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शिक्षा और अनुशासन ही सबकुछ

बेंजामिन स्टाइन

शिक्षा और अनुशासन-education and discipline

पीढि़यां बदलती हैं, मान्यताएं बदलती हैं और इतिहास भी दोहरा लेता है अपने को, पर नहीं बदलता है, तो सिर्फ यह तत्व कि परिश्रम, शिक्षा और अनुशासन पर ही सब निर्भर किया करता है।
एक पतझड़ की बात है कि मेरे पास पड़ी फाइलें खत्म हो गई थीं सो मैं पास की दुकान पर गया। मैंने कुछ फाइलें निकालकर काउंटर पर रखीं और यौवन की दहलीज पर पांव रखते क्लर्क से पूछा कि इनका मूल्य क्या है। मुझे नहीं मालूम, उसने रुखा सा जवाब देते हुए कहा। जहां तक मैं समझता हूं, एक फाइल की कीमत एक डॉलर तो होगी ही।
एक-एक डॉलर की? मैंने कहा। यह सही नहीं हो सकता।क्लर्क ने कंधे उचका दिए।
दूसरी क्लर्क यानी एशियाई युवती ने मुझे एक फाइल की कीमत 12 सेंट बताई। मैं अब भुगतान के लिए बढ़ा तो वहां पर एक किशोरी उपस्थित थीं। मैंने फाइलों को गिना। बारह सेंट के हिसाब से 23 फाइलों की कीमत टैक्स से पहले 2.76 डॉलर होगी, मैंने कहा।
ये हिसाब आप ने मुंहज़बानी लगा लिया? उसने हैरानी से पूछा, आप ये कैसे कर लेते हैं?
यही तो कमाल है? मैंने उत्तर दिया।
वास्तव में? उसने पूछा।
कोई भी पढ़ा लिखा वयस्क ऐसे किसी अनुभव से क्षुब्ध हुए बगैर नहीं रह सकता, हालांकि हमारी संतानों का स्वभाव अत्यंत सुसंस्कृत है, पर वे इतने अबोध हैं-अपनी अबोधता के प्रति भी इतने अबोध-कि मैं तो दहल ही जाता हूं। एक निजी कॉलेज, जहां पर मैंने पढ़ाया है, के अंतिम वर्ष में पढ़ने वाले 60 विद्यार्थियों में से एक भी विद्यार्थी एक भी गलती किए बिना एक छोटा सा निबंध तक नहीं लिख पाता-उनमें से एक भी विद्यार्थी नहीं।
लेकिन यह एक बहुत बड़ी समस्या की छोटी सी झलक है। यहां तक कि एक आसान सी गणना को कर पाने की योग्यता अनेकानेक विद्यार्थियों में केवल नाम भर को है। फिर मैंने देखा है कि आज विश्व इतिहास और भूगोल के बारे में उन का ज्ञान बिलकुल शून्य ही है।
इससे भी विकट तो यह है कि अपने इस अज्ञान के प्रति वे विकट रूप से उदासीन भी हैं। इस दृष्टिकोण की परिभाषा मुझे मेरे दोस्त के 16 वर्षीय होनहार, आलसी बेटे से समझने को मिली। उसने मुझे बताया कि वह लास एंजेल्स स्थित कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में पढ़ने क्यों नहीं जाना चाहता। मैं एशिया वालों से स्पर्धा नहीं करना चाहता, उसने बताया। वो बहुत मेहनत से काम करते हैं और सब कुछ जानते हैं।
वस्तुतः इस युवा को एशियावासियों से प्रतिस्पर्धा तो करनी ही होगी, चाहे वह यह चाहे या न चाहे। वह अपने पूर्वजों की वित्तीय, भौतिक और मानवीय पूंजी के भरोसे सदा सर्वदा तो नहीं जी सकता। जल्दी ही किसी मोड़ पर उसका बौद्धिक आलसीपन उसके जीवन शैली पर बुरा प्रभाव डालेगा। यह हम सब की सुरक्षा, सुनिश्चिता और समृद्धि को भी प्रभावित करेगा, कोई भी आधुनिक औद्योगिक व्यवस्था निष्क्रिय और अज्ञानी कामगारों के रहते काम नहीं कर सकती। बमवर्षक यान विमान वाहक पोतों के डेक पर ही ढह जाएंगे। कंप्यूटर काम नहीं करेंगे। कारें भी बैठ जाएंगी।
ऐसे व्यक्तियों के कानों तक इस संदेश को पहुंचाने के लिए मेरे पास एक अच्छा सुझाव है-किसी ऐसे फिल्म अथवा टीवी धारावाहिक का निर्माण जो कि इस चीज को दर्शाए कि आज उन का देश जहां पर है उसे वहां तक पहुंचने के लिए कैसी कठिन राह तय करनी पड़ी है-और यह भी इन सब का हाथ से निकल जाना कितना आसान है। अतः इस दृष्टि से मैं ही एक नीति कथा सुनाता हूं।
