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शक्ति बढ़ाने के लिए व्यायाम करें

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कभी आप वातजीवी व्यायाम कक्षा (एरोबिक्स क्लास) में मन मारकर गए हैं और फिर घंटा भर बाद वहां से स्फूर्त हो कर लौटे हैं? यदि ऐसा हुआ है तो समझ लीजिए कि आप को व्यायाम एवं ऊर्जा के परस्पर संबंध का अनुभव हुआ है। अपने मुहल्ले को एक चक्कर लगा लेने भर से आप के ऐड्रिनलीन स्तर में वृद्धि होने से आप एक अल्प अवधि के लिए क्षमतावान होने का अनुभव जरूर करेंगे।

वातजीवी व्यायाम के शोधार्थी नील एफ गोर्डन के अनुसार स्थायी रूप से शक्ति पाने के लिए नियमित व्यायाम आवश्यक है। सामान्य स्वास्थ्य के लिए हफ्ते में कम से कम 700 से 2000 कैलोरी खर्च हो जाने लायक व्यायाम आवश्यक है यानी एक हफ्ते में चार पांच बार 30 से 45 मिनट तेज गति से चलें, या 30 मिनट का कोई मेहनत का कार्य करें जैसे कि हर हफ्ते में तीन चार बार की हलकी दौड़ या वातजीवी व्यायाम।

आप व्यायाम शुरू कर ही रहे हों तो कसरत के बाद कुछ और थकान होने पर आश्चर्य न करें। व्यायाम शरीर विज्ञानी ए गार्थ फिशर का कहना है। ?आप के शरीर को अभ्यस्त होने में समय लगता है। कुछ अरसे बाद आप का शरीर अभ्यस्त होकर अधिक ऊर्जा प्रदान करेगा।?

यों कभी कभार कसरत करने के भी फायदे हैं, लेकिन फिशर की सलाह है कि प्रारंभ में रोजाना तीन बार पांच से दस मिनट तक व्यायाम करना चाहिए। बाद में दिन में दो बार आठ से बारह मिनट का व्यायाम आदर्श है। इस तरह एक माह में आप दिन में एक बार लंबी अवधि के व्यायाम की लय पा लेंगे। ऊर्जा बढ़ाने के लाभ उठाने के लिए पूरे जोश से व्यायाम करना चाहिए। आप को लगना चाहिए कि आप कठोर श्रम कर रहे हैं, परंतु इतना अधिक नहीं कि आप कुछ मिनटों के अभ्यास से ही थक जाएं।

आप के हृदय के स्पंदन की दर का लक्ष्य स्पंदन की अधिकतम दर के 60 से 85 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए। अपनी हृदय की अधिकतम स्पंदन दर का हिसाब आप 220 में से अपनी आयु को घटा कर लगा सकते हैं। इस प्रका प्राप्त अंक को 0.6 और 0.85 से गुणा करें। कसरत करने के बीच अपनी नब्ज (स्पंदन) की गति को गिनें। यदि लक्ष्य के करीब हैं तो आप की नब्ज की गति इन दो आंकड़ों के मध्य होगी।

उत्साह को कुंद करने वाले तत्वों पर ध्यान दें

प्रत्यक्ष रूप से थकान शारीरिक लगती है, परंतु बहुधा यह मानसिक कष्ट, विशेषकर क्रोध और अवसाद की भी द्योतक है। मनोविज्ञान के प्रोफेसर डब्लू, माइकेल नेलसन का कहना है। ?अत्यधिक थकान और दुर्बलता के एहसास को खतरे की घंटी मानें।? चौकन्ने रहें कि आप की चिंता का कारण क्या है? क्या यह आप के जीवन में बदलाव (जैसे नया बॉस) या घर की किसी स्थिति पर क्रोधित रहना है?

अपनी भावनाओं को दबाने में अधिक ऊर्जा खर्च हो जाती है। यद्यपि आप हर चीज को बदल नहीं सकते, नेलसन कहते हैं, परंतु घटनाओं के प्रति अपना नजरिया और उन का सामना करने का तरीका तो बदल ही सकते हैं-इसलिए चिंता छोडि़ए और उत्साही बनिए।
खिलाडि़यों से सीख लें
प्रतिस्पर्धाओं के दौरान एथलीटों के लिए थकान हानिकारक है-कभी-कभी तो उन्हें न जाने कहां से ऊर्जा खींचनी पड़ती है। एक प्रसिद्घ खेल और मनोचिकित्सक डियाना मैकनैब के अनुसार ऐसे में खिलाडि़यों की प्रिय युक्ति है गहरी सांस लेना। तीन बार धीमी गहरी सांस लें। हर बार नाक से सांस लें जब तक कि पेट का निचला हिस्सा भरा (लगभग चार गिनने तक) न लगने लगे। फिर कुछ ठहरें, करीब आठ गिनने तक, ताकि वायु का शरीर में संचार हो सके। तत्पश्चात उदर पिचकाते हुए सांस धीरे-धीरे छोड़े। मैकनैब कहती हैं कि यह तरीका सामान्य जीवन की ?स्पर्धाओं? जैसे, बॉस आप की रिपोर्ट के इंतजार में आप के समक्ष हों या कोई बच्चा आप से एक और कहानी सुनाने
की जिद कर रहा हो, में भी उपयोगी सिद्ध होता है।

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