या देखकर अभिभूत थीं, जो जश्न मनाने केलिए उनके ऊपर कूद पड़े थे। प्रधानमंत्री ने बतायाकि सूर्यकुमार यादव ने पहले भी ऐसा ही कैच लिया था और उन्होंने एक खिलाड़ी के कैच को रीट्वीट करते हुए याद किया, जो उन्हें प्रभावशाली लगा था। हरलीन कौर देओल ने इंग्लैंड की एक याद साझा की, जहां वे लंबे समय से ऐसे कैच का अभ्यास कर रहे थे। उन्होंने बतायाकि क्षेत्ररक्षण के दौरान एक कैच छूट गया था, जिसके बाद हरमनप्रीत कौर ने उन्हें डांटते हुए कहा थाकि अच्छे क्षेत्ररक्षकों को ऐसे कैच नहीं छोड़ने चाहिए। उनके पीछे खड़ी जेमिमा ने उन्हें आश्वस्त किया और कहाकि कैच उनके लिए संभव है। फिर उन्होंने अगले दो ओवरों में एक अच्छा कैच लेने का वादा किया और उसके तुरंत बाद गेंद आई और उन्होंने अपना वादा पूरा किया। नरेंद्र मोदी ने तब मज़ाक में कहाकि चुनौती काम कर गई। प्रधानमंत्री ने कहाकि रिचा घोष जहां भी खेलती हैं, हमेशा जीतती हुई नज़र आती हैं। उन्होंने जवाब दियाकि उन्हें यकीन नहीं है, लेकिन उन्होंने बतायाकि रिचा ने अंडर-19, सीनियर स्तर और डब्ल्यूपीएल टूर्नामेंटों में ट्रॉफ़ियां जीती हैं और कई लंबे छक्के भी लगाए हैं। उन्होंने कहाकि अपनी बल्लेबाजी के दौरान खासकर छक्के लगाते समय उन्हें हरमनप्रीत कौर और स्मृति मंधाना जैसी टीम की साथियों का भरपूर भरोसा महसूस होता था। पूरी टीम को उनपर भरोसा थाकि वे दबाव की परिस्थितियों में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं, जहां रनों की ज़रूरत तो होती थी, लेकिन गेंदें कम होती थीं। इसी भरोसे ने उन्हें आत्मविश्वास दिया और हर मैच में उनकी बॉडी लैंग्वेज में झलकता था।
राधा यादव ने याद कियाकि तीन मैच हारने के बावजूद सबसे अच्छी बात हार में भी एकजुटता थी, सभी ने एक-दूसरे का समर्थन किया। राधा यादव ने कहाकि इसी सामूहिक भावना के कारण उन्हें ट्रॉफी मिली। प्रधानमंत्री ने पूछाकि उन्होंने इस तरह के प्रदर्शन केलिए खुदको कैसे तैयार किया। खिलाड़ियों ने कहाकि टीम लंबे समय से गुणवत्तापूर्ण क्रिकेट खेल रही थी और हर स्थिति केलिए तैयारी की थी, चाहे वह फिटनेस, क्षेत्ररक्षण या कौशल के मामले में हो। प्रधानमंत्री ने बतायाकि उन्होंने सुना थाकि उन्होंने अपनी पहली पुरस्कार राशि अपने पिता का समर्थन करने केलिए खर्च की थी। स्नेह राणा ने वर्षों की कड़ी मेहनत के बारेमें बतायाकि कैसे वह नियमित रूपसे अपने गेंदबाजी कोच, आविष्कार साल्वी केसाथ विशिष्ट बल्लेबाजों से निपटने केलिए रणनीतियों पर चर्चा करती थीं। उमा छेत्री ने प्रधानमंत्री से कहाकि वह उनसे मिलकर अभिभूत हुईं। प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्हें जोभी मन में आए बोलने केलिए प्रोत्साहित किया। उमा छेत्री ने बतायाकि उनका पहला मैच विश्व कप के दौरान था और उनके हर डेब्यू मैच की तरह उस दिनभी बारिश हुई। उन्होंने केवल विकेटकीपिंग की, लेकिन वह बेहद खुश थीं, क्योंकि विश्वकप में भारत केलिए डेब्यू करना उनके लिए एक बहुत बड़ा पल था, वह देश केलिए खेलने को लेकर उत्साहित थीं और भारत को जीत दिलाने केलिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने केलिए दृढ़ थीं। वह बेहद आभारी थींकि पूरी टीम ने उनपर भरोसा किया और मार्गदर्शन और प्रोत्साहन केसाथ उनका लगातार समर्थन किया। कोच ने बतायाकि वह भारत केलिए खेलने वाली पूर्वोत्तर असम की पहली लड़की हैं।