कथा की शुरूआत होती है सन् 1990 में हमारे नायक केविन हैनली से, जो उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाला एक 17 वर्षीय युवक है और इस समय अपने कमरे में बैठा कुढ़ रहा है। उसके माता पिता उसे यूरोप के इतिहास की परीक्षा के लिए पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए जोर डाल रहे हैं। पर वह अपने कांपेक्ट डिस्क प्लेयर के लिए हैडफोन खरीदने के लिए बाजार जाना चाहता है। एडम स्मिथ की द वेल्थ ऑव नेशंस नामक जिस किताब को पढ़ने की वह कोशिश कर रहा है, उसे पलटते-पलटते ही नींद आ जाती है उसे।
केविन सपना देखता है कि वह सन् 1835 में पहुंच गया है और वह सपने में अपने आप को अपने लकड़दादा के पिता के रूप में देखता है, जिनकी उम्र इस समय 17 साल है और वह आयरलैंड की केरी काउंटी के एक खेतिहर हैं। वह घास फूस और मिट्टी से बनी झोपड़ी में रहते हैं और अपने बधिया सुअर के पास ही सोते भी हैं। वह आधा पेट खाते हैं और इसके लिए भी दर-दर भटकते हैं। उनकी सबसे बड़ी अभिलाषा पढ़ना लिखना सीखने की है ताकि कहीं बाबूगीरी ही कर सकें। नियमित आय हो तो वह अपनी और अपने परिवार का भी भरण-पोषण कर सकेंगे। परंतु हेनली की गरीबी उसे स्कूल जा पाने की सुविधा नहीं देती। शिक्षा और धन के बिना वह नकारा है। उसकी सारी आशाएं अपने बच्चों पर टिकी हैं अगर वे शिक्षित हो जाएं तो वे बेहतर जीवन भी जी सकें।
हम इस कथा को तेजी से आगे बढ़ाते हैं और 1990 वाला अपना केविन हैनली अपने आप को 1928 के अपने परदादा के रूप में देखता है। वह भी 17 साल के ही हैं और पिंट्सबर्ग पेंसिलवेनिया के एक इस्पात मिल में काम करते हैं। उसके पिता यानी 1990 वाले केविन के लकड़दादा आयरलैंड से यहां गए थे और न्यूयॉर्क नगरीय भूमिगत रेलपथ के निर्माण में योग भी दिया था। सन् 1928 का केविन हैनली अपने पिता अथवा परदादा से कहीं अधिक अच्छा जीवन व्यतीत कर रहा है। वह पढ़ सकता है, लिख सकता है और जिसका अभिप्राय यह हुआ कि वह भट्ठी को चलाने के लिए आवश्यक निर्देशों का पालन कर सकता है। उसकी आय भी उस के किसी भी आयरलैंड स्थित पूर्वज से कहीं ज्यादा है।
इन सबके बावजूद सन 1928 वाले केविन हैनली को पूर्ण विश्वास है कि उसकी सारी आशाएं आने वाली पीढि़यों में निहित हैं और इसकी एकमात्र राह है शिक्षा। उसे उच्चतर माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण करते ही काम धंधे से लगना पड़ा। अब उस का बेटा जरूर आगे भी पढ़ेगा ताकि उसे किसी कल कारखाने में तो काम नहीं ही करना पड़े।
इसके बाद 1990 वाला केविन हैनली आगे सपना देखता है कि वह 1945 वाला केविन हैनली है यानी खुद अपना दादा ही वह आज अत्यंत दुराग्रही शत्रु यानी जापानी सेना के विरुद्ध ईवो जीमा द्वीप पर युद्ध कर रहा है। वह अत्यंत उत्तप्त, अत्यंत भूखा है और हमेशा डरा-डरा रहता है। एक रात को वह खंदक के अंदर अपने दोस्त को बताता है कि वह वहां पर क्यों है, ताकि मेरा बेटा और फिर उसके बेटे भी शांति और सुरक्षा से रह सकें। मैं वापस लौट कर तो और कड़ी मेहनत से काम करूंगा और अपने बेटे को पढ़ने के लिए कॉलेज भेजूंगा ताकि वह अपनी पीठ के बजाए अपने मस्तिष्क की बदौलत जी सकें।
और अब 1990 वाला केविन हैनली स्वयं ओ अपने पिता यानी 1966 के केविन हैनली के रूप में पाता है जो हमेशा पढ़ते रहते हैं ताकि वह कॉलेज में और फिर वकालत पढ़ सकें। वह नए विकसित आधुनिक मकान में रहते हैं। उन्होंने शांति और समृद्धि के अलावा और कुछ देखा ही नहीं है। वह अपनी मित्र से कहते हैं कि उन के बेटा होगा तो वह उसे हर समय पढ़ते रहने को नहीं कहा करेंगे जैसा कि उनके पिता किया करते हैं।
इसी समय 1990 वाला केविन हैनली चौंककर उठ जाता है। वह आयरलैंड, ईवो जीमा और इस्पात मिल की दुनिया से निकलकर चैन की सांस लेता है। पर इसके बाद वह फिर सो जाता है।
