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व्यक्तित्व ‘प्रबंधन’ के प्रबंधन गुरू असीम चौहान

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ये हैं, प्रतिभाशाली एवं आकर्षक व्यक्तित्व के धनी-असीम चौहान, जिनके पास विख्यात शिक्षण संस्थान एमिटी इंस्टीट्यूट का प्रबंधन है। असीम, अंतरराष्ट्रीय मानकों के विशेषज्ञ के रूप में रितानंद बालवेद एजुकेशन फाउंडेशन के ट्रस्टी और बोर्ड मेंबर हैं। यह फाउंडेशन एमिटी इंस्टीट्यूट की एक छाता संस्था है। असीम ने थोड़े ही समय में निजी क्षेत्र में एक प्रबंधन गुरू के रूप में प्रतिस्पर्द्घा पैदा कर दी है।

प्रबंधन और तकनीकि शिक्षा में कभी बंजर कहा जाने वाला उत्तर प्रदेश का राजधानी क्षेत्र लखनऊ इस व्यवसायिक शिक्षा में अब काफी फल-फूल रहा है। एमिटी के 50 संस्थानों में 130 कार्यक्रम, 22 कैंपस में चलाये जा रहे हैं, जिनमें करीब 50,000 छात्र शिक्षण ग्रहण कर रहे हैं।

असीम चौहान एमिटी संस्थान के बाहरी (विदेशी) मामलों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी हैं, जिनके कार्यालय न्यूयार्क, लंदन, नई दिल्ली में इंजीनियरिंग डिजाइन, बायोटेक्नोलॉजी और वेंचर कैपिटल इंवेस्टमेंट के क्षेत्रों पर काम कर रहे हैं। उन्हें वेंचर कैपिटल और लीवरएजेड बाइआउट में विलक्षण अनुभव प्राप्त है। इस क्षेत्र में 5,000 मिलियन डालर का अंतरराष्ट्रीय निवेश भी किया गया है। उन्होंने एईए इंवेस्टर्स मल्टी मिलयिन डालर कंपनी न्यूयार्क के साथ काम किया है, जो वर्तमान और पुराने फोरचूनस फंडों का निवेश करती है। इसमें 100 सीईओ और सारे विश्व से मालदार घराने शामिल हैं।
असीम ने फिलाडेफिया वेंचरस में भी काम किया है जो कि बायोटेक और हाईटेक स्टार्टअप को पहले की स्थिति में स्टेज वेंचर कैपिटल मुहैया कराती है। उन्होंने मरसर मैनेजमेंट कंसलटिंग के साथ भी एक रणनीतिकार सलाहकार की तरह काम किया है जो कि न्यूयार्क, लंदन, हांगकांग और जेपी मोरगन, मरचेन्ट बैकिंग को रणनीतिक सलाह मुहैया कराती है। असीम चौहान ने इंजीनियरिंग और फाईनेंस
स्टेटजिनक मैनेजमेंट ह्वारटन बिजनेस स्कूल, पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय से शिक्षा ली है तथा मैनेजमेंट और टेक्नोलॉजी के जरोमे फिशर प्रोग्राम के एल्युमिनी भी रहे हैं। वह अंतरराष्ट्रीय सोच के साथ भारत में विकसित और विभिन्न पिछड़े इलाकों में भी शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिमायती हैं।
उन्होंने अपनी जिंदगी के दो दशक यूरोप में और एक दशक अमेरिका में व्यतीत किया है। लखनऊ में एमिटी की स्थापना में असीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका प्रयास है कि लखनऊ को अंतरराष्ट्रीय मानक की उच्च शिक्षा एवं रोजगार परक शिक्षा से जोड़ा जाए। व्यवसायिक प्रतिद्वंदिता में कांटे की टक्कर के बावजूद वह लखनऊ में पहले से ही कार्यरत शिक्षण संस्थानों की प्रशंसा भी करते हैं और इस क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा जरूरी समझते हैं। उनका दावा है कि एमिटी डिग्री ही नहीं देती है, बल्कि रोजगार के रास्ते भी दिखाती है।

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