स्वतंत्र आवाज़
word map

जासूसों के जासूस

पैट्रिक होइगे

फोरेंसिक-forensic

वह हमेशा देर से आते हैं। यह भी क्लाइड स्रो के काम का हिस्सा है। वस्तुतः उन का काम तभी शुरू होता है जबकि मृत्यु किसी बेचारे की हड्डियों तक पहुंच जाया करती है। हत्या का पता लगाने वाले जासूस और विकृति विज्ञानी जब किन्हीं हड्डियों के ढांचे को पहचान नहीं पाते हैं तो वे 63 वर्षीय स्रो की शरण लेते हैं। स्रो यानी विश्व के प्रसिद्ध फोरेंसिक मानव विज्ञानी।
स्रो अब कुक काउंटी के मेडिकल एग्जामिनर के शिकागो, इलीनॉय, स्थित कार्यालय में काउबॉय वाले बूट व महीन धारियों वाले तीन पीस सूट में प्रवेश करते हैं। शव परीक्षा कक्ष में इलीनॉय, विस्कांसिन एवं मिनेसोटा में पाई गई हड्डियां उनकी प्रतीक्षा कर रही है।
हड्डी क्योंकि गतिशील, जीवित ऊतक है अतएव जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाएं-चोट, बीमारी, प्रसव-शरीर के इस भीतरी ढांचे पर अपने निशान छोड़ जाती हैं। अतः हर नामहीन कंकाल स्रो के लिए एक अद्भुत रहस्य लिए होता है। कुछ मामले अन्य मामलों की अपेक्षा अधिक चुनौतीपूर्ण होते है, पर यह तो वास्तव में सिहरा देने वाला है।
गत्ते की एक बड़ी सी पेटी में हड्डियों के झंखाड़ के साथ-साथ एक जीर्ण पांव नीली जींस धारे है। एक पैर की हड्डी के चारों तरफ जुराब सिकुड़ गई है, दौड़ने के दो जूते और किसी जाकिट के टोपी वाले हिस्से में चिपचिपा, रक्त सना बालों का गुच्छा रखा है। ये अवशेष विस्कांसिन के मिलवाकी से 30 किलोमीटर दूर मिले थे। निकट ही एक जंग लगी साइकिल मिली थी। विस्कांसिन की वाकेशा काउंटी के चीफ डिप्टी मेडिकल एग्जामिनर पॉल हिबार्ड, जो कि इस कंकाल को शिकागो लाए थे, बताते हैं कि किसी व्यक्ति के लापता होने की खबर नहीं है। अब यह क्लाइड स्रो की जिम्मेदारी है।
स्रो मृतकों का पता विस्मृति के गर्भ से निकालकर नहीं लगाया करते। लगभग दो दशक तक वह अमरीका के ओक्लाहोमा नगर स्थित संघीय उड्डयन प्रशासन के ही एक हिस्से यानी सिविल एयरोमेडिकल इंस्टीट्यूट के भौतिक मानव विज्ञानी रहे थे। स्रो का काम था विमानों के डिजाइन व सुरक्षा के प्रयासों में सुधार के लिए इंजीनियरों को मानव शरीर ढांचे से संबंधित तकनीकी विवरण उपलब्ध करना।
वहां पर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने फोरेंसिक खोजों में रूचि लेनी शुरू कर दी। ?अतः उड्डयन प्रशासन को लगा कि मुझे अपराध संबंधी मामलों में काम करने देकर वे एक तरह से समुदाय की सेवा कर रहे हैं।? वह कहते हैं।
स्रो अब सलाह देने का यह कार्य पूर्णकालिक रूप से करने लगे हैं। वह प्रति वर्ष 75 मामलों से जुड़ा करते हैं। उन्हें नात्सी युद्ध अपराधी योजैफ मैंजेल के अवशेषों की पहचान करने के लिए बुलाया गया तो मिस्र के बालक सम्राट तुत-अन-खामून के चेहरे को दोबारा आकार देने में मदद के लिए भी। फिर वह अमरीका के कुछ अत्यधिक भीषण विमान दुर्घटनाओं के शिकार लोगों की शिनाख्त के दुःखद कार्य से भी संलग्न रहे।
1978 में एक अमरीकी संसदीय समिति ने जॉन एफ कैनेडी के हत्याकांड की समीक्षा शुरू की, तो स्रो भी उस टीम में शामिल थे जिसने एक्स-रे का प्रयोग कर यह दिखाया कि वास्तव में बेथेरुडा नौसैनिक अस्पताल में जिस शव की परीक्षा की गई थी वह मृत राष्ट्रपति का ही था। इस तरह से शव के असली न होने और इस में भी किसी षड्यंत्र की बात कहने वालों के सामने सच्चाई उजागर हो गई। यह मामला कैनेडी के कपालास्थियों के मध्य स्थित श्वासमार्ग के छिद्र के एक्स-रे की बदौलत ही सुलझ पाया।
