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आप का बच्चा झूठ बोले तो

पाल एकमैन

बच्चा-child

यहमाता-पिता के लिए सबसे जटिल समस्याओं में से एक है और इससे निपटना आसान नहीं है
मेरे बेटे ने मुझ से झूठ बोला, और वह मात्र पांच वर्ष का है। क्या यह सामान्य है?
मैं जानती हूं, जोआन झूठ बोल रही है। जब वह मुझे कहती है कि वह सिगरेट नहीं पीती। मुझे क्या करना चाहिए?
प्रत्येक माता पिता इस बात से परेशान है कि उनका बच्चा झूठ बोलता है। पिछले बीस वर्ष से मैंने एक मनोवैज्ञानिक के रूप में वयस्कों में झूठ बोलने की आदत का अध्ययन किया है। लेकिन माता-पिता के रूप में इससे निपटना मेरे लिए भी आसान नहीं था। इसलिए मैंने निश्चय किया कि मैं बच्चों और उनके झूठ बोलने की आदत के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करूं। इसके लिए मैंने अपने वर्षों के अनुसंधान कार्य को आधार बनाया, बच्चों एवं अभिभावकों से बातचीत की, अपनी पत्नी मेरी एन और पुत्र टॉम से निजी जानकारी ली और पिता के रूप में अपने अनुभवों का भी फायदा उठाया। इसके बाद ही मैंने बच्चों में सच्चाई को प्रोत्साहित करने के उपाय सुझाए हैं। शब्दों से ज्यादा काम का असर होता है
जब आप का बच्चा झूठ बोलता है तब सब से पहले माता-पिता को ही सोचना चाहिए, कि वे स्वयं कितना झूठ बोलते हैं। वयस्कों के लिए अकारण बोले गए छोटे-मोटे झूठों का कोई अर्थ नहीं, लेकिन बच्चे अकसर उन्हें वास्तविक झूठ मान लेते हैं।
जब मुझे मालूम हुआ कि टॉम ने हमारी अनुपस्थिति में अपने मित्रों को घर बुलाकर पार्टी दी थी और हम से झूठ बोला था तब मैं बड़ा क्रोधित हुआ था। टॉम उस समय 13 वर्ष का था। जब हम पति पत्नी ने आपस में इस बारे में बातचीत की, मेरी पत्नी को याद आया कि उसके स्कूल से भी गड़बड़ी करने की कुछ शिकायतें मिली हैं। स्कूल से मिला गृह कार्य न करने पर झूठ बोलना, कक्षाओं में अनुपस्थिति और उसके लिए झूठे बहाने बनाना, आदि।
इसके बाद मेरी पत्नी और मैं सोचने लगे। क्या हम बच्चे को जो उपदेश देते थे, उन पर खुद अमल भी करते थे। अनुसंधान से पता चलता है कि झूठ बोलने वाले बच्चे अधिकांशतः उन घरों के होते हैं जिन घरों में अभिभावक भी झूठ बोलते हैं या नियमों का उल्लंघन करते हैं।
टॉम का झूठ पकड़े जाने के एक सप्ताह बाद मेरी एन ने मात्र सुविधा के लिए अपने आप को आठ बार झूठ बोलते हुए पकड़ा। मिसाल के तौर पर गाड़ी खड़ी करने पर समय के हिसाब से टिकट देने वाले यातायात अधिकारी को उसने बताया कि वह थोड़ी देर के लिए ही स्टोर में गई थी। यदि आप अपने बच्चे में ईमानदारी की भावना चाहते हैं तो ऐसा मार्ग मत अपनाइए।
इस विषय में मैं अपने बच्चों से बातचीत करना आवश्यक समझता हूं। उदाहरण के लिए मेरी 11 वर्षीय पुत्री ईव ने अपने जन्म दिन पर जिन मित्रों को आमंत्रित नहीं किया है, उनसे उसे क्या कहना चाहिए? मैंने बताया कि अपने मित्रों को यह कहना इतना बुरा नहीं होगा कि उसके माता-पिता ने बच्चों को एक निश्चित संख्या में ही आमंत्रित करने की आज्ञा दी थी। साथ में यह भी बता दो कि उसके दोस्तों को और भी अधिक बुरा लगेगा जब उन्हें पता चलेगा कि ईव ने उनसे झूठ बोली थी।
अपने बच्चे की निजी स्वतंत्रता का ध्यान रखें
सात वर्ष का बच्चा जब जन्म दिन की पार्टी से घर लौटता है तब वह अपनी मां के इन सवालों का उत्तर खुशी-खुशी देगा कि पार्टी में कौन-कौन आया था और उन्होंने क्या-क्या खेल खेले थे। चौदह वर्ष की आयु में वही बच्चा ऐसे सवाल पूछने पर नाराज हो जाएगा, टालमटोल करेगा या एकदम झूठ बोलेगा।
