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कृषि निर्यात नीति पर हुई राष्‍ट्रीय कार्यशाला

'नीतिगत उपायों के जरिए कृषि क्षेत्र में हुए व्यापक सुधार'

विश्‍व कृषि निर्यात में भारत की हिस्‍सेदारी बढ़ानी है-प्रभु

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 9 January 2019 02:33:17 PM

national workshop on agricultural export policy

नई दिल्ली। भारत सरकार की हाल ही में मंजूर की गई कृषि निर्यात नीति पर प्रथम राष्‍ट्रीय कार्यशाला दिल्‍ली में हुई, जिसका उद्घाटन केंद्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने किया। वाणिज्‍य मंत्री ने इस अवसर पर सभी राज्‍य सरकारों से कृषि निर्यात नीति के कार्यांवयन के लिए समर्पित एक प्रमुख नोडल एजेंसी गठित करने को कहा। सुरेश प्रभु ने कहा कि पहलीबार कृषि निर्यात नीति तैयार की गई है और यह अत्‍यंत व्‍यापक है, क्‍योंकि अनुसंधान एवं विकास, क्‍लस्‍टर, लॉजिस्‍टिक्‍स और परिवहन जैसे सभी संबंधित क्षेत्र इसमें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कृषि निर्यात नीति के तहत उपयुक्‍त नीतिगत उपायों के जरिए भारतीय कृषि की निर्यात संभावनाओं का दोहन करने, कृषि में भारत को एक वैश्‍विक शक्‍ति बनाने और वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने पर फोकस किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का एक महत्‍वपूर्ण स्‍तंभ है और इस सेक्‍टर में सुधारों पर तत्‍काल ध्‍यान देने की जरूरत है, क्‍योंकि देश की 60 प्रतिशत आबादी कृषि पर ही निर्भर है।
वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित करने से विभिन्‍न अवरोधों की पहचान करने और नीति के कार्यांवयन में आ रही कठिनाइयों को दूर करने के बारे में आवश्‍यक जानकारियां एवं सुझाव प्राप्‍त करने में मदद मिलेगी। उन्‍होंने कहा कि कृषि निर्यात नीति का उद्देश्‍य वर्ष 2022 तक कृषि निर्यात को वर्तमान 30 अरब अमेरिकी डॉलर से दोगुना कर 60 अरब अमेरिकी डॉलर के स्‍तरपर पहुंचाना है और फिर इसे अगले कुछ वर्षों में 100 अरब अमेरिकी डॉलर के स्‍तरपर ले जाना है। उन्होंने कहा कि निर्यात वस्‍तुओं एवं गंतव्‍यों में विविधता लाना, शीघ्र खराब होने वाली वस्‍तुओं सहित अधिक कीमती एवं मूल्‍य वर्द्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा देना, अनूठे, स्‍वदेशी, जैविक एवं गैर पारंपरिक कृषि उत्‍पादों को बढ़ावा देना, बाज़ार पहुंच सुनिश्‍चित करने के लिए संस्‍थागत व्‍यवस्‍था करना, तकनीकी बाधाओं या एसपीएस से निपटना, वैश्विक मूल्‍य श्रृंखला के साथ एकीकृत करके विश्‍व कृषि निर्यात में भारत की हिस्‍सेदारी दोगुनी करना और किसानों को विदेशी बाजारों में निहित निर्यात अवसरों से लाभ उठाने में समर्थ बनाना भी कृषि निर्यात नीति के लक्ष्‍यों में शामिल है।
सुरेश प्रभु ने कहा कि कृषि निर्यात से जुड़ी वस्‍तुओं में विविधता लाना और उन बाजारों की तलाश करना समय की मांग है, जहां निर्यात हो सकता है। उन्होंने कहा कि उत्‍पादन की औसत लागत कम करनी होगी, ताकि भारत की कृषि उपज अंतर्राष्‍ट्रीय बाज़ार में प्रतिस्‍पर्धा कर सकें। कार्यशाला के दौरान कृषि निर्यात नीति के उद्देश्‍यों की पूर्ति करने के लिए कृषि एवं प्रसंस्‍कृत खाद्य उत्‍पाद निर्यात विकास प्राधिकरण और राष्‍ट्रीय सहकारी विकास निगम के बीच एक सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर किए गए। कार्यशाला में वाणिज्‍य एवं उद्योग राज्‍यमंत्री सीआर चौधरी, वाणिज्‍य विभाग में सचिव डॉ अनूप वधावन, भारत सरकार एवं राज्‍य सरकारों के विभिन्‍न विभागों के वरिष्‍ठ अधिकारी, कृषि विशेषज्ञ और निर्यातक मौजूद थे।

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