वर्ष भर पहले ही स्रो ने दूसरी तकनीक यानी फोटो सुपरइंपोजिशन का प्रयोग ओक्लाहोमा के कुख्यात चरित्र एल्मर जे मैक्कर्डी के शव को पहचानने में किया गया था। इस अपराधी को 1911 में एक रेलगाड़ी में डाके दौरान छापा मारकर मार डाला गया था। कई वर्षों तक इस की ममी कैलीफोर्निया के एक अजयाबघर में ?नकली? के तौर पर धरी रही जबकि पता चला कि उस के भीतर तो एक कंकाल भी है।
दो वीडियो कैमरा व एक इमेज प्रोसेसर का उपयोग करते हुए स्रो ने इस ममी की रूपरेखा मैक्कर्डी की मृत्यु के कुछ ही देर बाद लिए गए एक फोटो पर सुपरइंपोज की। मॉनीटर पर देखा गया तो दोनों बहुत हद तक मिल रहे थे। इन प्रमाणों से सहमत होकर लास एंजेलस काउंटी के मृत्यु प्रमाणपत्र विभाग ने मैक्कर्डी के मृत्यु प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। (अंतिम पेशाः रेल डकैती) और अपराधी की हड्डियों को दफनाए जाने के लिए ओक्लाहोमा वापस भेज दिया।
एक बड़े मामले में तो स्रो के छह साल लग गए। इसके अंतर्गत देश के कटु सैनिक शासन के दौरान विलुप्त लोगों की नियति निर्धारित करने में अर्जेंटाइना के विलुप्त जन संबंधी राष्ट्रीय आयोग एवं मानव अधिकार संगठनों की सहायता करनी थी। 1976 से 1983 के बीच लगभग 8,900 लोग योजनाबद्ध तरीके से सड़कों से उठा लिए गए तथा मौत के घुमंतू दस्तों द्वारा दमन एवं हत्या के बाद अचिन्हित कब्रो में दफना दिए गए थे। मौत की धमकियों की परवाह न करते हुए स्रो ब्वेना सारीज एवं उसके आसपास कार्य करते रहे तथा आयुर्विज्ञान व नृविज्ञान के स्थानीय छात्रों को फोरेंसिक जांच की तकनीकों का प्रशिक्षण देते और बाद में उन्हें ढूंढ निकालने व ?लापता लोगों? के दाह संस्कार में मदद करते रहे।
स्रो को 17 वर्शीय गाब्रिएल डूनायेविच का केस याद है, जो 1976 में लापता हो गया था जब बरदीधारियों ने उसे गली से कार में खींच लिया था। बाद में पुलिस को उस का तथा एक अन्य लड़के व लड़की का शव ब्वेना सारीज के बाहरी इलाके में सड़क के किनारे पड़ा मिला। वे खोज करते रहे और फिर तीनों किशारों को अचिन्हित कब्र में दफना दिया।
एक दशक बाद स्रो ने शव परीक्षा रपटों, पुलिस के छायाचित्रों व कब्रों को देखा। तीनों किशोरों के मामले में तीन या चार निकट से चलाई गई गोलियों के घाव छाती के ऊपरी हिस्से में थे। स्रो इन्हें स्वचालित हथियारों के हस्ताक्षर कहते हैं। दो की बाहों में भी गोलियों के घाव थे। जो कुहनी के पीछे से घुसी थीं और बाजू से निकल गई थीं। ?इस का अर्थ यह हुआ कि उन्हें जब गोली मारी गई थी तो वे होश में थे।? स्रो बताते हैं, ?जब बंदूक उन की तरफ तानी गई, उन्होंने स्वाभाविक रूप से हाथ भी उठा लिए थे।?
100 से भी कम शिकारों की अब तक पहचान हो पाई है। किंतु स्रो की जांच ने सैनिक शासन के पांच सदस्यों एवं अन्य उच्च पदस्थ सैन्य एवं पुलिस अधिकारियों को दोषी सिद्ध करने में मदद की। यह प्रमाण अमरीका के जिला न्यायालय की एक दीवानी अदालत के निर्णय में भी उपयोगी सिद्ध हुआ जबकि ब्वेना सारीज के प्रथम सैनिक कोर के भूतपूर्व कमांडर जनरल कारलौस सूआरेज मैसन के विरुद्ध फैसले में मदद की। वह अर्जेंटाइना से भाग आया था और अमरीका में रह रहा था। फिर तो उसे स्वदेश वापस भेज दिया गया। अंततः अदालत ने उसे 89 लाख डॉलर की क्षतिपूर्ति उन छह लोगों को करने का आदेश दिया जिसके संबंधी उसके द्वारा सताए या कैद किए गए अथवा मार ही डाले गए थे।
शिकागो में, क्लाइड स्रो गत्ते की उसी बड़ी सी पेटी से हड्डियां उठाकर इसके अनजाने कंकाल को फिर से खड़ा करने में जुट जाते हैं। इन हड्डियों को जोड़ दो तो, वह कहते हैं, वे आप को एक व्यक्ति का ?अस्थिचरित? सुना डालती है।
