विमान यात्री अधिकार विधेयक प्रस्ताव पर भी परामर्श
नागरिक उड्डयन मंत्रालय उपभोक्ता सेवा हेतु सक्रियस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 8 January 2018 03:40:49 AM
नई दिल्ली। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ‘एयरलाइनों में उपभोक्ता संतुष्टि बेहतर करने से संबंधित मुद्दों’ पर परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर विभाग से संबंधित स्थायी संसदीय समिति की 256वीं रिपोर्ट का स्वागत किया है। समिति की रिपोर्ट में अन्य बातों के अलावा उपभोक्ता सेवा से जुड़े मुद्दों और अंतिम क्षणों में विमान यात्रा टिकट खरीदने पर वाजिब से ज्यादा किराया या पैसा वसूले जाने के मामले पर प्रकाश डाला गया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय और समूचा विमानन परितंत्र यात्रियों को उच्चतम स्तर की सेवा मुहैया कराने एवं उपभोक्ता शिकायतों का समाधान करने के लिए सक्रिय रूपसे कार्य करते रहे हैं और मंत्रालय ने अभिनव ‘एयरसेवा’ प्लेटफॉर्म स्थापित करने और यात्रियों को सहायता प्रदान करने के अन्य तरीके सुलभ कराने के लिए सभी प्रमुख हितधारकों के साथ भागीदारी की।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कहना है कि यह खुशी की बात है कि कैलेंडर वर्ष 2017 के दौरान देशभर में सफर करने वाले लगभग 12 करोड़ विमान यात्रियों की ओर से हमें कुल मिलाकर 10,000 से भी कम शिकायतें मिली हैं। उपभोक्ता सेवा से जुड़े कई अन्य मुद्दों जैसे कि कोहरे से संबंधित एसओपी पर मंत्रालय और उद्योग सक्रिय रूपसे काम करते रहे हैं। मंत्रालय ने एक स्पष्ट और आसानी से समझ में आने वाला ‘विमान यात्री अधिकार विधेयक’ पेश करने का भी प्रस्ताव रखा है, जिसे अंतिम रूप देने के लिए व्यापक सार्वजनिक परामर्श जारी है। मार्च 1994 में एयर कॉरपोरेशन अधिनियम को निरस्त करने के साथ ही टैरिफ अनुमोदन के प्रावधान को सरकार ने समाप्त कर दिया था। प्रचलित नियमों (विमान नियम 1937) के नियम 135 के उप-नियम (1) के तहत अनुसूचित विमानन सेवाओं में संलग्न हर हवाई परिवहन उपक्रम के लिए सभी प्रासंगिक कारकों से संबंधित किराये को तय करना आवश्यक है, जिनमें परिचालन की लागत, सेवाओं की विशेषताएं, तर्कसंगत लाभ और आमतौर पर प्रचलित किराये शामिल हैं।
एयरलाइंस के विमान नियम 1937 के नियम 135 के उप-नियम (2) का अनुपालन करते हुए इस तरह से तय किराये को अपनी-अपनी वेबसाइटों पर प्रदर्शित करना आवश्यक है। एयरलाइंस की ओर से नियमों का समुचित अनुपालन तभी तक माना जाएगा, जब तक कि उनका वसूले जाने वाला किराया उनकी वेबसाइटों पर प्रदर्शित किराया ढांचे से अधिक नहीं होगा। किराया वसूली में मनमानी की किसी भी घटना को नागरिक विमानन महानिदेशक के ध्यानार्थ लाया जा सकता है, ताकि विमान नियम 1937 के नियम 135 के उप-नियम (4) के तहत कार्रवाई की जा सके। प्रतिस्पर्धा रोधी तौर-तरीके भी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के कार्यक्षेत्र और नियमन के दायरे में आते हैं। किराया निर्धारण को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के कारण प्रतिस्पर्धा बढ़ने से भारत में विमान किरायों में उल्लेखनीय कमी आई है और इसकी बदौलत भारत को भी अब दुनिया के सबसे कम विमान किरायों वाले बाज़ारों में शुमार किया जाता है।
भारतीय एयरलाइंस वैश्विकस्तर पर स्वीकृत गतिशील किराया निर्धारण प्रथाओं का पालन करती हैं, केवल 1-2 प्रतिशत टिकटों का ही लेन-देन उच्चतम किराया बास्केट में किया जाता है। किरायों की सीमा तय कर देने से 98-99 प्रतिशत यात्रियों के लिए किरायों में बढ़ोतरी कर दिए जाने का अंदेशा है। सरकार इस बात से अवगत है कि आपात स्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं के दौरान विमान यात्रा करने की मांग में अचानक वृद्धि हो जाती है, इस तरह की स्थितियों में नागरिक उड्डयन मंत्रालय एयरलाइंस के साथ मिलकर काम करता है, जिससे कि विमानों के उड़ान मार्गों में परिवर्तन करके प्रभावित क्षेत्रों के लिए ज्यादा उड़ानें सुनिश्चित की जा सकें और इस दौरान विमान किरायों में स्थिरता भी सुनिश्चित की जाती है।