माता-पिता और बच्चों के बीच लगातार तनाव रहने का कारण यह है कि बच्चा स्वतंत्र बनना चाहता है, इसीलिए वह अधिक संगोपनशील होता है, और माता पिता इसके विरुद्ध होते हैं क्योंकि वे समझते हैं कि उसे सुरक्षा और मार्गदर्शन की आवश्यकता है। दुर्भाग्यवश अधिकांश माता पिता अपने बच्चों की जिंदगी के बारे में उन्हें जो मालूम होना चाहिए उसे गंभीरता से कम ही सोचते हैं। उन्हें मानसिक जांच सूची तैयार करनी चाहिए, जिसमें ये बातें शामिल हों। खाली समय में बच्चा कहां जाता है, उसने स्कूल का पाठ पूरा कर लिया है, स्कूल में उस का व्यवहार कैसा है और टेलीविजन देखने की उसकी आदतें कैसी हैं? बच्चे के बड़े होने के साथ-साथ उसे स्वतंत्रता देने के लिए सूची में संशोधन किया जा सकता है।
एक बार जब माता-पिता यह निश्चय कर लेते हैं कि उन्हें क्या जानना आवश्यक है, तब उन पर यह बात स्पष्ट हो जाती है कि उनके बच्चों को भी कुछ क्षेत्रों में वैयक्तिकता चाहिए। कुछ अभिभावकों के अनुसार, उनके बच्चे का कमरा एक ऐसा निजी क्षेत्र है, दूसरे माता-पिता बच्चे से कह सकते हैं कि टेलीफोन पर तुम्हारी बातचीत और पत्र गोपनीय है। महत्वपूर्ण बात यह है कि माता पिता को पहले यह निश्चय करना चाहिए कि बच्चे की किस उम्र के लिए उन्हें क्या जानना आवश्यक है, उसके बाद ही उन्हें अपने बच्चे से इस बारे में मंत्रणा करनी चाहिए।
अनुसंधान बताता है कि वे बच्चे अकसर झूठ बोलते हैं जिनके मित्र झूठ बोलने वाले होते हैं। मेरी सहेली मार्था ने अपने 13 वर्षीय पुत्र बेन की शिकायत की। वह अपने मित्र मैट की नकल करने की कोशिश करता है जो मैं जानती हूं अपने मां बाप से झूठ बोलता है। लेकिन यदि मैं बेन को मैट से मिलने से रोकती हूं तो वह उससे किसी न किसी तरीके से जरूर मिलेगा और मुझ से झूठ बोल देगा।
मार्था जैसी स्थिति अधिकांश मां बाप की है। एक बार स्कूल में भर्ती होने के बाद हमारे बच्चे अपनी पसंद के मित्र बना लेते हैं जिन्हें चाहे हम पसंद नहीं करें लेकिन हम इसको रोक भी नहीं सकते। बच्चों के बड़े होने के साथ-साथ ये मित्र अकसर इनके लिए अपने अभिभावकों से भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। इसीलिए, माता-पिता को यह मालूम होना चाहिए कि बच्चे के मित्र कौन हैं और वे लोग अपने खाली समय में क्या करते हैं। अपने बच्चे को, अपने मित्रों को घर पर आमंत्रित करने के लिए प्रोत्साहित करें।
माता-पिता को बच्चे को यह कहने का अधिकार है कि वे उसके किसी विशेष मित्र को ठीक नहीं समझते। लेकिन यह बात तभी कहे जबकि उनके पास उस मित्र के बुरे व्यवहार का कोई विशेष सबूत हो- जैसे मित्र का झूठ बोलते हुए या चोरी करते हुए पकड़ा जाना। अपने बच्चे को बुरे मित्रों से अलग करने में आप को वास्तविक संघर्ष अवश्य करना पड़ेगा।
एक तरीका यह हो सकता है कि आप अपने बच्चे को यह जताएं कि आप झूठ तथा असामाजिक व्यवहार को क्यों निंदनीय समझते हैं, और आप के बच्चे के मित्र इन आदतों को किस प्रकार प्रोत्साहित करते हैं। संभव है स्कूल बदलकर भी आप अपने बच्चे को नए मित्र तथा नई गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित कर सकें। मनोवैज्ञानिक थॉमस बेरेंट, जिसने बच्चों पर साथियों के दबाव का अध्ययन किया है, के अनुसार अच्छी खबर यह है कि हाईस्कूल के अंत तक आप के बच्चे पर साथियों का प्रभाव कम हो जाएगा और आप के आपस के संबंध सुधर जाएंगे।
झूठ से निपटने की योजना बनाएं
अच्छे से अच्छे माता-पिता का बच्चा भी झूठ बोल सकता है। इसे कैसे संभाला जा सकता है?
