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रिहायशी इमारतों के लिए ऊर्जा संरक्षण कोड

ऊर्जा संरक्षण दिवस पर लोकसभाध्‍यक्ष ने शुरू किया कोड

इमारत के पेशेवरों को ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरुकता

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 15 December 2018 03:31:25 PM

energy conservation code for residential buildings

नई दिल्ली। केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने रिहायशी इमारतों के लिए ऊर्जा संरक्षण इमारत कोड इको निवास संहिता 2018 शुरू की है। इस कोड की शुरुआत राष्‍ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन ने की। उन्होंने कहा कि निरंतर विकास और संसाधनों का संरक्षण करने की परिपाटी भारत में हजारों वर्ष से है और ऊर्जा संरक्षण और स्‍वच्‍छ ऊर्जा संसाधनों का इस्‍तेमाल सरकार और हमारे देश की जनता का प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। एनईसीए समारोह पर एक प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें भारत की ऊर्जा दक्षता और ऊर्जा संरक्षण की यात्रा को दर्शाया गया है। प्रदर्शनी में विभिन्‍न पहलों को उजागर करते हुए देश की ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में वर्तमान प्रगति की भी जानकारी दी गई है।
ऊर्जा संरक्षण इमारत कोड को लागू करने से रिहायशी क्षेत्रों में ऊर्जा की बचत होने की उम्‍मीद है। इसका उद्देश्‍य ऐसे अपार्टमेंट और टाउनशिप का डिजाइन तैयार करना और उनके निर्माण को बढ़ावा देना है, जिससे उनमें रहने वालों को ऊर्जा की बचत के लाभ दिए जा सकें। इस कोड को बिल्डिंग मैटीरियल आपूर्तिकर्ताओं और डेवलपरों, वास्‍तुकारों और विशेषज्ञों सहित सभी साझेदारों के साथ विस्‍तृत विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। कोड में सूचीबद्ध मानदंडों को जलवायु और ऊर्जा संबंधी आंकड़ों का इस्‍तेमाल करते हुए अनेक मानदंडों के आधार पर विकसित किया गया है। आरंभ में कोड के पहले भाग की शुरुआत ऊर्जा की बचत वाली रिहायशी इमारतें डिजाइन करने के उद्देश्‍य से की गई है, जिसमें इमारत के अंदर के हिस्‍से को शुष्‍क, गर्म और ठंडा रखने वाले इमारत के बाहरी हिस्‍से की नींव के लिए न्‍यूनतम मानक निर्धारित किए गए हैं। कोड से बड़ी संख्‍या में वास्‍तुशिल्पियों और बिल्‍डरों को सहायता मिलेगी, जो देश के विभिन्‍न भागों में नए रिहायशी परिसरों के डिजाइन तैयार करने में उनके निर्माण में शामिल हैं। कोड को लागू करने से 2030 तक 125 अरब यूनिट की बिजली की बचत होने की संभावना है, जो करीब 100 मिलियन टन कॉर्बनडाइआक्‍साइड के उत्‍सर्जन के बराबर है।
व्‍यवसायिक इमारतों के लिए पहले से ही ईसीबीसी है और इसके संशोधित और आधुनिक संस्‍करण की शुरुआत जून 2017 में की गई थी। एक अनुमान के अनुसार इमारती क्षेत्र में ऊर्जा की मांग जो 2018 में 350 अरब यूनिट के आस-पास है, वह वर्ष 2030 तक करीब 1000 अरब इकाई तक पहुंच जाएगी। ईसीबीसी-आर की शुरूआत करते समय विद्युतमंत्री आरके सिंह ने कहा था कि आने वाले 10-15 वर्ष में इमारती क्षेत्र में ऊर्जा की मांग में सबसे अधिक वृद्धि होगी। सरकार नए रिहायशी घरों का निर्माण करते समय वास्‍तुकारों, बिल्‍डरों सहित इमारत से जुड़े कार्यों में लगे सभी पेशेवरों को ऊर्जा संरक्षण की दिशा में जागरुकता पैदा करने के लिए प्रोत्‍साहित कर रही है। विद्युत मंत्रालय ऊर्जा दक्षता ब्‍यूरो के सहयोग से हर वर्ष 14 दिसम्‍बर को राष्‍ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाता है। ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने की दिशा में उद्योग और अन्‍य प्रतिष्‍ठानों के प्रयासों को मान्‍यता देने के लिए विद्युत मंत्रालय हर वर्ष इस दिन राष्‍ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्‍कार कार्यक्रम आयोजित करता है। इस अवसर पर विभिन्‍न क्षेत्रों की 26 औद्योगिक इकाइयों को ऊर्जा दक्षता में उनके उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन के लिए पुरस्‍कार दिए जाते हैं।
कुल मिलाकर इस वर्ष के राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार कार्यक्रम में देशभर की 333 इकाइयों और प्रतिष्‍ठानों ने हिस्‍सा लिया और दो हजार करोड़ रुपये मूल्‍य की कुल 3917 मिलियन यूनिट की बचत की जानकारी मिली है। ऊर्जा दक्षता और ऊर्जा संरक्षण के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए विद्युत मंत्रालय राष्‍ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता का भी आयोजन करता है। प्रतियोगिता के विजेताओं के लिए इस दिन पुरस्‍कार वितरण का भी आयोजन किया जाता है। इस वर्ष राष्‍ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता में 19 स्‍कूली बच्‍चों को पुरस्‍कार दिए गए हैं। चित्रकला प्रतियोगिता में सभी राज्‍यों के कक्षा IV से लेकर कक्षा IX तक के करीब 90 लाख स्‍कूली बच्‍चों ने हिस्‍सा लिया। अंतिम प्रतियोगिता का आयोजन दिल्‍ली में 12 दिसम्‍बर को किया गया था। बीईई विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत एक सांविधिक संगठन है, जो ऊर्जा दक्षता और संरक्षण के क्षेत्र में नीति और कार्यक्रमों को लागू करता है। इस तरह की पहलों का उद्देश्‍य ऊर्जा की अधिकतम मांग द्वारा देश में ऊर्जा की तीव्रता को कम करना और ग्रीन हाउस गैसों के उत्‍सर्जन को कम करना है, जो ग्‍लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्‍मेदार है। भारत यूएनएफसीसीसी को दिए गए दस्‍तावेज के हिस्‍से के रूप में में 2030 तक जीएचजी का उत्‍सर्जन 33-35 प्रतिशत कम करने के लिए कृतसंकल्‍प है।

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