रेणुका सिंह ठाकुर से प्रधानमंत्री ने पूछाकि क्या उन्होंने आते ही मोर देखे थे। प्रधानमंत्री ने उनकी माँ केप्रति गहरा सम्मान व्यक्त किया और कहाकि एक अकेली अभिभावक के रूपमें अपनी बेटी का पालन-पोषण करने और कठिन जीवन में आगे बढ़ने में उनकी माँ ने बहुत बड़ा योगदान दिया। उन्होंने उनसे कहाकि वह उनकी माँ को अपना व्यक्तिगत अभिवादन भेजें। प्रधानमंत्री को अरुंधति रेड्डी ने बतायाकि उनकी माँ ने प्रधानमंत्री केलिए एक संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने उन्हें अपना हीरो बताया था। प्रधानमंत्री ने खिलाड़ियों से पूछाकि मैदान पर उनकी सफलता केबाद अब देश उनसे क्या उम्मीदें रखता है। स्मृति मंधाना ने जवाब दियाकि जबभी वे विश्वकप की तैयारी करती हैं तो उन्हें लगता हैकि इसे जीतने से न केवल महिला क्रिकेट में, बल्कि भारत में महिला खेलों में भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहाकि इससे एक क्रांति की शुरुआत होगी और टीम में उस बदलाव को आगे बढ़ाने की क्षमता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि उनकी सफलता से उन्हें बहुत प्रेरणा मिलती है। उन्होंने सुझाव दियाकि घर लौटने के बाद उन्हें उन स्कूलों में जाना चाहिए जहां उन्होंने पढ़ाई की है और छात्रों केसाथ बातचीत करते हुए एकदिन बिताना चाहिए। उन्होंने कहाकि बच्चे कई सवाल पूछेंगे और उन्हें जीवनभर याद रखेंगे और यह अनुभव खिलाड़ियों को भी प्रेरित करेगा। नरेंद्र मोदी ने तीन स्कूलों का चयन करने और हर साल एक स्कूल का दौरा करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहाकि इससे खिलाड़ियों के साथ-साथ छात्रों को भी प्रेरणा मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिट इंडिया अभियान में योगदान देने के महत्व पर ज़ोर दिया, खासकर मोटापे से निपटने में। उन्होंने खरीदारी के समय तेल की खपत 10 प्रतिशत कम करने की सलाह दी और कहाकि खिलाड़ियों से ऐसे संदेश सुनने का गहरा असर होगा। उन्होंने खिलाड़ियों को फिट इंडिया खासकर बेटियों केलिए वकालत करने और सक्रिय रूपसे योगदान देने केलिए प्रोत्साहित किया। नरेंद्र मोदी ने उनसे बातचीत का अवसर पाकर प्रसन्नता व्यक्त की और कहाकि कुछ खिलाड़ियों से वे पहले भी मिल चुके हैं, जबकि कई खिलाड़ी उनसे पहलीबार मिल रहे हैं। उन्होंने कहाकि वे हमेशा उनसे मिलने केलिए उत्सुक रहते हैं और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। स्मृति मंधाना ने कहाकि वे उनके शब्दों को ज़रूर याद रखेंगी और जबभी मौका मिलेगा, यह संदेश आगे बढ़ाएंगी। उन्होंने कहाकि पूरी टीम ऐसे संदेशों का समर्थन करने केलिए हमेशा तैयार है और जबभी बुलाया जाएगा, वे आएंगी। प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए समापन कियाकि हमें मिलकर देश को आगे ले जाना है और उन्होंने सभीको बधाई और शुभकामनाएं दीं।