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दिल्ली के बवाना में लैंडफिल परियोजना का भारी विरोध

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लैंडफिल परियोजना-landfill project

नई दिल्ली। बवाना-नरेला रोड पर आबादी के बीचो-बीच प्रस्तावित सेनेट्री लैंडफिल परियोजना का कड़ा विरोध हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पर्यावरण और जनजीवन के हिसाब से अत्यंत उपजाऊ खेती की जमीन पर यह परियोजना उचित नहीं है। बवाना क्षेत्र में प्रस्तावित लैंडफिल को लेकर करीब 10 साल से स्थानीय लोगों ने सरकार और प्रशासन तक अपना विरोध जताने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी है। बावजूद प्रशासन बवाना में ही सेनेट्री लैंडफिल बनाने पर आमादा है। करीब 75 एकड़ भूमि पर यह लैंडफिल बनाने की योजना है। सेनेट्री लैंडफिल की प्रस्तावित भूमि के पास ही भारतीय वायु सेना की हवाई पट्टी और सीआरपीएफ का कैम्प है। भारतीय वायु सेना और सीआरपीएफ ने भी अपने स्तर पर दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम को लैंडफिल परियोजना को रद्द करने की मांग की थी। मगर प्रशासन ने इसको कोई तवज्जो नहीं दी।
बवाना में रिहायशी आबादी के बीच प्रस्तावित सेनेट्री लैंडफिल परियोजना को एनसीआर में स्थानांतरित करने की मांग को लेकर यूनिटी फॉर डेवलपमेंट संस्था ने उप राज्यपाल तेजेंदर खन्ना, मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, महापौर डा कंवर सेन और निगमायुक्त केएस मेहरा को पत्र लिखकर करीब १५ साल पहले दिल्ली मास्टर प्लान-2021 की रूपरेखा तैयार करने के दौरान दिल्ली में सेनेट्री लैंडफिल्स के भराव को देखते हुए नए सेनेट्री लैंडफिल्स की आवश्यकता जतायी गई थी। उस दौरान बवाना क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और वर्तमान परिदृश्य में जमीन-आसमान का अंतर आ चुका है। बवाना और नरेला में औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना के बाद दिल्ली देहात का यह कृषि क्षेत्र अब हरियाली की जगह कंक्रीट का जंगल बन चुका है। पूरे क्षेत्र में लाखों की आबादी बढ़ी है। इसके अलावा आस-पास के गांवों घोघा, सन्नौठ, बांकनेर, लामपुर, नरेला, दरियापुर कलां, पूठ खुर्द, बरवाला, सुल्तानपुर डबास, नांगल ठाकरान, माजरा डबास, चांदपुर, बाजीतपुर, औचंदी, मुंगेशपुर, कटेवड़ा और कुतुबगढ़ में भी बड़ी तादाद में आबादी का विस्तार हुआ है। बवाना के साथ लगते बरवाला, खेड़ा खुर्द और हौलंबी कलां क्षेत्र में रोहिणी का भी विस्तार होता जा रहा है।
गत 14 अप्रैल को उत्तर-पश्चिमी जिला के उपायुक्त (राजस्व) के कार्यालय में प्रस्तावित सेनेट्री लैंडफिल को लेकर जन सुनवाई भी तय की गई थी। इसमें पर्यावरण को लेकर लोगों से अपनी आपत्तियां दर्ज करने की बात कही गई थी। रोचक तथ्य तो यह है कि प्रशासन को पिछले करीब 10 साल से स्थानीय संगठनों और आम लोगों का लैंडफिल के खिलाफ जारी विरोध नजर ही नहीं आया है। यही कारण है कि अब दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के समक्ष सुझाव और आपत्तियों को दर्ज करने की खानापूर्ति कर प्रशासन लैंडफिल परियोजना को जल्द से जल्द शुरू करना चाह रहा है। दिल्ली ग्राम विकास महा पंचायत के महासचिव रामनिवास सहरावत ने मांग की है कि इस जमीन पर तकनीकी शिक्षा तथा सामुदायिक उपयोग के लिए कोई परियोजना शुरू की जानी चाहिए।
यूनिटी फॉर डवलपमेंट संस्था के अध्यक्ष आनंद राणा ने उप राज्यपाल, मुख्यमंत्री, महापौर और निगमायुक्त को लिखे पत्र में इस परियोजना को तुरंत रद्द कर दिल्ली की सीमा से बाहर एनसीआर क्षेत्र में स्थानांतरित करने की मांग की है। अगर बवाना में यह लैंडफिल बनाया गया तो पूरा क्षेत्र प्रदूषण की चपेट में आ जाएगा तब लाखों लोग सरकारी लापरवाही की वजह से बीमारियों की मार झेलने पर मजबूर हो जाएंगे।

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