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भारत के राष्ट्रपति की सूरीनाम यात्रा पर प्रश्न

नीदरलैंड और हिंदुस्तानी समाज में इसपर बड़ी प्रतिक्रिया

सूरीनाम के राष्ट्रपति देशी बेरतिश कोर्ट से सजायाफ्ता?

Monday 18 June 2018 03:21:05 PM

डॉ पुष्पिता अवस्थी

डॉ पुष्पिता अवस्थी

suriname's president deshi beritish

नई दिल्ली/ पारामारिबो। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस 19 जून को सूरीनाम की यात्रा पर होंगे। हिंदुस्तान से चौदह हज़ार किलोमीटर दूर इस देश में 1873 से 1916 के बीच उत्तर भारत के अनेक क्षेत्रों से शर्तबंदी प्रथा यानी कंत्राती के तहत अनेक हिंदुस्तानी मज़दूर आए थे। इसीके तहत राष्ट्रपति के पुरखे भी सूरीनाम ले जाए गए थे। अपने पुरखों की स्मृति के सम्मान में सूरीनाम बनाम श्रीराम धाम में भारत के राष्ट्रपति का जाना पुनीत तो है, लेकिन वे ऐसे प्रतिकूल राष्ट्रनायक बनाम राष्ट्रपति के कार्यकाल में सूरीनाम पहुंच रहे हैं, जो भारत देश और भारत के राष्ट्रपति की संवैधानिक गरिमा के विरुद्ध माना जा रहा है। इस समय देशी बेरतिश सूरीनाम के राष्ट्रपति हैं, जिनपर मिलिट्री कूप के दौरान पंद्रह लोगों की हत्या का आरोप सिद्ध है। इनपर नीदरलैंड के इंटरनेशनल जस्टिस कोर्ट में मुकद्मा चला है और ग्यारह वर्ष से अधिक की सज़ा घोषित है, यहां तककि यूरोप के नीदरलैंड और अन्य देशों के एयरपोर्ट पर पहुंचते ही इनको गिरफ्तार कर लेने के आदेश हैं।
सूरीनाम के राष्ट्रपति देशी बेरतिश दूसरी बार भी हिंदुस्तानियों के समर्थन और सहयोग से पुनः सूरीनाम के राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होने के बाबजूद वे अपने ही देश में क़ैद होकर रह रहे हैं। सूरीनाम के कोर्ट में भी उनके विरुद्ध केस चल रहा है। हर बार लगता है कि इस बार उन्हें गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया जाएगा, लेकिन राष्ट्रपति होने के कारण वकीलों के सहयोग से वे अपने को बचा ले जाते हैं। हत्या जैसे जघन्य अपराध के साथ-साथ उनके विरुद्ध ड्रग्स और देश विरोधी धंधों में सम्मिलित होने के आरोप हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद देशी बेरतिश ने सभी विभागों में अपने ही लोगों को नियुक्त कर रखा है। वे कुछ वर्ष तक उनको नियुक्त रखने के बाद पद से हटा देते हैं और उनकी जगह अपने दूसरे विश्वासपात्र लोगों को नियुक्त कर देते हैं, पहले लोगों को पेंशन के नाम पर पूरी तनख्वाह देते रहते हैं, इस तरह पूरा देश आर्थिक संकट से भी गुज़र रहा है।
