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'नक्सली नेता अमीर व आदिवासी समुदाय ग़रीब'

नक्सली ग़रीब आदिवासी बच्चों को स्कूल भी नहीं जाने देते हैं-गृहमंत्री

सीआरपीएफ की पासिंग आउट परेड में मुख्यमंत्री और गृहमंत्री शामिल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 21 May 2018 06:33:52 PM

rajnath singh presenting the trophies, passing out parade of the bastariya battalion of crpf

रायपुर। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह आज छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर में सीआरपीएफ की 241 बस्तारिया बटालियन की पासिंग आउट परेड में शामिल हुए। गृहमंत्री ने एक जनसभा को भी संबोधित किया, जिसमें उन्होंने वामपंथी उग्रवाद से मुकाबला करने के लिए केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल और राज्य पुलिस के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि नक्सली नेता अपने बच्चों को प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में पढ़ाना चाहते हैं, जबकि वे ग़रीब आदिवासी समुदायों के बच्चों को गुमराह करते रहते हैं, नक्सली लीडर ग़रीब आदिवासी बच्चों को स्कूल भी नहीं जाने देते हैं। उन्होंने कहा वामपंथी उग्रवादी चाहते हैं कि आदिवासी लोग हमेशा ग़रीब रहें, क्योंकि उनके लिए ऐसा करना सुविधाजनक है।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ नक्सली नेताओं की जीवनशैली उनकी संपन्नता और समृद्धि को दर्शाती है, लेकिन हमने फैसला किया है कि ऐसे सभी नक्सली नेता, जिन्होंने ग़रीब लोगों का इस्तेमाल करके भारी संपत्ति जमा कर ली है और वे इन लोगों की अज्ञानता का लाभ उठा रहे हैं, उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी। गृहमंत्री ने कहा कि नक्सलवाद एक चुनौती है, लेकिन मैं यह बता देना चाहता हूं कि यह बुराई अब कम हो रही है और अपना आधार खो रही है। उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों के हताहत होने की संख्या में करीब-करीब 53 से 55 प्रतिशत कमी आई है, नक्सलवाद का भौगोलिक विस्तार भी 40 से 45 प्रतिशत कम हुआ है और इस उपलब्धि का पूरा श्रेय सीआरपीएफ के जवानों और राज्य पुलिस को जाता है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर देते हुए कि नक्सल समस्या से मुकाबला करने के लिए विकास ही सबसे बड़ा हथियार है, कहा कि मैं जानता हूं कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह राज्य का संपूर्ण विकास करने का प्रयास कर रहे हैं, वह राज्य के सुदूरवर्ती इलाकों के विकास पर ध्यान दे रहे हैं, ताकि यहां समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके, लेकिन माओवादी नहीं चाहते कि ये इलाके विकसित हों, क्योंकि वे अच्छी तरह जानते हैं कि यदि विकास होगा तो उनके मंसूबे कभी सफल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि हम राज्य के प्रत्येक गांव के लिए सड़क सम्पर्क, बिजली और अन्य बुनियादी ढांचा सुनिश्चित कर रहे हैं, कुछ गांव अभी भी बिजली से वंचित हैं और लोगों को नक्सलियों द्वारा पैदा की जा रही बाधाओं के कारण परेशानी हो रही है, लेकिन मैं आश्वासन देना चाहता हूं कि कोई भी बाधा इन इलाकों में विकास की प्रक्रिया नहीं रोक सकती।
सुरक्षा बलों के कार्य और बलिदान की सराहना करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि कोई भी धनराशि हमारे जवानों के बलिदान की भरपाई नहीं कर सकती, लेकिन देश की सेवा में अपने प्राणों की आहुति देने वालों के परिवारों के प्रति हमारी कुछ जिम्मेदारी है, इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने फैसला किया है कि शहीद जवान के परिवार को एक करोड़ रुपये से कम धनराशि नहीं दी जानी चाहिए, जो उनके प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। गौरतलब है कि बस्तारिया बटालियन 1 अप्रैल 2017 को अस्तित्व में आई थी, इसका गठन बस्तारिया युवकों को रोज़गार देने के लिए एक विश्वसनीय और आसान मंच प्रदान करने के अलावा बस्तर क्षेत्र में सीआरपीएफ की युद्ध स्थिति में स्थानीय प्रतिनिधित्व बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था।

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