जबरदस्ती गलती को मनवाने की कोशिश करना सबसे बुरी युक्ति है। जो अभिभावक अपने बच्चे को यह कहकर धमकाते हैं, मैं उसके माता-पिता से बात करता हूं और इस बात का पता लगाता हूं कि क्या वास्तव में उसकी कार बिगड़ गई थी, इससे वे अपने बच्चे को झूठा साबित कर सकते हैं, लेकिन क्याब वे अपने बच्चे को नैतिक शिक्षा दे पाते हैं?
अपने बच्चे को झूठा साबित करने की बजाए माता-पिता को चाहिए कि वे कुछ ऐसा करें जो ऐसी घटना दोबारा न हो। यदि झूठ कर्फ्यू से संबंधित है तो उसे यह बताएं कि कर्फ्यू क्यों जरूरी है और तुम्हें यह बात क्यों मालूम होनी चाहिए। आप कह सकते हैं मैं वास्तव में बहाने नहीं सुनना चाहता। मैं तुम्हारी सुरक्षा के लिए चिंता करता हूं इसलिए यदि तुम समय पर घर नहीं आ सकते तो तुम्हें सूचना अवश्य देनी चाहिए। फिर आप को यह भी बता देना चाहिए कि बच्चे को भी अपने वचन का महत्व जानना चाहिए।
अपने बच्चे पर विश्वास कीजिए
बच्चे को सत्यनिष्ठ बनाने के लिए माता-पिता का सबसे महत्वपूर्ण योगदान यह होगा कि वह बच्चे के साथ विश्वास पर आधारित संबंध विकसित करें। किसी भी आयु का बच्चा माता-पिता के विश्वास प्रदर्शन पर गर्व और अपने को वयस्क महसूस करेगा। अदालत में दोषी न सिद्ध होने तक प्रतिवादी को निर्दोष माना जाता है। लेकिन घर में, प्रतिवादी किशोर को अकसर दोषी माना जाता है।
फिर भी यदि बच्चा साफ झूठ बोलता हुआ पकड़ा जाता है, तो इसे विश्वास का अंत नहीं समझना चाहिए। माता-पिता बच्चे को यह कह सकते हैं कि एक झूठ माफ किया जा सकता है। लेकिन उसे यह साफ बता देना चाहिए कि अगर वह इसी तरह झूठ बोलता रहा तो उसका विश्वास उसी प्रकार खत्म हो जाएगा जैसे सचमुच भेडि़या आने पर गड़रिए के चिल्लाने के बावजूद लोगों को उस पर विश्वास नहीं हुआ था।
जब हमारे बेटे टॉम ने बिना आज्ञा के वह पार्टी दी थी, मेरी पत्नी और मैंने उसे शाम को और सप्ताहांत को भी बाहर जाने की इजाजत नहीं दी। हम ने टॉम को यह भी कहा कि हम उस पर बिलकुल विश्वास नहीं करते। इसलिए हम उसे फिर सारी रात अकेले रहने की इजाजत नहीं दे सकते। स्वतंत्रता खोना उसके लिए एक महत्वपूर्ण सबक था और उसने सीखा कि जब लोग उस पर विश्वास नहीं करते तो उनके साथ रहना कितना कठिन हो जाता है। परिणामस्वरूप, तीन वर्षों से अधिक समय के बाद अब हम फिर टॉम पर विश्वास कर सकते हैं और उसे अकेले रहने की इजाजत दे सकते हैं।
अभिभावकों को एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि झूठ बोलने की इस सार्वभौमिक समस्या का कोई सरल उपाय नहीं है। हम बच्चे के सम्मुख अच्छी मिसाल कायम कर सकते हैं, उन्हें निजी स्वतंत्रता दे सकते हैं, मित्रता के बारे में सलाह दे सकते हैं, विश्वास विकसित कर सकते हैं, गलत काम के लिए दंड दे सकते हैं और इसके बावजूद हम पाएं कि बच्चा हम से झूठ बोलता है।
अंततः इस बात की आवश्यकता है कि अभिभावकों और बच्चे के बीच संबंध आपसी विश्वास के हों। झूठ सामीप्य एवं घनिष्ठता को खत्म करता है। इसलिए माता पिता को हमेशा बच्चे में यह भावना पैदा करने की कोशिश करनी चाहिए कि केवल ईमानदारी से ही विश्वास हो सकता है। शुरूआत में बच्चामाता-पिता पर विश्वास करता है। लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाए, बच्चे में इस विश्वास को बनाए रखने का सतत प्रयत्न करना होगा।

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