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दिल्ली में बौद्धिक जालसाजी पर मंथन

विषयःजालसाजी व प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका

'भारत में बौद्धिक संपदा अधिकारों को समर्थन'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 14 March 2018 12:51:15 PM

national conference on the role of counterfeiting and enforcement agencies

नई दिल्ली। वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग यानी डीआईपीपी के तत्‍वावधान में बौद्धिक सम्‍पदा अधिकार आईपीआर, संवर्द्धन और प्रबंधन प्रकोष्‍ठ यूरोपीय संघ के सहयोग से नई दिल्‍ली में दो दिवसीय जालसाजी और प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका पर एक राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन शुरू हुआ, जिसका वाणिज्‍य और उद्योगमंत्री सुरेश प्रभु ने डीआईपीपी सचिव रमेश अभिषेक की उपस्‍थिति में उद्घाटन किया। सुरेश प्रभु ने इसमें कहा कि भारत बौद्धिक संपदा अधिकारों की आवश्‍यकता को समर्थन देने वाले विश्‍व के पहले देशों में है, विशेष रूप से फार्मास्‍युटिकल क्षेत्र में भारत पहला देश है। उन्होंने कहा कि भारत देश में बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति पूरी तरह संकल्‍पबद्ध है और इस दिशा में भारत सरकार ने नई बौद्धिक संपदा अधिकार नीति 2016 बनाई, इससे विभिन्‍न क्षेत्रों में नवाचार और सृजन में तेजी आएगी और आईपीआर विषयों के संबंध में स्‍पष्‍ट विजन प्राप्‍त होगा।
मंत्री सुरेश प्रभु ने सरकार तथा वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग के विभिन्‍न पहलों की चर्चा की। इनमें नागरिकों तथा व्‍यावसायिक घरानों के लिए जागरूकता कार्यक्रम, प्रवर्तन एजेंसियों को मजबूत बनाना, न्‍यायपालिका को संवेदी बनाना तथा पेटेंट और ट्रेडमार्क के लिए आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाना शामिल है। भारत और भूटान में यूरोपीय यूनियन के राजदूत तोमास्ज कोजलोवस्‍की ने कहा कि सृजन और नवाचार के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों का संरक्षण और प्रवर्तन महत्‍वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय यूनियन में आईपीआर प्रोत्‍साहन वाले क्षेत्र का जीडीपी में 40 प्रतिशत हिस्‍सा है, यूरोपीय यूनियन के देश विश्‍व में सर्वाधिक नवाचारी देशों में है। उन्‍होंने कहा कि जालसाजी तथा चोरी के उत्‍पाद विश्‍व कारोबार का 2.5 प्रतिशत है, बौद्धिक संपदा अधिकारों पर संरक्षण और कारगर कानून प्रवर्तन भारत के हित में है। उल्लेखनीय है कि बौद्धिक सम्‍पदा अधिकारों को लागू करने के बारे में तीन दिवसीय राष्‍ट्रीय कार्यशाला अगस्‍त 2107 में आयोजित की गई थी, जिसमें देशभर में पुलिस अधिकारियों के लिए बहुप्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए गए थे।
जालसाजी के मामलों में तेजी से वृद्धि का विश्‍वभर में असर पड़ा है। जालसाजी के कारण न केवल निर्माताओं और आईपी मालिकों का ब्रांड मूल्‍य, प्रतिष्‍ठा और उनकी ख्‍याति कम होती है, बल्‍कि उसके सामाजिक और आर्थिक दुष्परिणाम होते हैं, जिनमें करों और राजस्‍व हानि के कारण भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। जालसाजी में पूंजी को अन्‍य गैर कानूनी गतिविधियों में लगाया जाता है, जाली उत्‍पाद उपभोक्‍ताओं के स्‍वास्‍थ्‍य एवं सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। प्रवर्तन एजेंसियां जैसे पुलिस, कस्‍टम और अभियोजन शाखा की देश में बौद्धिक सम्‍पदा अधिकारों को प्रभावी तरीके से लागू करने में प्रमुख भूमिका है। आईपीआर और जालसाजी के खतरों के बारे में एजेंसियों के अधिकारियों के बीच जागरुकता पैदा करके प्रवर्तन व्‍यवस्‍था को मजबूत बनाया जा सकता है, साथ ही रोज़मर्रा की गतिविधियों में जाली उत्‍पादों से जुड़े मामलों से निपटने में उनकी सहायता की जा सकती है।
जालसाजी निरोधक सम्‍मेलन के जरिए राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय विशेषज्ञ एक मंच पर आकर बातचीत कर रहे हैं और प्रवर्तन एजेंसियां, एटॉर्नी तथा उद्योग के प्रतिनिधियों के लाभ के लिए सर्वश्रेष्‍ठ जानकारी का आदान-प्रदान कर रहे हैं। सम्मेलन में आईपीआर संरक्षण ईको प्रणाली को और मजबूत बनाने के लिए नए सुझाव आए हैं। सम्मेलन जालसाजी के खतरे से निपटने के संबंध में अधिकारियों को अपने अनुभव बांटने तथा एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल के लिए एक मंच प्रदान करने के रूपमें कार्य करेगा। सम्‍मेलन में प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधियों के अलावा अनेक आईपी पेशेवर, वकील, ई-कॉमर्स, साझेदार और उद्योग एसोसिएशनों के प्रतिनिधि भी भाग ले रहे हैं। आईपीआर को लागू करने में प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका के महत्‍व के बारे में सरकार ने अनेक पहल की है। पिछले वर्ष मंत्रालय ने आईपी अपराधों, विशेष रूपसे जाली ट्रेडमार्क और कॉपीराइट चोरी करने जैसी समस्‍याओं से निपटने में मदद के लिए देशभर के पुलिस अधिकारियों के लिए उपकरणों की शुरूआत की थी। सम्मेलन में डीआईपीपी के संयुक्‍त सचिव राजीव अग्रवाल, भारतीय फिल्‍म और टेलिविजन की गिल्‍ड के अध्‍यक्ष सिद्धार्थ राय कपूर तथा वरिष्‍ठ पुलिस और प्रवर्तन अधिकारी मौजूद थे।

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