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संस्कृति सहअस्तित्व की एक बड़ी ताकत-भारत

चीन के सान्‍या शहर में शंघाई संस्‍कृति मंत्रियों की 15वीं बैठक

द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय सहयोग हुआ और भी गहरा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 19 May 2018 03:07:44 PM

minister of culture with culture ministers of the member states of sco

नई दिल्ली/ शंघाई। केंद्रीय संस्‍कृति मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार राज्‍यमंत्री डॉ महेश शर्मा ने चीन गणराज्य के हेनान प्रांत के सान्‍या शहर में शंघाई सहयोग संगठन के सदस्‍य देशों के संस्‍कृति मंत्रियों की 15वीं बैठक में भाग लेने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की। भारत ने पहली बार एससीओ के संस्‍कृति मंत्रियों की बैठक में भाग लिया। डॉ महेश शर्मा ने बैठक को संबोधित करते ‌हुए कहा कि भारत का चीन और एससीओ के अन्‍य सदस्‍य देशों के साथ सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान करने का लंबा इतिहास है। उन्होंने कहा कि एससीओ में शामिल होने से आदान-प्रदान एवं सहयोग के लिए एक नया प्‍लेटफॉर्म, अधिक से अधिक विस्‍तार और अवसर सुनिश्चित हुए हैं। उन्होंने लोगों को आपस में जोड़ने में संस्कृति की भूमिका के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह मानवता के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के विकास में एक बड़ी ताकत है।
जनवादी गणराज्य चीन के केंद्रीय भाग में स्थित हेनान प्रांत में एक खूबसूरत शहर है सान्या, जहां संस्‍कृति मंत्रियों की यह बैठक हुई। हेनान राजवंश के ज़माने में इस क्षेत्र में एक युझोऊ नामक राज्य हुआ करता था, इसलिए चीनी भावचित्रों में हेनान प्रांत को संक्षिप्त रूपमें यु भी लिखते हैं। हेनान नाम दो शब्दों को जोड़कर बना है-हे यानि नदी और नान यानि दक्षिण। हेनान पीली नदी ह्वांग हे के दक्षिण में है, इसलिए इसका नाम हेनान पड़ा। हेनान को चीनी सभ्यता की जन्मभूमि माना जाता है, क्योंकि चीन का एक अति-प्राचीन राजवंश शांग राजवंश कभी यहीं केंद्रित था। हेनान का क्षेत्रफल एक लाख सड़सठ हज़ार वर्ग किलोमीटर है, यानि भारत के उड़ीसा राज्य से जरा ज़्यादा। सन् 2010 की जनगणना में इसकी आबादी करीब साढ़े नौ करोड़ थी, यानि भारत के पश्चिम बंगाल से थोड़ी ज़्यादा। हेनान को आर्थिक रूप से एक पिछड़ा प्रांत माना जाता है, यहां कृषि, कोयले और एल्युमिनियम की खानें हैं और उद्योग एवं पर्यटन यहां की आय के मुख्य स्रोत हैं। इस प्रांत की राजधानी झेंगझोऊ शहर है, काईफ़ेंग और लुओयांग भी इस प्रांत के प्रमुख शहर हैं।
संस्‍कृति राज्‍यमंत्री डॉ महेश शर्मा ने चीन के शहर की तारीफ की और कहा कि समृद्ध और विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत वाले भारत और चीन जैसे देशों के लिए एससीओ पर्यटन, शिक्षा, विज्ञान, पुरातत्व, संगीत, ड्रामा और योग सहित व्यापक स्तर पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सहयोग की संभावनाएं तलाशने का जरिया बनेगा। एससीओ की बैठक में विशेष रूपसे सघन और रचनात्मक बहुपक्षीय सांस्कृतिक सहयोग स्थापित करने के साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देकर लोगों के बीच आपसी समझ को प्रोत्साहित करने पर चर्चा की गई। बैठक में शामिल सभी प्रतिभागी इस बात पर एकमत दिखे कि एससीओ के सदस्य देशों के बीच सांस्कृतिक सहयोग ने पिछले एक वर्ष में उल्लेखनीय प्रगति की है और विविध क्षेत्रों में आदान-प्रदान एवं सहयोग के बारे में बैठक में प्रस्तुत रिपोर्टों से यह स्पष्ट हुआ है कि द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय सहयोग और गहरा तथा व्यापक हो रहा है।
भारत एससीओ की सांस्कृतिक पहलों में काफी समय से हिस्सा लेता रहा है, इसमें सिंतबर 2018 में पेरिस में प्रस्तावित एससीओ-यूनेस्को प्रदर्शनी के लिए विश्व धरोहर स्थल को नामित करना और एससीओ तथा यूनेस्को के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी शामिल हैं। शंघाई सहयोग संगठन 8 सदस्यों वाला एक बहुपक्षीय संगठन है। चीन, कजाकस्तान, किर्गीस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान ने इसकी स्थापना 15 जून 2001 को चीन के शंघाई शहर में की थी। भारत के साथ ही पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य बन चुका है। इसके साथ ही संगठन के सदस्यों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। सदस्यता विस्तार के साथ ही एससीओ अब दुनिया की कुल आबादी के 42 प्रतिशत हिस्से, कुल जीडीपी के 20 फीसदी हिस्से तथा विश्व के 22 फीसदी भूभाग का प्रतिनिधित्व कर रहा है। एससीओ का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक, शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन तथा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थायित्व के लिए भी परस्पर सहयोग को बढ़ावा देना है।
शंघाई सहयोग संगठन के सदस्‍य देशों के संस्‍कृति मंत्रियों की बैठक का समापन 2018-20 के लिए एक कार्य योजना की प्रस्तुति के साथ हुआ। बैठक में शामिल प्रतिनिधियों ने एससीओ में भारत और पाकिस्तान का स्वागत करने के साथ ही सदस्य देशों के सांस्कृतिक संगठनों के सीधे और व्यवहारिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और संयुक्त रूपसे सांस्कृतिक उत्पादों तथा कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए एक संयुक्त बयान भी जारी किया। गौरतलब है कि भारत ने 9 जून 2017 को कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में एससीओ के सदस्य देशों के राज्याध्यक्षों की बैठक में संगठन की पूर्ण सदस्यता ग्रहण की थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि क्षेत्रीय और वैश्विक परिदृश्य की दृष्टि से शंघाई सहयोग संगठन शांति और सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है। यह बैठक संस्कृति परियोजनाओं की दृष्टि से काफी सफल मानी जाती है और शंघाई सहयोग संगठन के उद्देश्यों को प्रोत्साहित करती है।

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