वह पुनः सपना देखता है तो वह स्वयं को अपने बेटे यानी 2020 के केबिन हैनली के रूप में पाता है। वह एक तरह से एक बाड़े में ही रहता है। वहां सुबह से शाम तक गोलियां दगती रहती हैं। उसकी सारी पीढ़ी भूल चुकी है कि कभी कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज भी थी, यहां कायदा कानून कुछ नहीं है। व्यक्ति राजनीति पर कोई ध्यान नहीं देते और सरकार भी कामगारों के लिए कुछ नहीं करती।
2020 के केविन का पिता, जो कि वास्तव में 1990 वाला केविन ही है, एक जापानी फैक्टरी में दरबान की नौकरी करता है। 2020 का केविन एक होटल के अंदर अमीर यूरोपीय और एशियाई जनों का सामान ढोने वाला कुली है। निःशुल्क सार्वजनिक शिक्षा छठी कक्षा पर समाप्त हो जाती है। अब यहां अच्छे स्कूल चलाने के लिए कोई कर ही नहीं लिया जाता। अमरीकियों ने काफी समय पहले से ही अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा की मांग करनी बंद कर दी थी।
अमरीका वासियों के एक छोटे से शिक्षित और संभ्रांत समूह के पास ही बढि़या नौकरियां थीं और वह भी उन यूरोप-और एशिया वासियों के पास जिन्होंने बाकी अमरीकी जन जीवन पर अपना प्रभुत्व जमा रखा था। इन विदेशी पूंजी निवेशकों के लिए शेष लोग निखट्टू थे और यह वर्ग अमरीका वासियों को या तो जन्मजात मूढ़ और आलसी ही मानता था जो कि मेहनत मजूरी भर कर सकते थे अथवा उन अपराधियों के रूप में लेता था जो निठल्ले कामगारों के लिए नशा जुटाया करता था।
सबसे आखिर में 1990 का केविन हैनली जिसे अपने सपने में देखता है वह उस का अपना पोता है। सन् 2050 वाला केविन एक गंदी बस्ती में रहता है जैसी कि 1990 के रीओ दे झेनेरो में मिलती थीं। वहां पर न तो तापन व्यवस्था है, न बिजली पानी है, न कोई निजी जिंदगी नाम की चीज ही।
2050 के केविन के पास कोई भी उपयोगी कौशल नहीं है। जापान और ताइवान में बनी मशीनें ही जटिल कार्य करती हैं और हाथ के काम गिने चुने ही रह गए हैं। शिक्षा और कौशल के अभाव में वह अपने जीवन निर्वाह के लिए जरूरी न्यूनतम आय भी नहीं जुटा पाता। ऐसे में बंदा कचरा बीनकर अपना पेट पाला करता है।
दूसरे शब्दों में, वह भी उसी प्रकार से जीवन व्यतीत करता है जैसा कि 1835 वाला केविन हैनली आयरलैंड में किया करता था। लेकिन 2050 के केविन हैनली अपने जीवन में अचानक बदलाव पाता है। अमरीका में  अध्ययनरत जापान के एक मानवविज्ञानी से उसकी दोस्ती हो जाती है। वह जापानी केविन को बताता है कि जब आदमी के पास पैसा नहीं होता तब केवल शिक्षा ही वित्तीय पूंजी को प्राप्त करने के लिए मानव की पूंजी बन जाया करती है। परिश्रम, शिक्षा, बचत और अनुशासन ही सब कुछ कर सकते हैं। यही कारण है कि हम तुम से सौ साल पहले युद्ध में हार चुकने के बाद भी खाक से उठ कर आज इतनी प्रगति कर पाए हैं।
अमरीका ने जापान तक को युद्ध में हरा दिया था? पूछता है 2050 का केविन। वह आश्चर्य चकित है। यह 1990 में ब्राजील द्वारा अमरीका को हराए जाने की कपोल कल्पना सा ही असंभव लगता है। अब 2050 वाला केविन शपथ लेता है कि कभी उसके बाल बच्चे हुए तो वह इस बात का जरूर ध्यान रखेगा कि वे काम करें, पढ़ें और सीखें एवं अनुशासन में भी रहें। चोरी करके जीने के बजाए वह अपने बुद्धि कौशल के बल पर जीवन निर्वाह करें, वह कहता है। यह एक चमत्कार होगा।
सन् 1990 वाला केविन अब सोकर उठता है, तो उसके पास उस की द वेल्थ ऑव नेशंस रखी है। वह उसे खोल लेता है तो पढ़ता हैः कोई व्यक्ति, मानव को सुलभ बौद्धिक क्षमता के समुचित प्रयोग के बिना भी अगर जीवनयापन कर सकता है तो वह किसी कायर पुरुष से भी अधिक निंदनीय है और मानव स्वभाव के चरित्र के सर्वाधिक आवश्यक पक्ष के संदर्भ में विकलांग व विकृत भी प्रतीत होता है।
तभी अपने इस केविन के पिता भीतर आते हैं। ठीक है बेटे! उन्होंने कहा। चलो, चलकर स्टीरियो देख लेते हैं।
नहीं पापा, अपना 1990 वाला केविन कहता है, मुझे तो पढ़ना
है।

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