स्वतंत्र आवाज़
word map

विश्‍वविद्यालयों की रैंक में शानदार बढ़ोतरी

भारतीय विश्‍वविद्यालयों की वैश्विक रैंक रिपोर्ट पेश

राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जाहिर की प्रसन्नता

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 21 July 2016 03:24:54 AM

pranab mukherjee receiving the indian universities, the global rank reports

नई दिल्ली। राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्‍ट्रपति भवन में एक समारोह में ओपी जिंदल ग्‍लोबल यूनिवर्सिटी और इंडियन सेंटर फार अकादमिक रैंकिंग एंड एक्सिलेंस से 'वैश्विक शैक्षिक रैंकिंग में भारतीय विश्‍वविद्यालयों के स्‍थान' के बारे एक रिपोर्ट प्राप्‍त की। रिपोर्ट की कुछ मुख्‍य विशेषताएं इस प्रकार हैं-भारतीय संस्‍थानों के कार्यनिष्‍पादन में क्‍यूएस यूनिवर्सिटी रैंकिंग एशिया 2016 में 17 देशों से शीर्ष 350 विश्‍वविद्यालयों की तुलना में अत्‍यंत शानदार बढ़ोतरी हुई है। भारत के 5 संस्‍थान शीर्ष 50 संस्‍थानों में और 9 संस्‍थान शीर्ष 100 संस्‍थानों में शामिल किए गए हैं। इस तरह की रैंकिंग के इतिहास में पहली बार भारत के सबसे उत्‍कृष्‍ट सभी 10 संस्‍थानों ने रचनात्‍मक वृद्धि प्रदर्शित की है। इनमें से 9 संस्‍थानों का नेतृत्‍व राष्‍ट्रपति ने विजिटर के रूप में किया है, जबकि 10वां यानी कलकत्‍ता विश्‍वविद्यालय उनका मातृ संस्‍थान रहा है।
ब्रिक्‍स रैंकिंग 2016 में भारत का स्‍थान 10 सर्वाधिक उत्‍कृष्‍ट संस्‍थानों में बरकरार है और आईआईएससी का इनमें छठा स्‍थान है। रूस के समान भारत के भी 8 संस्‍थान शीर्ष 50 संस्‍थानों में शामिल हैं, जबकि ब्राजील से भारत का एक संस्‍थान इस सूची में अधिक शामिल है। क्‍यूएस ब्रिक्‍स रैंकिंग 2016 में शीर्ष 250 विश्‍वविद्यालयों में भारत के 44 संस्‍थान शामिल हैं। दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय की रैंकिंग में पिछले वर्ष की 46 की तुलना में सुधार दर्ज हुआ और यह 41 पर पहुंच गई। वैश्विक स्‍तर पर भारत अनुसंधान प्रकाशित करने वाले 10 शीर्ष देशों में शामिल है। भारत ने डेढ़ दशक में 14 लाख अनुसंधान आलेख प्रकाशित किए हैं और 85 लाख प्रशंसात्‍मक उल्‍लेख (प्रति आलेख 7.4 प्रशंसात्‍मक उल्‍लेख) अर्जित किए हैं। इसी अवधि में भारतीय वैज्ञानिक समुदाय की ओर से पेटेंट हासिल करने के लिए 4.6 लाख आवेदन दाखिल किए गए। भारतीय लेखकों ने 2015 में 1,29,481 वैज्ञानिक आलेख प्रकाशित किए।
राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस अवसर पर याद दिलाया कि चार वर्ष पहले राष्‍ट्रपति पद का कार्यभार ग्रहण करते समय उन्‍होंने शिक्षा को रसायन विद्या का नाम दिया था, जो भारत को अगले स्‍वर्ण युग में प्रवेश कराने की क्षमता रखती है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि पिछले चार वर्ष में उन्‍होंने अपने संवैधानिक दायित्‍वों के निर्वहन के साथ-साथ उच्‍च शिक्षा की गुणवत्‍ता में सुधार लाने पर निरंतर बल दिया है। उन्‍होंने कहा कि देश में उच्‍च शिक्षा के लिए बुनियादी ढांचे में काफी सुधार आया है, परंतु अभी भी हमारे विश्‍वविद्यालयों में अनुसंधान को पर्याप्‍त महत्‍व नहीं दिया गया है। राष्‍ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की कि भारतीय विश्‍वविद्यालयों का स्‍तर बढ़ाने के लिए महत्‍वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। उन्‍होंने आशा प्रकट की कि वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास में लगे भारत के अनेक संस्‍थान और एजेंसियां शीघ्र ही शीर्ष स्‍थान हासिल करेंगी।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]