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दीये की सी लौ!

Wednesday 9 June 2021 06:06:14 PM

प्रिया गुप्ता

प्रिया गुप्ता

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मनुष्य आज सिर्फ लड़ रहा है।
दूसरों से ही नहीं,
बल्कि अपने आपसे भी।
झगड़ रहा है,
सब कुछ पाने के लिए।
उसका अंतस है अशांत और विफल,
शांति को ढूंढते एक कस्तूरी मृग की तरह।
लेकिन उसकी उन्नति से अहंकार
और अहंकार से विकार,
जैसे सबको कमज़ोर समझ लेना।
मनुष्य को एक दीया होना चाहिए,
किसी बुझे दीये के लिए,
जो पास आए तो उसको प्रकाश दे।
क्रोध से आपा खोने के लिए नहीं,
बल्कि दीये की सी लौ के लिए।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]