स्वतंत्र आवाज़
word map

शिक्षा में सुधार हेतु प्रकांड विद्वानों की समिति

विख्यात वैज्ञानिक डॉ के कस्तूरीरंगन समिति के अध्यक्ष

राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा बनना शुरू हुआ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 27 June 2017 07:43:36 AM

scientist dr kasturirangan

नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक और पद्म विभूषण डॉ के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। समिति के सदस्य हैं-डॉ वसुधा कामत शिक्षा तकनीक के क्षेत्र की एक सुप्रसिद्ध विद्वान, जिनका स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक योगदान माना जाता है, ये एसएनडीटी विश्वविद्यालय मुंबई की कुलपति भी रह चुकी हैं। दूसरे हैं केजे अलफोंसे जिनको स्कूली शिक्षा के सुधार में आने वाली व्यावहारिक चुनौतियों से निपटने का प्रशासनिक अनुभव है, केरल के कोट्टायम और अरनाकुलम जिलों में 100 प्रतिशत साक्षरता हासिल करने में इनकी अहम भूमिका मानी जाती है। तीसरे हैं डॉ मंजुल भार्गव जो अमेरिका के पिंसटन विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर रहे हैं, इनको गौस नंबर सिद्धांत के क्षेत्र में योगदान के लिए बहुत ही कम आयु में गणित का फील्ड मेडल हासिल हो चुका है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मसौदा समिति में डॉ रामशंकर कुरील, मध्य प्रदेश के महू में बाबासाहेब अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति हैं और वंचित वर्ग को शिक्षा एवं विकास की मुख्यधारा में लाने के विषय पर इनके अनेक शोधपत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ टीवी काट्टीमानी भाषा शिक्षा और जनसंचार क्षेत्र से हैं और अमरकंटक में आदिवासी विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। कृष्णमोहन त्रिपाठी को सर्व शिक्षा अभियान को लागू करने का व्यापक अनुभव है और वह उत्तर प्रदेश हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं। डॉ मज़हर आसिफ गौहाटी विश्वविद्यालय में फारसी भाषा के प्रोफेसर हैं। इनके शोध निर्देशन में फारसी, असमी और अंग्रेजी भाषा का पहला शब्दकोष संकलित किया गया था। डॉ एमके श्रीधर एक दिव्यांग विद्वान हैं, कर्नाटक नवाचार परिषद और कर्नाटक ज्ञान आयोग के पूर्व सदस्य सचिव और सीएबीई के सदस्य भी हैं।
मसौदा समिति ने तत्काल प्रभाव से काम करना शुरू कर दिया है। एक व्यापक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत, जोकि तीस महीने से चल रही थी, मानव संसाधन विकास मंत्रालय को देशभर से शिक्षा शास्त्रियों, शिक्षकों, विशेषज्ञों, छात्रों एवं अन्य हितधारकों से हजारों सुझाव प्राप्त हुए थे। इसके लिए तहसील, जिला एवं राज्यस्तर पर चर्चा की गई थी। राज्य सरकारों ने क्षेत्रीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों में अपने व्यापक सुझाव दिए थे। राज्य सभा में भी इस विषय पर चर्चा की गई और शिक्षा पर एक विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें 48 सांसदों ने भाग लिया। कई सांसदों ने अपने विचार लिखित रूपसे दिए। सरकार के माईगव प्लेटफॉर्म पर 26,000 लोगों ने इंटरनेट के जरिए अपनी राय रखी है। टीएसआर सुब्रमण्यम ने भी समिति में अपनी सिफारिशें दीं। समिति इनके सभी सुझावों और सिफारिशों पर विचार करेगी।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]