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काम आई पावर कारपोरेशन की बिजली हेल्प लाइन

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पावर कारपोरेशन-power corporation

लखनऊ। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग कर टेलीफोन पर की जाने वाली कुछ मिनटों की वार्ता अब 'कस्टमर केयर' प्रबंधन का एक अभिन्न अंग बन चुकी है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने इसी मॉडल का उपयोग करते हुये प्रदेश भर के विद्युत उपभोक्ताओं की समस्याओं और शिकायतों के त्वरित, समयबद्ध समाधान करने और उपयोगी जानकारी देने के लिये एक कॉल सेंटर की स्थापना की है। कारपोरेशन का दावा है कि इस हेल्प लाइन से विद्युत संबंधी शिकायतों के निस्तारण में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
उपभोक्ता को फोन नम्बर-1800-180-8752 पर निःशुल्क कॉल कर अपनी समस्या बतानी होती है। वैसे तो फोन नम्बर पर विद्युत से संबधित सभी प्रकार की शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं किंतु नये विद्युत कनेक्शन, बिल संयोजन या संशोधन, लूज़ वॉयर, टेढ़े बिजली के खम्बे, खराब ट्रान्सफार्मर और ग्रामीण क्षेत्रों में नलकूप से संबधित शिकायतें विशेष रूप से निस्तारित की जाती हैं क्योंकि इस प्रकार की समस्याओं की संख्या अधिक होती है।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष नवनीत सहगल ने बताया कि इस सुविधा को और प्रभावशाली बनाने के लिये 'इंटर ऐक्टिव वॉइस रिस्पांस सिस्टम' स्थापित करने की योजना है जिससे एक साथ कई शिकायतों का पंजीकरण हो सके और समय से उनका निराकरण संभव हो सके। कॉल सेंटर की सफलता से प्रोत्साहित होकर और पिछले वर्ष मानसून की कमी के कारण उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने जुलाई, 2009 में किसान हेल्प लाइन शुरू की थी। इसके अंतर्गत किसानो के लिये विशेष रूप से समर्पित फोन लाइनों को इस कॉल सेंटर में जोड़ा गया। किसान हेल्प लाइन पर विशेष रूप से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में नलकूप और ट्रान्सफार्मर से संबधित समस्याओं का पंजीकरण किया जाता है जिससे कि उनका निदान त्वरित गति से किया जा सके।
पावर कारपोरेशन के अधिशासी अभियन्ता, प्रभारी कॉल सेंटर, शकील अहमद सिद्दीक़ी ने इस प्रणाली के बारे में विस्तार से बताया कि जब कोई उपभोक्ता अपनी विद्युत संबधी समस्या को इस टॉल फ्री फोन पर बताता है तो उसका नाम पता और संपर्क नंबर मांगा जाता है। तत्पश्चात उपभोक्ता को एक कन्ट्रोल आईडी या पंजीकरण संख्या दी जाती है जिससे कि शिकायत के समाधान में आसानी हो जाती है। शिकायत करने वाले उपभोक्ता को उसकी बतायी गयी समस्या के प्रकार के आधार पर निराकरण का संभावित समय भी बताया जाता है। पंजीकरण के पश्चात शिकायत की सूचना उस क्षेत्र के संबधित उपखण्ड अधिकारी/अवर अभियन्ता को दी जाती है, साथ ही इस शिकायत की सूचना ई-मेल से कॉल सेंटर के प्रभारी अधिशासी अभियन्ता, क्षेत्रीय अधिशासी अभियन्ता और अधीक्षण अभियन्ता को भी दी जाती है।
उन्होंने बताया कि पंजीकृत शिकायतों के समयबद्ध और त्वरित समाधान के लिये प्रभावी अनुश्रवण व्यवस्था की गयी है जिसमें उत्तरदायी अधिकारी/अभियन्ता, जिसे समस्या के विषय में सूचित किया गया है, उसका नाम और संभावित समय नोट कर लिया जाता है। संबधित अधिकारी/अभियन्ता से समस्या के निराकण की सूचना प्राप्त होने के बाद शिकायतकर्ता/उपभोक्ता के दूरभाष पर समस्या के समाधान की पुष्टि की जाती है। यदि समुचित समय मे किसी शिकायत के समाधान की सूचना नहीं प्राप्त होती है तो उस विशेष समस्या के बारे में संबधित मुख्य अभियन्ता और पावर कारपोरेशन के प्रबन्ध निदेशक को भी सूचित किया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक माह, प्रदेश के ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय, विद्युत व्यवस्था की समीक्षा करते हैं। इस बैठक में भी कॉल सेंटरों मे प्राप्त शिकायतों और समाधान की स्थिति और प्रगति का जायजा लिया जाता है।
पावर कारपोरेशन के अपर प्रबन्ध निदेशक, नरेन्द्र भूषण ने दावा किया है कि इस सुविधा केन्द्र के अप्रैल, 2009 में प्रारम्भ होने के बाद से पंजीकृत लंबित शिकायतों में तेजी से कमी आयी है। लगभग 85 प्रतिशत शिकायतों का समाधान यथोचित समय में किया गया है। सुविधा केन्द्र पर अप्रैल, 2009 में 1198 शिकायतें दर्ज़ हुयी थीं, यह संख्या दिसम्बर, 2009 में बढ़कर 3914 हो गयी जबकि अगस्त, 2009 में सबसे अधिक 5986 शिकायतें प्राप्त हुयीं।

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