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अनियंत्रित विकास से आपदाएं बढ़ीं-नीति आयोग

जापान की वैश्विक नेतृत्‍व भूमिका सराहनीय-डॉ पीके मिश्रा

आपदा जोखिम विषय पर पहली भारत-जापान कार्यशाला

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 19 March 2018 05:02:36 PM

first india-japan workshop on disaster risk

नई दिल्ली। नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉ राजीव कुमार ने आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण विषय पर पहली भारत-जापान कार्यशाला का उद्घाटन किया। दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन संयुक्‍त रूपसे गृह मंत्रालय, राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और जापान सरकार ने किया है। नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष ने इस अवसर पर भारत और जापान की दो प्राचीन एशियाई सभ्‍यताओं के बीच समानता के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि दोनों ही देशों का लगातार प्राकृतिक आपदाओं से सामना हुआ है और दोनों आपदा के जोखिम को कम कर विकास के लिए सक्रिय रूपसे विनिवेश कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि यह कार्यशाला सितंबर 2017 में आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण पर दोनों देशों के बीच समझौता ज्ञापन के तहत सहमत पहलों के औपचारिक कार्यांवयन की शुरूआत है। विकास पर आपदा के प्रभाव के बारे में डॉ राजीव कुमार ने कहा कि आपदा के जोखिम का उचित आंकलन किए बगैर अनियंत्रित विकास से आपदाओं के कारण क्षति का ख़तरा बढ़ा है।
नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉ राजीव कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से आपदा का जोखिम और बढ़ा है, इसलिए सतत विकास की संपूर्ण रणनीति से आपदा जोखिम प्रबंधन को अलग नहीं किया जा सकता है। सेंडाई में आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण, पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर और न्‍यूयार्क में सतत विकास के लक्ष्‍यों को लेकर की गई प्रतिबद्धताओं का स्‍मरण करते हुए डॉ राजीव कुमार ने विशेष रूपसे आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण के क्षेत्र में प्रतिबद्धताओं के कार्यांवयन में अन्य देशों की भूमिका पर बल दिया, क्‍योंकि निवेश के परिणाम आसानी से नज़र नहीं आ रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण को आर्थिक वृद्धि की लागत के रूपमें नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे देश की बहुमूल्‍य संपत्ति के तौरपर देखा जाना चाहिए। डॉ राजीव कुमार ने छह पक्षीय दृष्टिकोण-जोखिम की पहचान, जोखिम कम करना, तैयारी, वित्तीय सुरक्षा, अस्‍थायी पुर्ननिर्माण और सामाजिक जागरुकता के जरिए आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण पर चर्चा की।
डॉ राजीव कुमार ने विनाशकारी प्राकृ‍तिक आपदाओं से निपटने के लिए नागरिकों को तैयार करने में शिक्षा और स्कूलों की भूमिका और जोखिम से जुड़े निवेश को बढ़ावा देने के लिए हितधारकों के साथ साझेदारी बढ़ाने पर बल दिया। उन्‍होंने कहा कि एकजुट प्रयास करने से जोखिम और आपदा से क्षति कम होती है, इसलिए यह कार्यशाला आपदा जोखिम से निपटने में लोगों और समुदायों की आपसी साझेदारी, शिक्षा और उनकी क्षमता बढ़ाने की दिशा में अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण कदम है। जापान के मंत्रिमंडल में नीति समन्‍वय उपमंत्री मामोरू माइकावा ने कार्यशाला का आयोजन करने के लिए भारत सरकार का आभार व्‍यक्‍त किया, जो आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण के बारे में समझौता ज्ञापन का पहला कदम है। उन्‍होंने कानूनी और योजना तैयार करने के खाके सहित अपने देश की डीआरआर नीतियों के अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे जापान सरकार, शिक्षण संस्‍थानों, निजी कंपनियों और नागरिकों के साथ सहयोग कर बड़े पैमाने पर आपदा से निपटने की तैयारी कर रही है। उन्‍होंने कहा कि जापान और भारत को सेंडाई खाके के कार्यांवयन में सहयोग करना चाहिए, ताकि वैश्विक आपदा जोखिम कम करने में योगदान दिया जा सके।
प्रधानमंत्री के अपर प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा ने वैश्विक आपदा जोखिम कम करने में जापान के असाधारण योगदान की चर्चा की। उन्‍होंने प्राकृतिक आपदा न्‍यूनीकरण के अंतर्राष्‍ट्रीय दशक के शुरूआती दिनों से लेकर योकोहामा रणनीति तक तथा ह्योगो फ्रेमवर्क से लेकर वर्तमान सेंडाई फेमवर्क तक इस क्षेत्र में जापान की वैश्विक नेतृत्‍व की भूमिका की सराहना की। डॉ पीके मिश्रा ने प्रौद्योगिकी में जापान के नेतृत्‍व और डीआरआर में इसके संपूर्ण सामाजिक दृष्टिकोण की भी प्रशंसा की। डॉ पीके मिश्रा ने बल दिया कि सभी विकास क्षेत्रों में आपदा जोखिम प्रबंधन के सिद्धांतों को अपनाने की आवश्‍यकता है, ताकि आर्थिक क्षति से बचा जा सके। उन्‍होंने बताया कि 2016 में आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण पर एशियाई मंत्रीस्‍तरीय सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप भारत आपदा अस्‍थायी बुनियादी ढांचे पर वैश्वि‍क सहयोग की दिशा में कार्य कर रहा है। उन्‍होंने इस पहल पर जापान के सक्रिय योगदान के लिए उसकी सराहना की तथा विभिन्‍न स्‍तरों पर डीआरआर में दोनों देशों के बीच अधिक सहयोग पर बल दिया।
भारत में जापान के राजदूत केंजी हिरामात्सू ने मार्च 2011 में जापान में भूकंप के बाद सहायता के वास्‍ते राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की टीम को वहां भेजने के लिए भारत के लोगों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने वर्तमान में जापान और भारत के बीच चल रही आपदा जोखिम न्यूनीकरण से संबंधित विभिन्न सहयोगी परियोजनाओं का भी उल्लेख किया और डीआरआर के लिए लोगों की जागरुकता और ऐहतियाती उपायों के महत्व पर बल दिया। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा, एनडीएमए के सदस्य, गृह मंत्रालय, एनडीएमए और एनडीआरएफ के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। कार्यशालामें सरकार, तकनीकी संस्थानों, निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों सहित जापान से पचास प्रतिनिधि और भारत से 70 प्रतिनिधि भी शामिल हुए।

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