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भारत पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का केंद्र

आयुष को स्वास्थ्य सेवा की मुख्यधारा में लाने के प्रयास

दिल्ली में हुआ यूनानी चिकित्‍सा पर राष्ट्रीय सम्‍मेलन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 12 February 2019 01:19:05 PM

national conference on unani medicine in delhi

नई दिल्ली। मणिपुर की राज्यपाल डॉ नजमा हेपतुल्ला ने ‘सार्वजनिक स्वास्थ्‍य के लिए यूनानी चिकित्सा’ विषय पर दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा है क‌ि यूनानी चिकित्सा अनेक बीमारियों के उपचार के अभाव और संसाधनों की कमी के कारण हमारे सामने आ रही अनेक स्वास्थ्य चुनौतियों का सही समाधान पेश कर सकती है। डॉ नजमा हेपतुल्ला ने यूनानी चिकित्सकों से बदलते समय के साथ आगे बढ़ने, विकसित होने, स्वास्थ्य अनुसंधान की नई तकनीकों को अपनाने और स्वास्थ्य प्रबंधन में नए दृष्टिकोणों का योगदान करने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि मणिपुर में 500 से अधिक जड़ी-बूटियों का खजाना है। उन्होंने चिकित्सा वैज्ञानिकों को अनुसंधान के लिए राज्य का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया। सम्‍मेलन का आयोजन सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन यूनानी मेडिसिन ने तीसरे यूनानी दिवस समारोह के अंग के रूपमें किया था।
भारत सरकार में आयुष राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक ने आयुष मंत्रालय के अनुसंधान के विनियमन तथा गुणवत्ता वाले उत्पादों, पद्धतियों और चिकित्सकों के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के साथ एकीकरण के माध्‍यम से यूनानी चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास लोगों को निवारक, तत्‍पर और समग्र स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में आयुष प्रणालियों की वास्तविक क्षमता का उपयोग करने पर केंद्रित है। इस अवसर पर उन्‍होंनेहकीम अजमल खान को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनकी जयंती हर साल 11 फरवरी को यूनानी दिवस के रूपमें मनाई जाती है। यूनानी चिकित्सा और अन्य आयुष प्रणालियों की शक्ति पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि आयुष प्रणाली स्वास्थ्य और कल्‍याण के लिए महत्‍वपूर्ण है तथा भारत पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का सबसे मजबूत केंद्र है, यही कारण है कि देश में मेडिकल टूरिज्म फल-फूल रहा है। उन्होंने आयुष को राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा की मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार की नीतियों और पहल के अनुरूप यूनानी चिकित्सा का मुख्‍यधारा की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के साथ एकीकरण किए जाने पर जोर दिया।
पूर्वोत्तर विकास राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने सार्वजनिक स्वास्थ्य की वर्तमान चुनौतियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में यूनानी चिकित्सा विज्ञान की सक्षमता के बारे में विस्‍तार से चर्चा की। उन्होंने यह आशा व्‍यक्‍त की कि यूनानी चिकित्सा और अन्य आयुष प्रणालियां मौजूदा सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों से निपटने के लिए आगे आएंगी। आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाने का आग्रह किया और राष्‍ट्रीय आयुष रुग्‍णता तथा मानकीकृत शब्‍दावली पोर्टल, डब्ल्यूएचओ-आईसीडी 11में आयुष रुग्‍णता कोड शामिल करने की पहल, आयुष ग्रिड, सोशल मीडिया और ए-एचएमआईएस के उपयोग के रूपमें आयुष मंत्रालय के कदमों की जानकारी दी। उन्होंने गाजियाबाद में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन की स्थापना के लिए भूमि आवंटन और 250 करोड़ रुपये के आवंटन की भी घोषणा की।
यूनानी चिकित्‍सा सम्‍मेलन में विभिन्न यूनानी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को यूनानी चिकित्सा में अनुसंधान, शिक्षण और अभ्यास के क्षेत्र में दिए योगदान के लिए यूनानी चिकित्सा हेतु आयुष पुरस्कार प्रदान किए गए। सीसीआरयूएम की ओर से प्रकाशित सम्मेलन स्मारिका और चार अन्य प्रकाशनों का विमोचन किया गया। सम्मेलन में विशेष रूपसे एनसीडी, जीवनशैली संबंधी विकारों और विभिन्न पुरानी बीमारियों से निपटने में किफायती, प्रभावी उपचार और गुणवत्तापूर्ण उत्‍पाद उपलब्‍ध कराते हुए सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली में यूनानी स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया। सम्मेलन में लगभग 1300 प्रतिनिधि, रिसोर्स पर्सन, शिक्षाविद, शोधकर्ता और उद्योग प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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