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लखनऊ में भाजपाईयों पर पुलिस की बर्बरता

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लखनऊ। अमरनाथ श्राइन बोर्ड की जमीन को वापस देने की मांग करने के लिए राज्यपाल को ज्ञापन देने जा रहे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को लखनऊ में लाठियों से बर्बरता पूर्वक पीटा गया है। उन पर तेज पानी की बौछारें की गई और दिन भर पुलिस लाइन में हिरासत में रखा गया। इस मंजर को देखकर कोई भी कह सकता है कि जैसे भाजपाई नेताओं की पिटाई करके कोई खीझ मिटाई जा रही हो। इनमें कई नेता और कार्यकर्ता घायल हुए हैं जिन्हें गंभीर चोटें आई हैं। कहने वाले कह रहे थे कि भाजपा के नेता या कार्यकर्ता कोई उग्र नहीं थे जिससे इस लाठीचार्ज की जरूरत पड़ी। पानी की तेज बौछारों को जैसे प्रयोग किया गया और फिर लाठीचार्ज करके कोई सीन खड़ा किया गया हो। ऐसा लगा जैसे कि पुलिस को इसकी छूट थी कि वह जो चाहे करे।
जम्मू में इस वक्त आग सी लगी हुई है। मामला केवल इतना है कि यदि जम्मू कश्मीर सरकार श्राइन बोर्ड को आवंटित की गई जमीन वापस कर दे तो यह मामला तत्काल समाप्त हो जाएगा। इस कारण जम्मू कश्मीर की जनता सड़कों पर है और इस मांग को लेकर श्राइन बोर्ड का मामला देश में एक मुद्दा बन गया है। श्राइन बोर्ड को जमीन वापस देने की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी ने राजभवन जाकर राज्यपाल को ज्ञापन देने का कार्यक्रम बनाया था। भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय से भाजपा नेता और कार्यकर्ता कुछ दूर ही कैपिटल सिनेमा के सामने पहुंचे थे तभी भाजपाईयों पर बर्बरता से पुलिस की लाठियां बरसनी शुरू हो गईं और पुलिस ने तेज पानी की बौछारों सहित सारे प्रयोग इन पर कर डाले। भाजपाई केवल राजभवन की तरफ बढ़ रहे थे वे कोई उपद्रव ही नहीं कर रहे थे जिससे कि यह नौबत आए कि इन्हें काबू करने के लिए पुलिस को आक्रामकता के साथ बल प्रयोग करना पड़े।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी, विधान मंडल दल के नेता ओम प्रकाश सिंह पानी की तेज बौछार की हमले में गिर पड़े। सांसद भानु प्रताप का पुलिस की लाठियों से सिर फट गया और भाजपा झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुनील भराला को इतना पीटा गया कि उन्हें सिविल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। इनके अलावा सतीश माहना, राम नरेश रावत, जय प्रकाश चतुर्वेदी, लल्लू सिंह, पार्टी महासचिव महेंद्र सिंह, यज्ञदत्त शर्मा, सुरेश श्रीवास्तव जैसे विधायक भी पुलिस की लाठियों से घायल हुए। स्वतंत्र देव सिंह, नरेंद्र सिंह राणा, हनुमान मिश्र जैसे भाजपाई भी जमकर पिटे। पिटते-पिटाते जो भाजपाई राजभवन तक तो पहुंच ही गए। इसके बाद पुलिस से उनकी नोकझोंक शुरू हो गई। भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया और यहां से शुरू हुआ पुलिस का बर्बर लाठीचार्ज। सूर्य प्रताप शाही, सत्यपाल सिंह, राजेश अग्रवाल, तनवीर हैदर उस्मानी, अष्टभुजा शुक्ला, ब्रजेंद्र अग्निहोत्री, अमित पुरी, बेबी रानी मौर्या, दयाशंकर सिंह, रमेश कपूर, अतुल दीक्षित जैसे अनेक कार्यकर्ता पुलिस की लाठियां खाते रहे। पुलिस ने आंसूगैस के गोले भी छोड़े मगर भाजपाई पुलिस के लाठी डंडों से इतने उग्र हो गए थे कि उन्होंने इसकी कोई परवाह नहीं की। पुलिस ने कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी किया जिनमें गिरफ्तारी के बाद भारतीय युवा मोर्चा के अध्यक्ष अभिजात मिश्र के खिलाफ गंभीर मुकदमे दायर करते हुए अदालत में पेश किया गया जहां से अदालत ने उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया।
राजधानी में पुलिस की इस कार्रवाई ने भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। भाजपा ने घोषणा की है कि वह पूरे प्रदेश में पुलिस की बर्बर कार्रवाई के खिलाफ आंदोलन छेड़ेगी। भाजपा नेताओं का कहना है कि वे कोई उपद्रव नहीं मचा रहे थे जो पुलिस ने उनको तितर-बितर करने की कोशिश के नाम पर उन पर लाठियां बरसाईं। पुलिस पर भी किसी ने हमला नहीं किया था जो कि पुलिस उससे चिढ़कर लाठियां चलाती। यह एक सोची-समझी रणनीति के तहत हुआ लगता है जिसमें कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर भी ताबड़तोड़ लाठियां बरसाईं गई जबकि वे किसी प्रकार की न तो हिंसा फैला रहे थे और न किसी को उकसा रहे थे। समाचार पत्रों में छपे पुलिस लाठीचार्ज के फोटो देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस गिरे हुए नेताओं और कार्यकर्ताओं पर भी लाठी बरसा रही है। इस कार्रवाई से एक बार फिर पुलिस की बर्बरता और उसके खौफनाक चेहरे पर से पर्दा उठा है। इस मौके पर पुलिस के अधिकारी भी मौजूद थे जो कि चाहते तो यह कार्यक्रम शांति से निपट जाता लेकिन ऐसा लग रहा था कि पुलिस जानबूझकर इनके खिलाफ बल प्रयोग करेगी।

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