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बहराइच में मनरेगा में गड़बड़ियों महाजाल

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बहराइच। बहराइच जिले में भी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना विसंगतियों और भ्रष्टाचार का मकड़जाल बन चुकी है। रोजगार तलाशते हाथों को सौ दिन के काम की गारंटी देने वाली यह योजना लोगों के आर्थिक स्वावलम्बन की इबारत लिख पाने में नाकामयाब ही रही। कई गांवों में इस योजना के धन के बंदरबांट की पुष्टि हुई, इसके बावजूद कि कई प्रधान और पंचायत सचिवों पर कार्रवाई का हन्टर चला और शिकायतों को जांचने के लिए नेशनल मानीटर तक के अधिकारी यहां के गांवों का दौरा करने आए।

जैसा कि आप जानते हैं कि मनरेगा अपने प्रारंभिक रूप नरेगा के रूप में वर्ष 2008-09 में लागू हुई थी। शुरूआती वर्ष में 12938.27 लाख रुपये आवंटित हुए थे। इसमें 11283.787 रुपये खर्च किये गये। पुन: वर्ष 2009-10 में 13132.701 लाख रुपये जिले को दिये गये, जिसमें 11107.952 रुपये खर्च हुए। वर्ष 2010-11 में अब तक 3877.949 लाख रुपये जिले को मिल चुके हैं। इनमें 2383.40 लाख रुपये अब तक खर्च हो चुके हैं। मनरेगा के मानदंडों के अनुसार ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के अलावा उद्यान, रेशम, मत्स्य, लोक निर्माण, सिंचाई, कृषि, भूमि संरक्षण और वन विभाग सहित नौ विभागों को धन का आवंटन किया गया है। रेशम विभाग से संचालित शहतूत पौधरोपण और कोया उत्पादन की परियोजना इसी वर्ष लागू हुई है जो प्रचलन में है। नेशनल मानीटर फखरपुर के प्यारेपुर और महसी के हरदी गौरा गांव का निरीक्षण कर चुके हैं। इन गांवों में कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई भी हुई।

मनरेगा के समन्वयक और मुख्य विकास अधिकारी भरत लाल राय का कहना है कि जिले में 62815 परिवारों ने रोजगार की मांग की थी। उनका दावा है कि इन सभी को रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है, यानि 1655192 लोगों को जारी वित्तीय सत्र में काम दिया गया है। सीडीओ ने बताया कि ग्राम पंचायत स्तर पर काफी सख्ती के बावजूद कुछ स्थानों पर विसंगतियां मिली हैं। ऐसी ग्राम पंचायत के प्रधान और सचिवों पर कार्रवाई की गयी है। विभाग का तर्क कुछ भी हो लेकिन मनरेगा में अनियमितताओं की शिकायत करने वाले फखरपुर के विजय कुमार निस्तारण से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने अपने गांव बुबकापुर में बनवाये गये तालाब की गुणवत्ता और अनियमितता की शिकायत की थी जो अभी तक नतीजे तक नहीं पहुंच पायी है। बाढ़ प्रभावित कैसरगंज, जरवल, महसी, फखरपुर, शिवपुर और मिहींपुरवा में बेरोजगार हुए लोगों को काम की सर्वाधिक जरूरत है लेकिन यहां ग्राम पंचायतों का धरातलीय स्वरूप बाढ़ और कटान की भेंट चढ़ जाने के चलते जरूरतमंदों को समय पर काम नहीं मिल पाया है। जिले में 3 लाख 10 हजार जाबकार्ड धारक परिवार हैं।

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