भारतीय वित्त आयोग ने इन राजनीतिक वास्तविकताओं को नजरअंदाज कर दिया कि उसके सुझाये वस्तु और सेवाकर मॉडल को कुछ राज्यों ने स्वीकार नहीं किया है। वित्त आयोग ने उन राज्यों के लिए कुछ निरुत्साही शर्तें रख दी हैं, जो आयोग के आर्थिक अनुशासन और अन्य सिफारिशों को लागू नहीं करेंगे। गरीब राज्यों की विवशता यह भी है कि वे अपने यहां आर्थिक और राजनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए न तो अधिक कर लगा सकते...
उत्तर भारत से विमुख होते हुए दक्षिण की ओर रूख कर रही भाजपा के नए अध्यक्ष नितिन गडकरी का इंदौर एजेंडा उनके दस फीसदी वोटों का इजाफा ऐसे कर पाएगा? खुद कॉडर भाजपाई ही कह रहे हैं कि भाजपा की धंसती जमीन और उसकी आंतरिक कलह पर खड़े ये वो सवाल हैं जिनका उत्तर केवल इंदौर में सपने देखने से ही प्राप्त नहीं किया जा सकता। अपने ज़मीनी कार्यकर्ताओं...
जनसम्पर्क भारत के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में आज एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और देखते ही देखते जनसम्पर्क पहले की तुलना में एक प्रतिष्ठित पेशा बन गया है, यह एक बड़ा कैरियर क्षेत्र भी बनकर उभर रहा है। जनसम्पर्क एक बहुत ही रचनात्मक कार्य है, ये सृजन-सम्पर्क की आत्मा है। इस पेशे को अपनाकर आप एक साथ अपने व्यवसाय,...
इंडिया-इंडिया की गूंज करने वाला भारत कब समझेगा? राष्ट्रीय खेल सिर्फ नारों और सपनों से नही बचता, इसके लिये जुटना पड़ता है। ध्यान चंद तो संघर्ष के दौर में निकले थे लेकिन, उनकी मौत एम्स के जनरल वार्ड में हुई और इलाज कर रहे डॉक्टर की उनकी मौत पर पहली टिप्पणी यही थी, हॉकी मर गई। लेकिन तब भारत के लिये गोल्ड मेडल जीतना कोई मायने नहीं...
तीस हज़ारी में महिला अदालत की न्यायाधीश रहीं स्वर्णकांता ने कहा 'महिलाओं पर जुल्म के मामलों की सुनवाई के बाद वे कह सकती हैं कि घरेलू हिंसा का शायद ही कोई ऐसा मामला हो जिसमें औरत, औरत के खिलाफ न हो। इतना ही नहीं, कानून का फायदा सशक्त पक्ष को मिल जाता है। अबलाओं की रक्षा के लिए बने कानून अधिकांश मामलों में अपने मूल लक्ष्य को...
रंगनाथ मिश्र आयोग की सदस्य सचिव आशा दास ने तो इसाई और मुसलिम दलितों को अनुसूचित जाति वाला आरक्षण देने की सिफारिश का विरोध करने के साथ सलाह दी है कि हमारे देश में धर्म और जाति के आधार आरक्षण देने से निहित स्वार्थों का लाभ ही हो रहा है, इसलिए सरकार अपनी नीतियों और कार्यक्रमों में बदलाव करे और धर्म और जाति के आधार के बगैर परिवार को इकाई मान कर सभी ऐसे परिवारों की सहायता के लिए विशेष कदम उठाए...
मुलायम और अमर में रिश्तों को लेकर उठे तूफान को अब देर-सवेर निर्णायक तबाही तक पहुंचने से शायद ही कोई रोक पाए। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि एक दलाल और एक राजनीतिज्ञ के बीच में एक दिन ऐसा होना ही था। इनमें इतना बड़ा अंतर है कि राजनीतिज्ञ एक राजनीतिज्ञ होता है जबकि दलाल सिर्फ एक दलाल। इसलिए मुलायम सिंह यादव भले ही आज राजनीतिक...
