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इश्‍मीत की मौत पर भारी अफसोस

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इश्‍मीत सिंह-ishmeet singh

लुधियाना। अफसोस!सुरसंगीत की दुनिया में अभी हाल ही में सामने आया गायक इश्‍मीत सिंह एक जल दुर्घटना में अपनी जान गंवा बैठा। संगीत प्रेमियों को इस घटना से भारी धक्का लगा। वॉयस ऑफ इंडिया 2007 के विजेता बनकर गायकी में नाम कमा रहे इश्‍मीत सिंह की मृत्यु मालद्वीव की राजधानी माले में एक स्वीमिंग पूल में डूबने से हुई बताई गई है। वह एक म्यूजिक कंपनी के प्रचार कार्यक्रम में हिस्सा लेने वहां गए थे। इस दुःखद घटना पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं और यह संशय भी प्रकाश में आया है कि कहीं इश्‍मीत सिंह की साजिशन मौत तो नहीं हुई है। वैसे पोस्‍टमार्टम ‌रिपोर्ट में आया है ‌कि इश्‍मीत की मौत डूबने से दम घुटने और उसके फेफड़ों एवं गुर्दे में पानी चले जाने के कारण हुई है फिर भी पंजाब सरकार इश्‍मीत की मौत के कारणों की जांच कराकर सभी संशय ‌मिटा देना चाहती है।

इश्‍मीत के घर वाले अपने बच्चे की इस तरह की मौत से तो गमज़दा हैं ही वे संगीत प्रेमी भी कम दुखी नहीं हैं जिन्होंने इश्‍मीत  को वॉयस ऑफ इंडिया के प्रतियोगी मंच पर अन्य प्रतियोगियों के बीच अपना वो काम तय करते हुए सुना था। अभी भी किसी को यह यकीन नहीं होता है कि संगीत का यह उभरता सितारा अनायास ही मौत के मुंह में चला गया है। मालद्वीव से जो रिपोर्ट आई है उसमें कहा गया है कि इश्‍मीत  अपने कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर माले के स्वीमिंग पूल में चला गया और उसने उत्साह में आकर ऐसे कुंड में डुबकी लगा दी जहां से वह केवल मृत शरीर के रूप में वापस आया। उसके बाद कार्यक्रम का जो हुआ सो हुआ लेकिन इश्‍मीत  एक इतिहास बन गया और इस वक्त उसकी मौत पर अनेकानेक प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं जिनका उत्तर अब सीबीआई की जांच की मांग करके खोजा जा रहा है।
इस घटनाक्रम का सबसे दुखद पहलू यह है कि इश्‍मीत  भी इलेक्ट्रानिक मीडिया के हमले का शिकार हो रहा है जिस प्रकार से नोएडा का आरुषि हत्याकांड एक ऐसी पहेली बना कि आज तक यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह घटना किन कारणों से घटी थी। इश्‍मीत  के परिवार वालों ने आशंका जाहिर की है कि उसकी मौत नहीं बल्कि वह हत्या है। माले सरकार ने इश्‍मीत  के शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया है और डाक्टरों की इस रिपोर्ट के साथ उसका शव परिजनों को सौंपा गया है कि इश्‍मीत  की मृत्यु पानी में डूबकर दम घुंटने से हुई है। इश्‍मीत  के गृह राज्य पंजाब में उसका शव पहुंचते ही वहां यह स्वर उठने लगे हैं कि इश्‍मीत  की मृत्यु की सीबीआई से जांच कराई जाए। यह एक ऐसी स्थिति है कि जिसमें किसी भी जांच एजेंसी के लिए उसकी जांच करना बड़ा दुष्कर है क्योंकि मीडिया किसी भी जांच से पहले ही अनेक आशंकाओं के साथ अपना विश्लेषण और जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहा है।
ऐसी किसी भी प्रतिभा के साथ जब इस प्रकार की घटनाएं होती हैं तो उनकी तह में जाने के लिए यह बहुत जरूरी होता है कि उससे संबंधित किसी भी घटना पर अनावश्यक विश्लेषण प्रस्तुत न किए जाएं जब तक उसकी जांच एजेंसी जांच न कर ले। लेकिन जब से यह काम मीडिया ने अपने हाथ में लिया है तब से ऐसे मामलों की सच्चाई का पता लगाना जांच एजेंसियों के लिए बहुत मुश्किल होता जा रहा है। यदि इश्‍मीत  की मृत्यु की जांच सीबीआई को दी जाती है तो उसे मीडिया की ऐसी ही मुश्किलात से जूझना पड़ेगा जिस प्रकार आरुषि हत्याकांड या मेरठ की कविता हत्याकांड में हुआ था। जब यह मामला अत्यधिक गहरे संदेह में धकेल दिया गया है तो फिर इसकी जांच हो ही जानी चाहिए चाहे वह कोई भी एजेंसी करे लेकिन एक प्रश्न यहां पर फिर खड़ा हुआ है कि ऐसे मामलों में न्याय तभी सामने आ पाएगा जब अति उत्साही विश्लेषणकर्ता इसमें कम से कम अपनी टांग न अड़ाएं।

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