स्वतंत्र आवाज़
word map

'स्वामी दयानंद ने दी सबको सर्वश्रेष्ठ बनने की प्रेरणा'

राष्ट्रपति ने किया अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन-2018 को संबोधित

आर्य समाज का नैतिकता आधारित आधुनिक शिक्षा को प्रोत्साहन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 25 October 2018 05:03:10 PM

president ramnath kovind

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन-2018 का उद्घाटन करते हुए कहा है कि 19वीं शताब्दी में जब हम अपनी संस्कृति और आस्था को पश्चिमी संस्कृति के सामने कमतर समझते थे, तब स्वामी दयानंद सरस्वती ने हमें आत्मसम्मान और पुनर्जागरण का मार्ग दिखाया। राष्ट्रपति ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती सामाजिक और आध्यात्मिक सुधार के निर्भीक योद्धा थे, उन्होंने शैक्षिक, सामाजिक सुधार, विशेषकर महिला सशक्तिकरण और अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए प्रभावशाली उपाय किए। राष्ट्रपति ने कहा कि उनका कार्य आज भी भारतीय समाज और पूरे विश्व के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि महासम्मेलन में अंधविश्वास की रोकथाम, आधुनिकीकरण, महिला सशक्तिकरण, वनवासी कल्याण और प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन संबंधी विषयों पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने आशा की कि आर्य समाज पर्यावरण सुरक्षा के लिए सौर तथा ऊर्जा के अन्य वैकल्पिक स्रोतों को प्रोत्साहन देने के लिए काम करेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि आर्य समाज की लगभग 10 हजार इकाईयां पूरी दुनिया में कल्याणकारी गतिविधियां चला रही हैं। उन्होंने कहा कि आर्य समाज ने नैतिकता आधारित आधुनिक शिक्षा के प्रोत्साहन में अभूतपूर्व योगदान किया है और उसने समाज के सभी वर्गों, विशेषकर महिलाओं और वंचित वर्गों की उन्नति के लिए काम किया। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने आधुनिक भारत के महान चिंतक और समाज सुधारक के रूपमें 1874 में आर्य सुधारक संगठन यानी आर्य समाज की स्थापना की थी। उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना और कर्म सिद्धांत, पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य तथा सन्यास को अपने दर्शन के चार स्तम्भ बनाए।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि आर्य समाज ने देशभर में कई स्कूल और कॉलेज स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 में हम स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती मनाएंगे और 2025 में आर्य समाज की 150वीं जयंती भी मनाएंगे। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने जाति, आस्था और वर्ग आधारित सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया और सबको आर्य बनने यानी सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए प्रेरित किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा यह कर्तव्य है कि हम स्वामी दयानंद सरस्वती के कार्यों को आगे बढ़ाएं।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]