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स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में भागीदारी किफायती हो-आजाद

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स्वास्थ्य सम्मेलन-health summit

नई दिल्ली। केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सुधार के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी एक महत्‍वपूर्ण जरिया बन सकती है लेकिन इसका न तो ये अर्थ है कि सरकार के संसाधन बहुत कम कर दिए जाएं और न ही इसका यह मतलब है कि सरकार अपनी जिम्‍मेदारी त्‍याग दे बल्कि मतलब यह है कि सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली को बढ़ाने में साधन बने। सार्वजनिक निजी भागीदारी किफायती हो और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि निजी क्षेत्र भी सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य के लक्ष्‍य में अपना योगदान दे, लाभप्रदता और सामाजिक दायित्‍व के बीच संतुलन कायम किया जाना चाहिए। गुलाम नबी आजाद राजधानी में 7वें भारतीय स्‍वास्‍थ्‍य शिखर सम्‍मेलन का शुभारंभ कर रहे थे।
उन्होंने सूचित किया कि उप केन्‍द्र से लेकर जिला अस्‍पतालों तक स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में पिछले पांच साल में भारत सरकार करीब 45000 करोड़ रूपये खर्च कर चुकी है। उन्‍होंने कहा कि 12वीं योजना अवधि में स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में आवंटन को जीडीपी का 2.3 प्रतिशत तक लाने के लिए और अधिक प्रयास करने होंगे। उन्‍होंने निजी क्षेत्र की भागीदारी और बीमारी का पता लगाने की सुविधाएं अस्‍पतालों, विशेषज्ञता प्राप्‍त और सुपर स्‍पेशलिटी केन्‍द्रों की स्‍थापना में निजी क्षेत्र की भागीदारी और निवेश को आमंत्रित किया। आजाद ने बताया कि स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में मानव संसाधन राष्‍ट्रीय परिषद की स्‍थापना के लिए एक विधेयक संसद में पेश किए जाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच विरोधात्‍मक स्थिति खत्‍म की जानी चाहिए ताकि दोनों क्षेत्र स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में व्‍यापक योगदान दे सकें।

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