स्वतंत्र आवाज़
word map

टाटा टेली सर्विसेज़ से उपभोक्ता निराश!

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

टाटा डोगल‌

मुंबई। भारत के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा जहां विदेशों की नामधारी कंपनियों को चुटकियों में खरीदकर दुनिया भर में अपनी आर्थिक विजय की पताका फहरा रहे हैं वहीं उनके ही देश में उनकी सबसे प्रसिद्ध टाटा टेली सर्विसेज लिमिटेड अपने दावों और वायदों के अनुसार उपभोक्ताओं को बेहतर टेली सेवाएं प्रदान करने में औरों से पिछड़ रही है। एक समय इस सर्विस की इंटरनेट कनेक्टिविटी इतनी तेज थी कि पल भर में इंटरनेट कनेक्ट होकर पेज खुल जाता था, आज इसके लाखों इंटरनेट और मोबाइल धारक टाटा टेली सर्विसेज के इंटरनेट कनेक्शन लेकर तो पछता ही रहे हैं क्योंकि जो पेज तुरंत खुलता था उसके लिए इंटरनेट धारक को एक-एक घंटे तक की प्रतीक्षा करनी होती है और कभी-कभी तो यह सेवा जवाब ही दे देती है। यही हाल टेली प्लान की सूचना सेवाओं का है, जिनमें बड़े-बड़े दावे पेश करके उपभोक्ताओं को भरमाया गया और भरमाया जा रहा है जिससे टाटा टेली सर्विस की बेहतर सेवाओं के प्रति उपभोक्ताओं का विश्वास टूट रहा है। टाटा इंडिकाम की फोन सेवाओं में भी कभी एक बार में ही कॉल लगती थी मगर अब अनेक प्रयास करने के बाद ही कॉल लग पाती है। टाटा सर्विस की इस सेवा का भी जब प्रमुख शहरों में यह हाल है तो और छोटी जगहों इसकी क्या स्थिति होगी इसकी कल्पना की जा सकती है।
मुंबई,
दिल्ली, कोलकाता, मद्रास जैसे शहरों में टाटा टेली सर्विसेज की सबसे बेहतर सेवाओं के बड़े-बड़े दावे किए गए हैं लेकिन उनकी हकीकत स्पीडो मीटर खोलते ही सामने आ जाती है। उत्तर प्रदेश में और उसकी राजधानी लखनऊ में तो इस सेवा का सबसे बुरा हाल है, जहां से टाटा टेली सर्विसेज के उपभोक्ताओं की सबसे ज्यादा शिकायतें आ रही हैं। टाटा टेली सर्विस के इंजीनियर और मैकेनिक जब कनेक्शन धारक की शिकायत पर उसके पास जाते हैं तो उन्हें उपभोक्ता से बुरी-भली सुननी पड़ती है। उपभोक्ता अब समझते हैं कि टाटा टेली सर्विसेज ने बड़े पैमाने पर अपनी टेली सेवाओं का प्रचार करके उपभोक्ताओं को केवल मूर्ख बनाया है। टेली सर्विस के अधिकारी इस गतिरोध में उपभोक्ता की किसी भी प्रकार की शिकायत सुनने को तैयार नहीं हैं जबकि उपभोक्ताओं को उन सेवाओं से मतलब है जिनको टाटा ने देने का दावा किया हुआ है। टाटा टेली सर्विसेज की नेटवर्क समस्या से तो किसी अधिकारी का कोई लेना-देना नहीं है। शुरू-शुरू में तो देश भर में इस सर्विस की कनेक्टिविटी अन्य कंपनियों से बहुत अच्छी थी लेकिन टाटा टेली सर्विस इस स्थिति को कायम नहीं रख सकी। उत्तर प्रदेश में उपभोक्ताओं की इस बड़ी समस्या के संबंध में टाटा टेली सर्विस के व्यापार प्रबंधक समीर श्रीवास्तव से जानकारी चाही गई तो उन्होंने इसमें कोई दिलचस्पी नही ली।
टाटा टेली सर्विस
की विशेषताओं से प्रभावित होकर बहुत से उपभोक्ताओं ने अन्य कंपनियों के अपने कनेक्शन खत्म करके टाटा टेली सर्विस के कनेक्शन लिए थे। प्रतिस्पर्द्घा में टाटा ने देश भर में अपने टावरों की क्षमता से भी कई गुना ज्यादा इंटरनेट और मोबाइल कनेक्शन बेच दिए जिससे यह सर्विस अपना नेटवर्क कनेक्टिविटी को खो बैठी। आज स्थिति यह है कि टाटा सर्विस के उपभोक्ताओं की शिकायतों के अंबार लग गए हैं और उन्हें अटेंड करने जाने के लिए उसके इंजीनियर कतरा रहे हैं क्योंकि उन्हें उपभोक्ताओं के आक्रोश का सामना करने की आशंका है। उपभोक्ता इस बात को पकड़ गए हैं कि जब टाटा टेली सर्विस के पास टावरों का अभाव है तो उसने इतने मोबाइल और इंटरनेट कनेक्शन बेचे ही क्यों? टाटा टेली सर्विस की इस क्षेत्र में दूसरी कंपनियों से जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है, जिसमें टाटा टेली सर्विस ने इस बात पर तो कम जोर दिया कि उपभोक्ताओं को अन्य कंपनियों की तुलना में टाटा टेली की तुरंत नेटवर्क कनेक्टिविटी मिले बल्कि इस पर ज्यादा जोर दिया कि उसके ही सबसे ज्यादा उपभोक्ता देश भर में हों।
