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रेलवे में शुरू हुआ प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल

रेलवे को करोड़ों की बचत और ग्रीन उत्सर्जन में भी कमी

भारतीय रेल ने किया मैसर्स गेल इंडिया से समझौता

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 31 August 2018 04:59:40 PM

indian railways made agreement with m / s gail india

नई दिल्ली। भारतीय रेल ने घुलनशील एसीटाइलिन, एलपीजी, बीएमसीजी और फरनेस ऑयल यानी हाई स्पीड डीजल जैसी औद्योगिक गैसों के स्‍थान पर पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल के लिए मैसर्स गेल इंडिया लिमिटेड के साथ एक समझौता किया है। यह समझौता भारतीय रेल की वर्कशॉपों, उत्पादन इकाईयों और डिपो को प्राकृतिक गैस आपूर्ति के लिए अवसंरचना सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया गया है। रेल भवन में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी और गेल के अध्यक्ष एवं महानिदेशक बीसी त्रिपाठी की मौजूदगी में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। भारतीय रेल की तरफ से भारतीय रेल वैकल्पिक ईंधन संगठन के सीईओ चेतराम और गेल इंडिया लिमिटेड के निदेशक गजेंद्र सिंह ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। कई स्‍थानों पर प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल शुरू भी हो चुका है, जिससे प्रतिमाह 410 किलोलीटर एचएसडी की बचत हो रही है, जो वार्षिक रूपसे 8 से 10 करोड़ रुपये के बराबर है, इसके साथ ही सीओ-2 उत्सर्जन में भी लगभग 28 प्रतिशत की कमी आई है।
मैसर्स गेल इंडिया और भारतीय रेल के बीच इस समझौते के तहत यह सैद्धांतिक सहमति बनी है कि 13 चिन्हित वर्कशॉपों के लिए सीएनजी, एलएनजी, पीएनजी की आपूर्ति के संबंध में अवसंरचना विकसित की जाएगी। यह कोई आपूर्ति समझौता नहीं है, बल्कि प्राकृतिक गैस की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इकाईयां इसकी वाणिज्यिक शर्तें तय करेंगी। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी ने इस अवसर पर कहा कि रेलवे वर्कशॉपों में प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल भारतीय रेल और गेल के लिए बहुत फायदेमंद है, यह न सिर्फ पर्यावरण अनुकूल कदम है, बल्कि भारतीय रेल के लिए भी लाभप्रद है, क्योंकि इसकी मदद से ईंधन खर्च में 25 प्रतिशत तक की कटौती होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल अपने सभी 54 वर्कशॉपों एवं उत्पादन इकाईयों, बेस किचन, बड़े स्टेशनों, अधिकारी विश्रामगृहों, भारतीय रेल के हॉस्टलों इत्यादि में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देगी।
गौरतलब है कि माटुंगा वर्कशॉप और कोटा वर्कशॉप में प्रायोगिक परियोजना को कमीशन कर दिया गया है और वहां प्राकृतिक गैस की आपूर्ति शुरू हो चुकी है। माटुंगा के कैरिज रिपेयर वर्कशॉप में घुलनशील एसीटाइलिन, एलपीजी की जगह सीएनजी का इस्तेमाल हो रहा है और उम्मीद की जाती है कि इससे प्रतिवर्ष 20 लाख रुपये की बचत होगी। इसी तरह पूर्व मध्य रेलवे के कोटा वर्कशॉप में औद्योगिक गैसों के स्थान पर प्राकृतिक गैस इस्तेमाल की जा रही है, जिससे वहां भी प्रतिवर्ष 21 लाख रुपये की बचत होगी। बेंगलूरु स्थित रेल व्हील फेक्ट्री में सीएनजी का इस्तेमाल शुरू हो चुका है। व्हील शॉप के ड्रॉ-फर्नेस तथा एक्सेल शॉप की तीनों भट्टियों में एचएसडी के स्थान पर प्राकृतिक गैस इस्तेमाल की जा रही है। इससे घातक ग्रीन हाउस उत्सर्जन में कमी के जरिए पर्यावरण को बहुत लाभ हो रहा है, इसके साथ औद्योगिक गैसों और फर्नेस ऑयल की जगह प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल से लागत में भी बहुत फायदा हो रहा है। एक आकलन के अनुसार वर्कशॉपों, उत्पादन इकाईयों, डिपो और भारतीय रेल की आवासीय कालोनियों में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल से प्रतिवर्ष 20 करोड़ रुपये की बचत होगी।

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