स्वतंत्र आवाज़
word map

ऑस्कर के अलावा पिंकी को और क्या मिला?

अखिलेश-अरूण

स्माइल पिंकी

मिर्जापुर/सोनभद्र। ऑस्कर पुरस्कार पाने वाली लघु फिल्म स्माइल पिंकी की असली नायिका पिंकी को नाम तो मिला, परिवार का नाम भी ऊँचा हुआ और भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के घर से एक कलाई घड़ी इनाम स्वरूप मिली। दुनिया में शोहरत पाई पिंकी के लिए आप यह भी सोच रहे होंगे कि यह बालिका रातों-रात करोड़पति हो गई है। अगर पिंकी के पिता और उसके मामा की बात को सच मान लें तो सच्चाई यह है कि इस फिल्म से पिंकी को केवल अठारह डॉलर मिलने के अलावा कुछ नही मिला है। यदि उसे कुछ पैसे मिले हैं तो कुछ लोगों या संस्थाओं से मिले हैं। इसलिए यह बात निर्मूल है कि पिंकी स्माइल पिंकी से करोड़पति हो गई है। पिंकी के माँ-बाप रिश्तेदार तक परेशान हैं कि लोग यह सोच रहे हैं कि आज पिंकी करोड़पति बन गई है। एक बैंक मैनेजर ने अपने यहां उसका खाता खोलकर सोचा था कि पिंकी के लाखों-करोड़ों रूपए उसके बैंक में जमा होंगे लेकिन उसकी उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है। यह सच अब सामने आ रहा है और लोग कह रहे हैं कि पीतल की तश्तरियों और मूर्तियों से समृद्धि के दरवाजे नहीं खुल सकते। इस फिल्म के निर्माताओं ने अगर पिंकी को अठारह डॉलर ही दिए हैं तो यह पिंकी की गरीबी के साथ एक मजाक है।

अहरौरा टाउन ऐरिया से लगभग दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह गांव। इस गांव का मजरा छोटी खुरिया है। इसी मजरे की पिंकी ने हाल ही में ऑस्कर एवार्ड पाया है। इस गांव की भौगोलिक स्‍थिति यह है कि यह गांव छोटी खुरिया पहाड़ियों से घिरा है। सोलह-सत्रह घरों के इस गांव में सभी लोग सोनकर (दलित वर्ग) उपजाति के लोग रहते हैं। यहां से अस्पताल और इंटर कालेज भी लगभग दस किलोमीटर दूर हैं। अधिकांश लोग खेती और जंगल की उपज पर निर्भर हैं। यहां जब कोई बीमार पड़ता है, तो लोग उसे चारपाई पर लादकर अस्पताल ले जाते हैं। कई बदनसीब तो अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं।
तो पिंकी यहां की रहने वाली है। गांव वालों के मुताबिक अर्सा पहले कुछ अंग्रेज लोग यहां आए थे, ओंठ कटी हुई लड़की की तलाश में थे। उन्होंने पहले एक दूसरी लड़की को देखा था परंतु वह उन्हें पसंद नहीं आई, क्योंकि वहां का माहौल और लोकेशन उनकी कसौटी पर खरा नहीं उतरा। तब उन्होंने छोटी खुरिया में रामपुर डिबई गांव की रहने वाली पिंकी को चुना, जिसका ओंठ कटा हुआ था। पिंकी के दादा सेवालाल के पांच पुत्र हैं। इनमें पिंकी के पिता राजेन्द्र सोनकर सबसे छोटे हैं। राजेंद्र सोनकर के पांच बच्चे हैं। इनके नाम हैं अंजु, पिंकी, लल्लू, अनिल एवं सुनील। पांचों भाइयों का संयुक्त परिवार है जिसमें सदस्यों की संख्या लगभग पैंतालिस है। माली हालत पर गौर करें तो पिंकी के दादा के नाम पांच बीघे जमीन का पट्टा है। यह जमीन आज भी असिंचित है। इस हिसाब से पिंकी के पिता के हिस्से चार हिस्सा असिंचित खेत आया है।
पिंकी के मामा विनोद कुमार उर्फ रिंकू का कहना है कि अगर कोई एक क्रिकेट मैच जीतकर आता है तो उसका परिवार मालामाल हो जाता है, आज पिंकी ने देश माथा ऊंचाकर उसे आस्कर एवार्ड दिलाया फिर भी घर में लोग एक-एक दाने को मोहताज हैं। इस एवार्ड के मिलने के बाद कुछ लोग पिंकी के घर आते हैं और पिंकी के साथ अपनी फोटो खिंचाकर चले जाते हैं। पिंकी की फिल्‍म के आस्‍कर एवार्ड जीतने पर उसके गांव में सिर्फ इतना बदलाव आया है कि महामाया योजना के अन्तर्गत आठ बाई आठ का एक कमरा बन गया है। इसमें पिंकी का परिवार रह सकता है। पिंकी के घर के पास करीब सौ मीटर की आरसीसी रोड बन रही है। एक शौचालय बन गया है। एक हैंडपाइप तथा एक सोलर लाइट भी लग गई है।
पिंकी के पिता राजेंद्र सोनकर की इच्छा है कि वह अपने सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा दे। उनके इलाके में आवागमन के लिए सड़कें तथा अन्य संसाधन हो जायें ताकि इस क्षेत्र का विकास हो सके। उसका कहना है, कि अहरौरा से बेचुवीर होते हुए जो संपर्क मार्ग अधूरा बना हैं अगर उसको सक्तेशगढ़ तक जोड़ दिया जाये तो इस क्षेत्र का विकास हो सकता है।
गांव वालों का कहना है कि पिंकी एक तरीके से उनके क्षेत्र के लिए वरदान साबित हुई है अन्यथा आजादी के साठ साल हो जाने के बाद भी यहां की समस्याओं पर गौर करने वाला कोई नहीं था।
पिंकी के पिता राजेंद्र सोनकर के मुताबिक उसे सिर्फ अठारह डालर मिले हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन ‌सिंह की पत्नी ने एक सोनाटा घड़ी भेंट की है। लेकिन मीडिया के जरिये लोगों में यह अफवाह फैल गयी है कि पिंकी को इनाम में करोड़ों रुपये मिले हैं। पिंकी के ताऊ मिठाई लाल सोनकर कहते हैं कि इस अफवाह से उन्हें अब मजदूरी मिलने में भी दिक्कत आ रही है और तो और उनके परिवार वालों की जानमाल का खतरा पैदा हो गया है जबकि वास्तविकता यह है कि आज भी हम सब लोग मजदूरी न करें तो दूसरे समय का खाना नसीब नहीं होगा।
कैसी विडंबना है कि देश को आस्कर एवार्ड दिलाने वाली पिंकी और उसका परिवार दो जून की रोटी के लिए संघर्ष कर रहा है। उसको आस्कर एवार्ड जीते हुए दो माह भी नहीं गुजरे हैं। कुछ निजी संस्थाओं ने ही पिंकी को इनाम स्वरूप दस से बीस हजार रुपये तक के उपहार दिये हैं परंतु सरकार की तरफ से आज तक उन्हें कोई भी आर्थिक मदद नहीं मिली। इलाहाबाद बैंक अहरौरा शाखा के मैनेजर बिरहाजी ने पिंकी को पांच हजार रुपये का चेक भेंट किया और अपने खर्चे से पिंकी के नाम बैंक खाता खोला, जिसमें पिंकी के पैसे जमा हो जाते हैं।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]