टाटा टेली सर्विस
के अधिकारी दावा करते हैं कि उनकी कनेक्टिविटी देश के सभी राजमार्गो पर भी है लेकिन यह दावा सच्चाई से बहुत दूर है। जब टाटा के मुख्य टावरों के करीब भी कनेक्टिविटी का बुरा हाल है तो राजमार्गों पर इस सुविधा का होना एक कोरा झूठ ही लगता है। उपभोक्ता तुरंत कनेक्टिविटी के लिए टेली सर्विस का चुनाव करता है जो कि उसको उपलब्ध नहीं है। सेल्स वाले उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा गुमराह करते हैं और किसी भी प्लान के बारे में ठीक से जानकारी नहीं देते। सेल्स अधिकारी उपभोक्ताओं को बताते हैं कि टाटा इंडिकाम की स्पीड महानगरों में 153.3 केबीपीएस और राजमार्गों पर 140 केबीपीएस है जो कि बीएसएनएल के ब्राडबैंड के बराबर है। जबकि हकीकत यह है कि अगर टाटा इंडिकाम की इंटरनेट स्पीड स्पीडोमीटर से चेक की जाती है तो वह 20 से 30 केबीपीएस से ज्यादा मिलती ही नहीं है। टाटा इंडिकाम की ज्यादा स्पीड के टाटा के दावे के कारण उपभोक्ता बहुत गुमराह हुए हैं जिससे उन्होंने इस सेवा को तुरंत ले लिया और अब भुगत रहे हैं। इसी प्रकार टाटा के वायरलेस फोन भी अब जवाब दे रहे हैं। उपभोक्ता उनकी जगहों पर जब दूसरा फोन सेट लगाने की बात करता है तो उसे स्टॉक नहीं है कहकर टाल दिया जाता है। सच्चाई यह बताते हैं कि टेलीफोन कनेक्शन धुआंधार बेच दिए गए लेकिन फोन सेट हैं ही नहीं।
टाटा टेली सर्विसेज़
के अधिकारी उपभोक्ताओं की शिकायत सुनने के लिए सामने नहीं आते हैं और यह जिम्मेदारी वह अपने सहायकों पर डाल देते हैं, सहायक हैं जो उपभोक्ता को संतुष्ट करने में पूरी तरह से विफल हैं। टाटा टेली सर्विस के तकनीकी अधिकारियों से यदि पूछा जाए तो उनका कोई संतोषजनक उत्तर नहीं होता है। ज्यादा पूछने पर उनका उत्तर यही होता है कि जब तक पर्याप्त संख्या में टावर नहीं बढ़ाए जाएंगे तब तक इस सेवा में कोई सुधार नहीं हो सकता। यह हाल केवल टेली सर्विस की तकनीकी सेवा का ही नहीं है बल्कि उपभोक्ताओं को रिझाकर कनेक्शन देने के बाद उनसे टाटा सर्विस का कोई प्रतिनिधि भी बात करना जरूरी नहीं समझता है। इसके इस संबंध में जब टाटा टेली सर्विस के मुख्य कार्यकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई तो वह उपलब्ध ही नहीं हुए। उपभोक्ता इस समय इस क्षेत्र की अन्य कंपनियों के बीच में बेहतर सुविधाओं की तुलना कर रहे हैं। उपभोक्ताओं को भरोसा था कि टाटा का जैसा नाम है वैसी ही उनकी टेली सर्विस सेवा भी होगी लेकिन इस सर्विस के कर्ताधर्ता टेली सर्विस को और ज्यादा लोकप्रिय बनाने में विफल रहे हैं। यही कारण है कि टाटा सर्विस के उपभोक्ताओं में आक्रोश पनप रहा है और वह इस सर्विस से मुक्ति पाकर ऐसी टेली सर्विस कंपनी की तरफ जा रहे हैं जो उन्हें बेहतर सुविधा दे सके। दिनोंदिन टाटा टेली सर्विस की उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा देने की प्रतिबद्धता टूटती जा रही है।
देश
के प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा के प्रति भारत में ही नहीं अपितु दुनियाभर में में भारी सम्मान है, उन्हें देश की आर्थिक प्रगति का एंपायर माना जाता है। इस कारण उनकी ओर से देशवासियों के लिए जो भी योजनाएं और सेवाएं समर्पित की जाती हैं देशवासी उन पर आंख मूंदकर यकीन करते हैं। टाटा टेली सर्विस भी ऐसी ही सेवा है जिससे इंटरनेट की दुनिया में जाने वालों ने बहुत उम्मीदें लगाईं थीं। कारण जो भी रहे हों इस सेवा ने शुरू-शुरू में अपना तो प्रभाव छोड़ा वह स्थाई नहीं रह सका जबकि रतन टाटा का नाम और उनका पूरा मिशन ही स्थायित्व से प्रेरित माना जाता है। इस टेली प्रतिस्पर्द्घा में टाटा टेली सर्विस से चूक कहां हो रही है यह उपभोक्ताओं का विषय नहीं है, उन्हें तो दावों और वादों के अनुसार बेहतर सुविधाओं से मतलब है जो उन्हें जहां मिलेंगीं वह वहां जाएंगे। फिलहाल उपभोक्ताओं का इस सेवा के प्रति विश्वास कमजोर होता जा रहा है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]