सबसे पहले वह उसके लिंग का निर्धारण करते हैं। वह दो लंबी हड्डियां उठाते हैं जो मुड़े शंख जैसी हैं-ये नितंबास्थि या कूल्हे की हड्डी है, जो त्रिकास्थि (सैक्रम) के साथ या निचली रीढ़ की हड्डी के साथ जाकर अनुत्रिक (कोक्सिक्स) के साथ श्रोणिप्रदेश का निर्माण करती है। यह श्रोणिप्रदेश संकरा और ढलवां दीवारों वाला है यानी पुरुषों जैसा न कि महिलाओं की भांति चौड़ा।
हड्डियों के बीसियों लक्षणों से फोरेंसिक नृविज्ञानी को इन तीन प्रमुख नस्ली समूहों में से इस कंकाल को एक में रखने में सहायता मिली है। नीग्रो, काकेशियाई या मंगोल (जिस में अमरीकी इंडियन व अधिकांश एशियावासी शामिल हैं)। यह देखकर कि मृतक की नाक की हड्डी ऊंची व विशेष तरह की है, स्रो निष्कर्ष निकालते हैं कि साइकिल सवार ?मुख्यतः काकेशियाई? है। किंतु नाक का अंतराल चपटा भी है जैसा कि अकसर मंगोलों में होता है ?अतः संभव है कि यह थोड़ा बहुत अमरीकन इंडियन रंगत भी लिए था,? स्रो कहते हैं। ?क्या आप के क्षेत्र में रेड इंडियन भी हैं?? हिबार्ड हां में सिर हिला देते हैं।
अगली चीज है उम्र। स्रो उस जोड़ की तरफ इंगित करते हैं, जो कपाल के निचले हिस्से का निर्माण करने वाली दो प्रमुख हड्डियों का मिलनस्थल है। एक बच्चे में यह जोड़ आगे की बढ़वार के लिए खुला होता है, किंतु इसमें यह जुड़ा हुआ या बंद है। यह स्थिति अधिकतर किशोरावस्था के अंतिम दौर में पेश आती है। दूसरी तरफ वे एक टेढ़ी मेढ़ी रेखा, जो खोपड़ी के ऊपर है, की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि कपाल की सीवन भी खुली हुई है। यह अकसर बीस-पच्चीस की आयु तक जुड़ ही पाती और गायब हो जाती है।
अब स्रो बढ़त का चिन्ह खोजने के लिए एक ऊर्विका (फीमर) का अध्ययन करते हैं, उस बिंदु पर जहां घुंड़ीदार सिरे पर हड्डी मिलती है। उपास्थि की पतली परतें यानी कैल्शियम का अपूर्व जमाव बताता है कि लड़का पूर्णतः युवा नहीं था। स्रो निष्कर्ष निकालते हैं कि वह 15 से 20 वर्ष की उम्र का रहा होगा।
फिर स्रो पांव की एक हड्डी को नापते हैं और एक कंप्यूटर में आंकड़े भरते हैं। हाथ पांवों की लंबी हड्डियों की लंबी चौड़ाई के बीच संबंधों की जानकारी का प्रयोग करते हुए वे लड़के की लंबाई का अनुमान लगाते हैं। ?वह 1.70 मीटर से 1.80 मीटर का होगा।? स्रो बताते हैं। ?मध्यम आकार का, बहुत भरा पूरा नहीं।? मांसपेशी जहां पर हड्डी से जुड़ती है, उसके दानेदार उठावों की तरफ वह इशारा करते हैं। दाहिने हाथ की हड्डी पर मांसपेशियों के भरपूर जुड़े होने का प्रमाण यह जताता है कि वह दाहिने हाथ का इस्तेमाल करता रहा होगा।
स्रो घाव के निशानों के लिए अब पसलियों का परीक्षण करते हैं। उन्हें चाकू का घाव, काट या गोली का कोई निशान नहीं मिलता। लड़के के गले की कंठिका हड्डी को उठाते हुए वे गला दबाने से ही हड्डी के टूट गए होने का निशाना खोजते हैं। अब स्रो विचलित हो उठते हैं, उन्हें मृत्यु का कोई भी सटीक कारण नहीं मिल पा रहा। वे लड़के का कपाल, बाल एवं हड्डियां उस चिकित्सक मूर्तिकार के पास ओक्लाहोमा भिजवाने की सलाह देते हैं जो दोबारा चेहरे गढ़ देता है।
अभी तक लड़के की सही शिनाख्त नहीं हो पाई है। किंतु हिबार्ड अभी भी आशावान हैं कि मामले का कोई न कोई सूत्र हाथ लग ही जाएगा। ?हम कभी हार नहीं मानते,? वह कहते हैं।
इस बीच क्लाइड स्रो ने एक बार फिर अधिकारियों को कम से कम प्रारंभिक सूत्र तो थमा ही दिए हैं। ?मानव शरीर में 32 दांत और 200 से ऊपर हड्डियां होती हैं,? वह कहते हैं। ?हत्यारे यही नहीं जानते कि इनमें से हर चीज अपनी दास्तां आप कहती है।?

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]