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'दक्षिण एशियाई देशों में अवसरों का लाभ उठाएं'

सरकार के मंत्रालयों की निर्यात संवर्धन नीति की हुई समीक्षा

कृषि और समुद्री उत्पादों पर ध्यान केंद्रित-वाणिज्य मंत्री

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 3 October 2018 03:51:58 PM

suresh prabhu

नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने विभिन्‍न उद्योगों के लिए भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों की निर्यात संवर्धन नीति की समीक्षा की, जिसमें वाणिज्य मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नौ क्षेत्रों-रत्न और आभूषण, चमड़े, कपड़ा और परिधान, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स, फार्मा, कृषि और समुद्री उत्पादों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। क्षेत्रीय निर्यात संवर्धन नीति पर तीसरी अंतर-मंत्रालयी बैठक में वाणिज्य सचिव, विदेश व्‍यापार महानिदेशालय के महानिदेशक, कपड़ा और रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स के सचिव तथा इलेक्ट्रॉनिक्स, एमएसएमई और कृषि मंत्रालय, पशुपालन और रक्षा उत्पादन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने निर्यात संवर्धन नीति तैयार करने के लिए अंतर-मंत्रालयीय टीमवर्क की सराहना की। उन्होंने मंत्रालयों से अनुरोध किया कि वह भारतीय उत्‍पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र के देशों खासकर दक्षिण एशिया के देशों में अवसरों का लाभ उठाने का प्रयास करें, क्‍योंकि इन देशों में भारतीय उत्‍पादों के निर्यात के लिए प्रचुर संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि इन देशों के साथ व्‍यापार में वस्‍तु विनिमय व्‍यवस्‍था शुरु करने की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। सुरेश प्रभु ने श्रम केंद्रित एसईजेड पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही देश में रोज़गार के अधिक से अधिक अवसर पैदा करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अन्य देशों के साथ निर्यात साझेदारी सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने का सुझाव भी दिया।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि मंत्रालयों को खुद को सिर्फ निर्यात संवर्धन परिषद तक ही सीमित नहीं रखना है, बल्‍कि निर्यात की क्षमता वाले कारोबारियों तक पहुंच बनाने के लिए क्षेत्रीय व्‍यापार संघों से भी संपर्क बनाना होगा। उन्होंने मंत्रालयों से अनुरोध किया कि वह निर्यात नीति तैयार करते समय विश्‍व व्‍यापार संगठन की प्रतिबद्धताओं का ख्‍याल रखें। उन्‍होंने सेवा क्षेत्र के लिए पूंजी प्रवाह और पैसे भेजने की व्‍यवस्‍था पर अलग से समीक्षा बैठक करने का सुझाव भी दिया। उन्‍होंने कहा कि चीन और अमेरिका भारतीय उत्‍पादों के निर्यात के लिए संभावित बाज़ार बनकर उभर रहे हैं, खासकर चीन में श्रम लागत बढ़ने के कारण कई उद्योगों को वहां से भारत में निवेश के लिए आकर्षित किया जा सकता है, इसके लिए नियामक प्रक्रियाओं में कुछ बदलाव करते होंगे।
वाणिज्‍य सचिव डॉ अनूपर वाधवा ने बैठक में जानकारी दी कि चालू खाते को संतुलित बनाए रखने के लिए भारतीय वस्तुओं के निर्यात को प्रोत्‍साहित करने के बड़े स्‍तरपर प्रयास किया जा रहा है, इनके लिए लघु और दीर्घ अवधि की नीतियां और लक्ष्‍य तय किए गए हैं। उन्होंने बताया कि सूक्ष्‍म लघु और मझौले उद्योगों के लिए कर्ज की उपलब्‍धता और कर रियायतों का भी प्रावधान करने की कोशिश की जा रही है। बैठक में विदेश व्‍यापार महानिदेशालय के महानिदेशक ने विभिन्‍न उद्योगों से जुड़े निर्यात आंकड़ों की रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट के अुनसार अप्रैल-अगस्‍त 2018-19 में भारतीय वस्‍तुओं के निर्यात में 16.13 प्रतिशत की वृद्धि रही और यह बढ़कर 136.10 अरब डालर पर पहुंच गया।

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