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'नेता में कड़े फैसले लेने की क्षमता होनी चाहिए'

आईआईडीएफ महाराष्‍ट्र के छात्रों ने की राज्‍यमंत्री से भेंट

छात्रों ने नेताओं के साथ हुई बातचीत के अनुभव भी बांटे

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 12 March 2018 06:12:12 PM

dr. jitendra singh with a group of students from indian institute of democratic leadership

नई दिल्ली। इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेटिक लीडरशिप महाराष्‍ट्र के छात्रों के एक समूह ने प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्‍यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह से मुलाकात की। इस दल में 14 राज्‍यों के 32 छात्र शामिल थे, जो नेतृत्‍व, राजनीति और शासन में स्‍नातकोत्‍तर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। राज्‍यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह के साथ छात्रों ने विभिन्‍न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ हुई बातचीत के अनुभव बांटे। छात्रों के साथ बातचीत करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि राजनीतिक नेतृत्‍व को अंतिम पंक्‍ति के अंतिम व्‍यक्‍ति यानि देश के उपेक्षित लोगों के लाभ के लिए कार्य करना चाहिए।
राज्‍यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान और विकसित अर्थव्‍यवस्‍था के क्षेत्र में विश्‍व में अग्रणी स्‍थान बना चुका है, ऐसी स्‍थिति में वह देश की युवा आबादी की आकांक्षाओं की अनदेखी नहीं कर सकता, जो आबादी का करीब 70 प्रतिशत हैं। उन्‍होंने कहा कि युवा भविष्‍य का खाका तैयार करने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे, क्योंकि वह अपने आसपास हो रहे विकास के बारे में अधिक जानकारी रखता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि टेक्‍नोलॉजी शासन में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में सरकार ने ई-शासन के साधन के रूपमें टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल किया है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने निर्णायक नेतृत्‍व की भूमिका के बारे में कहा कि नेता में कड़े फैसले लेने की क्षमता होनी चाहिए। उन्‍होंने इस संबंध में विमुद्रीकरण और सरकार के जीएसटी लागू करने का उदाहरण दिया। उन्‍होंने कहा कि भारत का पूर्वोत्‍तर क्षेत्र सरकार की प्राथमिकता है और यह सुनिश्‍चित करने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं कि वह विकास की प्रक्रिया में देश के अन्‍य भागों से पीछे न रहे। राज्यमंत्री ने कहा कि हमारा एक विकसित लोकतंत्र है और हमने आजादी के बाद इन 70 वर्ष में तीव्र विकास किया है। उन्‍होंने कहा कि लोगों के दृष्‍टिकोण में बदलाव आया है और अब सामंती मानसिकता को छोड़कर विकास संबंधी मुद्दे उनकी प्राथमिकता बन गए हैं। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि भविष्‍य के नेतृत्‍व को इन बदलते मूल्‍यों को दिमाग़ में रखना चाहिए।

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