माना जाता है कि सूरीनाम देश चीन, अमेरिका और कनाडा के हाथों गिरवी रखा हुआ है। दिनांक 14 मई 2016 के एनआरई नीदरलैंड के अनुसार सूरीनाम ने इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड से 424 मिलियन रकम उधार ले रखी है। सूरीनाम में राजनीतिक, प्रशासनिक, आर्थिक और अपराध एवं कानून व्यवस्‍था संकट इतना गहरा है कि वेनेजुएला राष्ट्र की तरह ही सूरीनाम देश के नागरिक भी दूसरे देशों में जाने को विवश हैं। आर्थिक स्थिति तो इतनी दयनीय है कि वहां के नागरिकों को रोटी के लाल पड़े हैं, इसके लिए 7 अप्रैल 2017 को प्रेसिडेंट और पार्लियामेंट हाउस के बाहर सूरीनाम की आम जनता ने भारी प्रदर्शन किया, जो 2012 से अनवरत जारी है। सवाल यह है कि ऐसी स्थिति में भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सूरीनाम की यात्रा पर जाने की क्या आवश्यकता है, जबकि पड़ोसी देश का कोई राजनयिक भी सूरीनाम नहीं जाता है। किसी देश की कोई सरकार का उच्च प्रतिनिधि वहां नहीं जा रहा है। ऐसे में भारत जैसे गरिमामय राष्ट्र के राष्ट्रपति का सूरीनाम जाना, राष्ट्र और स्वयं राष्ट्रपति पद के सम्मान के विरुद्ध नहीं है?
सूरीनाम और नीदरलैंड के समाचार पत्र सूरीनाम के राष्ट्रपति की आलोचनाओं से भरे पड़े हैं और उनमें इसपर भी प्रश्न उठाया जा रहा है कि भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस स्थिति में सूरीनाम कैसे आ रहे हैं, जबकि वे भी कानूनविद् हैं और ऐसी अवस्‍था में उन्हें सूरीनाम का दौरा नहीं करना चाहिए, जब वहां का राष्ट्रपति ही सजायाफ्ता हो। डच देश के अखबारों की रिपोर्टिंग विदेश मंत्रालय को मालूम है, वह सूरीनाम और नीदरलैंड दूतावास में पढ़वाई जा सकती है और सूरीनाम के राष्ट्रपति देशी बोरतेश के बारे में सारी सूचनाएं वहां से कन्फर्म की जा सकती हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सूरीनाम यात्रा पर सवाल उठ रहे हैं कि सूरीनाम के साथ भारत के कौन से ऐसे ताल्लुकात बन सकते हैं, जिनसे भारत राष्ट्र की प्रगति में कोई इज़ाफ़ा होगा या भारत के सम्मान में कोई बढ़ोत्तरी होगी? वो कौन लोग हैं, जिन्होंने यह यात्रा सुनियोजित की और क्यों‌ की? सूरीनाम के भारतीय राजदूतावास ने यह तथ्य क्यों नहीं ध्यान में रखा? विदेश मंत्रालय ने भी इन सभी दृष्टियों पर विचार क्यों नहीं किया?
सूरीनाम देश आधिकारिक तौर पर सूरीनाम गणराज्य, दक्षिण अमरीका महाद्वीप के उत्तर में स्थित है। सूरीनाम के पूर्व में फ्रेंच गुयाना और पश्चिमी गयाना स्थित है। सूरीनाम की दक्षिणी सीमा ब्राजील और उत्तरी सीमा अंध महासागर से मिलती है। देश की मरोविजने और कोरंतिज नदी पर फ्रेंच गुयाना और गयाना से धुर दक्षिण में मिलने वाली सीमा विवादास्पद मानी जाती है। सूरीनाम दक्षिण अमरीका का क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से सबसे छोटा संप्रभु देश है। इसकी राजधानी पारामारिबो है। यह पश्चिमी गोलार्ध पर एकलौता डच भाषी क्षेत्र है, जो नीदरलैंड राजशाही का हिस्सा नहीं है। सूरीनाम का समाज बहुसांस्कृतिक है, जिसमें अलग-अलग जाति, भाषा और धर्म वाले लोग निवास करते हैं। देश की एक चौथाई जनता प्रति दिन दो डॉलर से कम पर जीवनयापन करती है। सूरीनाम अपने राष्ट्रपति पर गंभीर आक्षेपों के कारण फिलहाल यूरोपियन देशों से अलग-थलग माना जाता है।

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