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राजमहल छोड़ना चाहती हैं राजमाता

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काठमांडू। कमल दहल प्रचंड सरकार ने नेपाल के शाही महल नारायणहिती को संग्रहालय तो बना ही दिया है लेकिन कहते हैं कि अभी तक इस राजमहल में ही रह रहीं नेपाल की 81 वर्षीय पूर्व राजमाता रत्ना ने अब यहां से जाने की इच्छा जताई है। कभी यह राजमहल इस राज परिवार के लिए शांति सुख और वैभव का प्रतीक हुआ करता था। इसमें राजमाता के न रहने की इच्‍छा प्रकट करने के बाद नेपाल में उनके शुभचिंतकों के बीच एक निराशा का वातावरण बना है।

नेपाल में राजशाही खत्‍म होने के बाद कुछ ऐसी घटनाएं घट रही हैं जिनसे नेपाल की जनता अपने को सहज रूप से जोड़ने के लिए तैयार नहीं है। यहां राजमाता का अपरोक्ष रूप से अपमान भी एक बड़ा कारण है। वह यहां ऊब चुकी हैं और उन्‍हें यह राजमहल अब भुतहा नजर आता है। बताया जाता है कि अब वे अपनी जिंदगी के आखिरी दिन इस भीड़-भाड़ से दूर किसी तीर्थस्थल में बिताना चाहती हैं। पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र की सौतेली मां रत्ना शाह अपने पति एवं पूर्व नरेश महेद्र से लेकर तीन नरेशों के शासनकाल के दौरान नेपाल की सबसे ताकतवर महिला थीं। उन पर एक आरोप भी लगाया जाता है कि 2005 में रत्ना ने ही ज्ञानेंद्र को सेना की मदद से सत्ता पर कब्जा करने के लिए उकसाया था।

राजमाता रत्ना जहां रहने जा सकती हैं, उनमें एक विकल्प पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में स्थित अतिथि गृह भी हो सकता है। उल्लेखनीय है कि उनकी दोनों दत्तक पुत्रियों का विवाह यहीं से हुआ था। पिछले साल सत्ताच्युत हुए ज्ञानेंद्र ने सरकार से मां को राजमहल में रहने देने का अनुरोध किया था। सरकार ने भी उनके इस अनुरोध को मान लिया। अपने परिवार के किसी सदस्य के राजमहल में न रहने के कारण रत्ना भी वहां नहीं रहना चाहतीं। राजमहल को संग्रहालय घोषित किए जाने के साथ-साथ 2001 में यहां हुए हत्याकांड की काली यादें फिर ताजा हो उठी है।

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