महिलाओं के प्रति आसक्ति या मुर्गे की टांग खाना भी दिग्गजों की कुर्सियों के लिए खतरा बनते आए हैं। अपनी संतुष्टी, ब्लैकमेल या किसी अन्य लाभ की आशा में राजनीतिक साजिशें रचने वालों के कारण न केवल समाज और देश संकट में खड़ा दिखाई देता है अपितु एक नहीं बल्कि कई हस्तियों और राजनेताओं का राजनीतिक जीवन समाप्त हो जाता है। देखा जाए...
मधु कोडा, देश में कांग्रेस की राजनीति का एक घोर पाप है, जिसका घड़ा धड़ाम से फूटा है। उसने झारखंड में निरीह और भोले-भाले आदिवासियों पर भारी भरकम अजगर छोड़ दिए जिन्होंने झारखंड को लूट-खसोट कर उसे नक्सलियों की आग में जलने को छोड़ दिया। मधु कोडा जैसे दैत्य कभी सर न उठाते यदि कांग्रेस झारखंड में भाजपा को पटकनी देने के लिए राजनीतिक...
दलित वोटों को अपनी रैयत समझकर उन्हें ठेकेदारों, गुंडों और माफियाओं को बेचती आ रहीं बसपा अध्यक्ष मायावती के भ्रष्टाचार जनित अहंकार का 'मर्दन' करने निकले कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के लिए उत्तर प्रदेश में किसी ताकतवर दलित नेता को आगे किए बिना ऐसा कर पाना संभव नहीं है। राहुल गांधी को कांग्रेस के 'दलित मिशन' के लिए ऐसा दलित...
देश में काम की कमी नहीं है, लेकिन काम आदमियों के लिए नहीं है, मशीनों के लिए है। आम मेहनतकश अनपढ़ लोगों का काम बुल्डोजर जैसी मशीने लेती जा रही हैं और पढ़े-लिखे लोगों का काम कम्प्यूटर लेता जा रहा है। ऐसे में हर हाथ को काम देने और दिला पाने का नारा केवल एक गैरजिम्मेदार व्यक्ति ही उछाल सकता है, जिसने बदली हुई परिस्थितियों का पर्याप्त अध्ययन नहीं किया है। एक याचिका में कहा गया है कि 1750 रुपए प्रत्येक...
वायुयान से देवदूतों की तरह रायपुर की धरती पर उतरने वाले बुध्दिजीवी, बस्तर के गांवों के दर्द को नहीं समझ सकते। आंखों पर जब खास रंग का चश्मा लगा हो, तो खून का रंग नहीं दिखता। वे लोगों के गांव छोड़ने से दुखी हैं, लेकिन कोई किस पीड़ा, किस दर्द में अपनी आत्मरक्षा के लिए अपना गांव छोड़ता है, इस संदर्भ को नहीं जानते। सलवा-जुड़ूम...
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार यह तय करे कि अब किसी सार्वजनिक स्थान या सड़क पर मंदिर, मस्जिद, चर्च या गुरूद्वारा नहीं बनेगा अगर सार्वजनिक स्थान पर इनमे से एक भी निर्माण हुआ तो संबंधित अधिकारी को समुचित सजा दी जाएगी। इस महाआदेश के लिए हम उच्चतम न्यायालय के आभारी हैं। केंद्र सरकार इस मामले पर यदि राज्यों के साथ सहमति बनाने...
भारतीय रेल मंत्रालय के रेलवे बोर्ड की एकमात्र मासिक हिंदी पत्रिका भारतीय रेल अगस्त-2009 को अपनी गौरवशाली यात्रा की स्वर्ण जयंती मना रही है। बीते पांच दशक में इस पत्रिका ने रेलकर्मियों सहित पाठक वर्ग में भी अपनी एक विशिष्ट पहचान कायम की है। इस अवधि में जहां भारत सरकार की कई पत्रिकाएं बंद हो गईं या बहुत सीमित दायरे तक पहुंच...
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक जांच के आदेश तो दिए हैं, लेकिन जांच के निष्पक्ष होने पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है। अब सवाल सिर्फ अस्थाना की मौत की जांच का नहीं है बल्कि न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता पर उंगलियां उठ रही हैं। सूचना के अधिकार की परिधि में जज साहब क्यों नहीं आते हैं? सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की क्या प्रक्रिया...