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बेगम हज़रत महल की उपेक्षा-अब्दुल नसीर

अवध में बेगम का 160वां शहीदी दिवस मनाया गया

बेगम हज़रत महल का स्वतंत्रता में बड़ा योगदान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 8 April 2019 01:26:34 PM

martyrdom day of begum hazrat mahal

लखनऊ। अवध की स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और अवध शासन की राजमाता बेगम हज़रत महल का 160वां शहीदी दिवस बेगम हज़रत महल पार्क हजरतगंज लखनऊ में मनाया गया। शहीदी दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन आल इं‌डिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के सदस्य शेख राशिद मिनाई ने किया और कहा कि बेगम हज़रत महल भारत की आजादी के लिए 1857 के गदर की पहली कतार की लीडर थीं, उन्होंने मुल्क को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों से जंग करते हुए अपनी हुकूमत भी गवां दी थी। गौरतलब है कि बेगम हज़रत महल अवध की बेगम के नाम से भी प्रसिद्ध थीं। वे अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी थीं। बेगम हज़रत महल ने 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के ख़िलाफ़ विद्रोह किया था और सत्ता गवां कर नेपाल में शरण ली थी। उन्होंने नेपाल से ही स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया और वहीं पर 1879 में उनकी मृत्यु हो गई।
बेगम हज़रत महल मेमोरियल सोसायटी के अध्यक्ष अब्दुल नसीर नासिर ने कहा कि 7 अप्रैल 2018 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने घोषणा की थी कि इस पार्क को इतना खूबसूरत बनाया जाएगा कि जो भी लखनऊ घूमने आएगा, वह बगैर बेगम हज़रत महल पार्क घूमे नहीं जाएगा, यहां पर लाइट और शो का प्रोग्राम भी होगा, जिससे देश की जनता को बेगम हज़रत महल की बहादुरी का पता चल सके। अब्दुल नसीर नासिर ने कहा कि एक वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रदेश सरकार ने राज्यपाल की घोषणा पर कोई अमल नहीं किया है, जबकि लखनऊ के सांसद और नगरनिगम एवं नगर विकास मंत्री को भी कई बार याद भी दिलाया गया।
अब्दुल नसीर नासिर ने बताया कि सोसायटी जल्द ही बेगम हज़रत महल पार्क में बेगम हज़रत महल की जीवनी पर आधारित लाइट और शो का प्रोग्राम कराने के लिए कदम उठाएगी। बेगम हज़रत महल के शहीदी दिवस कार्यक्रम में गुफरान नसीम, आरिफ कुरैशी, सैय्यद हसन रिज़वी आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित की। सोसायटी के सचिव अनवर आलम ने धन्यवाद दिया। बेगम हज़रत महल के बारे में जानकारी मिलती है कि कोलकाता में उनके शौहर के निर्वासन के बाद अंग्रेज़ों ने लखनऊ पर तो क़ब्ज़ा कर लिया लेकिन उन्होंने अपनी अवध रियासत की हकूमत को बरक़रार रखा। अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े से अपनी रियासत बचाने के लिए उन्होंने अपने बेटे नवाबज़ादे बिरजिस क़द्र को अवध का शासक नियुक्त करने की कोशिश की थी, मगर उनका शासन जल्द ही ख़त्म होने की वजह से उनकी ये कोशिश सफल नहीं हुई थी। अवध के लोग उनकी याद में शहीदी दिवस मनाते हैं।

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